महाराष्ट्र के पालघर में साधुओं की निर्मम हत्या मामले में हाल में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ। मुख्यमंत्री शिंदे वाली शिवसेना के एक नेता ने दावा कर बताया कि पालघर में हिंदू साधुओं की हत्या पर सीबीआई की जाँच इसलिए नहीं हुई थी क्योंकि उद्धव ठाकरे उस समय सो रहे थे और राहुल गाँधी के दबाव में उन्होंने इस मामले में एक्शन नहीं लिया था। आज उस मॉब लिंचिंग की घटना को 4 वर्ष बीत गए हैं। साल 2022 में जब महाराष्ट्र में NDA सरकार बनी तो ये मामला सीबीआई को सौंपा गया, लेकिन जाँच एजेंसी के पास जाने से पहले इस मामले में क्या-क्या हुआ था… आइए जानते हैं।
16 अप्रैल 2020- पालघर में साधुओं की हत्या
16 अप्रैल 2020 को पालघर में कल्पवृक्ष गिरि और सुशील गिरि नाम के दो साधुओं और उनके ड्राइवर को पालघर में भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला गया था। जब यह घटना हुई थी, तब दोनों साधु मुंबई से सूरत की यात्रा कर रहे थे। इस दौरान 200 से अधिक लोगों की भीड़ ने उन्हें रोक लिया था और पथराव करने के बाद उनकी कार को उलट दिया था। भीड़ ने साधुओं की इतनी पिटाई की थी कि उन्होंने अपना दम तोड़ दिया था।
घटना की एक वीडियो भी सामने आई थी। इस वीडियो में साधुओं को निर्ममता से पीटते देखा गया था। वीडियो दिल दहलाने वाली थी। साधु पुलिस के भरोसे भीड़ के बीच तक आए थे। उन्हें लगा था कि शायद पुलिस उन्हें बचा लेगी, लेकिन हुआ क्या? एकदम उलटा। जब भीड़ ने साधुओं के ऊपर हमला किया तो उनके बचाव की जगह हर कोई मूकदर्शक बन गया। आज भी बुजुर्ग साधु की उस वीडियो को शेयर करके कहा जा रहा है कि इन साधुओं को 4 साल बाद भी न्याय नहीं मिला है।।
4 years, justice still awaits….#PalgharSadhus #Palghar pic.twitter.com/dutI6ZS0SA
— Roronoa Zoro (@TheMalechHunter) April 16, 2024
उद्धव सरकार ने सीबीआई जाँच का किया विरोध, शिंदे सरकार मानी
साल 2023 में एकनाथ शिंदे की सरकार ने इस मसले पर सीबीआई जाँच कराने का फैसला लिया। बात सुप्रीम कोर्ट तक पहुँची तो सुप्रीम कोर्ट ने भी सीबीआई जाँच को मंजूरी दी और कहा कि राज्य सरकार ने फैसला ले लिया है तो इस पर कोर्ट के किसी प्रकार के निर्देश की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट का ये कहना दिखाता है कि अगर उद्धव सरकार भी चाहती तो इस मामले में वो सीबीआई की जाँच करवा सकते थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ क्योंकि उन्होंने इस दिशा में कदम ही आगे नहीं बढ़ाए।
इस मामले में उन्होंने बाकायदा सुप्रीम कोर्ट में जाकर सीबीआई जाँच का विरोध किया था। उद्धव ठाकरे सरकार की ओर से यह दलील दी गई थी कि महाराष्ट्र पुलिस ने इस मामले में चार्जशीट दाखिल की है। साथ ही, जिन पुलिसकर्मियों ने इसकी जाँच में लापरवाही की थी, उनके खिलाफ एक्शन भी लिया जा चुका है।
ईसाई मिशनरियों का हाथ
गौरतलब है कि एक तरफ जहाँ इस हत्या मामले से उद्धव सरकार का हिंदूविरोधी चेहरा उजागर हुआ था। वहीं पड़ताल के दौरान कुछ एंगल भी सामने आए थे जो बेहद चौंकाने वाले थे। पालघर में साधुओं की लिंचिंग के बाद मीडिया रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी कि आदिवासी इलाकों में हिंदू संतों के खिलाफ एक हवा बनाई गई और इसी कारण संतों की मॉब लिंचिंग हुई। उस साजिश में ईसाई मिशनरियों के हाथ होने के भी संकेत मिले थे।
बताया गया था कि इलाके में सक्रिय ईसाई मिशनरियों को राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है और उन्हीं लोगों ने भीड़ को साधुओं के खिलाफ भड़काया। इसके अलावा ये रिपोर्ट भी सामने आई थी कि घटना के वक्त भीड़ के साथ एनसीपी नेता और सीपीएम नेता भी मौजूद थे।
धीरे-धीरे आरोपितों को मिली जमानत
हिंदू संगठनों ने इस मुद्दे को जगह-जगह उठाया था। मीडिया से लेकर सोशल मीडिया पर इसकी कवरेज लगातार होने पर प्रशासन ने इसमें अपनी जो कार्रवाई की। उसमें कुछ डिटेल्स सामने आई। ये पता चला कि उस दिन साधुओं को मारने में 400-500 लोग भीड़ का हिस्सा थे। बाद में पुलिस ने इनमें से 180 लोगों को सीसीटीवी फुटेज के आधार पर गिरफ्तार किया था। लेकिन इनमें से कई आरोपितों को जमानत मिलती गई।
2020 के लिंचिंग मामलें में 2021 में विशेष अदालत ने 89 लोगों को जमानत दी। इसके बाद 2022 में 10 और लोगों को जमानत दे दी गई। जस्टिस ने कर्क दिया कि घटनास्थल पर मौजूद लोगों, वीडियो फुटेज में मृतक के साथ करने वाले हमलावरों और उकसाने वाले लोगों में अंतर होता है।
यूपी में होता तो उलटा टंगवा देता- सीएम योगी
हाल में पालघर का यह मामला महाराष्ट्र में दोबारा तब गरमाया जब एकनाथ शिंदे की सरकार बनी और उन्होंने इसे गंभीरता से लिया। सीबीआई जाँच को अनुमति तो मिली ही। साथ ही शिंदे गुट के विधायक प्रताप सरनाईक अपनी ओर से दोनों संतों के परिजनों को 5-5 लाख रुपए दिए गए। मालूम हो कि इस एक घटना ने देश के हर हिंदू को झकझोर दिया था। कुछ दिन पहले वर्धा में चुनावी सभा के दौरान यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घटना पर कहा भी था कि यहाँ पालघर में साधुओं की पीट-पीटकर हत्या कर दी जाती है। उत्तर प्रदेश में ऐसा होता तो मैं आरोपितों को उल्टा टंगवा देता।