भारत सरकार की मिनी रत्न कंपनी पवन हंस (Pawan Hans) अपनी प्रशिक्षु भर्ती प्रक्रिया को लेकर विवादों में घिर गई है। गुरुवार (7 अप्रैल 2022) को इसको लेकर सोशल मीडिया पर एक लिस्ट वायरल हुई, जिसके बाद चर्चा छिड़ गई। वायरल पोस्ट के मुताबिक, पवन हंस में शामिल होने वाले सभी नए प्रशिक्षु मुस्लिम हैं, इसके अलावा इसमें किसी भी दूसरे धर्म के कैंडिडेट के नाम को शामिल नहीं किया गया है।
इस विवाद की शुरुआत पवन हंस लिमिटेड की ओर से संगठन में शामिल होने वाले नए ग्रेजुएट ट्रेनी की लिस्ट से हुई। दरअसल, सोशल मीडिया पर वायरल हुए लिस्ट में जितने भी लोग थे वो सभी मुस्लिम समुदाय से ही थे।
देखते ही देखते यह पोस्ट तेजी से वायरल होने के साथ ही लोगों के लिए आश्चर्य का विषय हो गई और तरह-तरह के कमेंट सोशल मीडिया पर किए जाने लगे। वहीं कई नेटिज़न्स ने इस प्रशिक्षु कार्यक्रम के लिए केवल एक मजहब के लोगों को भर्ती करने के लिए भारत सरकार की भी आलोचना की।
ज़रा पेड इंटर्न्स की ये लिस्ट देखिए, जी नहीं ये पश्चिम बंगाल,बांग्लादेश या पाकिस्तान में हुई नियुक्तियां नहीं। ये @PawanHansLtd में रखे गए पेड इंटर्न हैं। कंपनी ने विज्ञापन नहीं निकाला सीधा जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी से संपर्क किया और जामिया के कोर्डिनेटर ने ये लिस्ट भेज दी। pic.twitter.com/BIA0dGeqq2
— Ashok Shrivastav (@AshokShrivasta6) April 7, 2022
Extremely Shocking.
— Devdutta Maji (President of SinghaBahini) (@MajiDevDutta) April 7, 2022
Anyone will think that @PawanHansLtd has opened its franchisee in Pakistan or Else they want to turn Bharat into another Pakistan.
Pawan Hans must immediately come up with an Answer.
How come all selected R Muslims ?@HMOIndia@PMOIndia @KreatelyMedia pic.twitter.com/rRkqOZ6tkZ
पवन हंस लिमिटेड भारत सरकार के नागरिक उड्डयन मंत्रालय के तहत एक सरकारी स्वामित्व वाली संस्था है, जिसे इंडियन ऑयल कंपनियों के लिए अपतटीय स्थानों पर और केदारनाथ और वैष्णो देवी मंदिर जैसे पवित्र तीर्थ स्थलों पर विशेष हेलीकॉप्टर सेवाएँ प्रदान करने का काम सौंपा गया है। माओवादी उग्रवाद से निपटने के लिए राज्य सरकारों द्वारा भी इनका उपयोग किया जाता है।
विवाद ने लोगों को वर्ष 2020 में पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा चुने गए सभी मुस्लिम उम्मीदवारों की एक ऐसी ही सूची की याद दिला दी। हालाँकि, यह आरक्षण का मामला निकला क्योंकि पश्चिम बंगाल राज्य में कई मुस्लिम जातियाँ भी ओबीसी के तहत सूचीबद्ध हैं। किसी ने सोचा कि क्या पवन हंस लिमिटेड की इस सूची में भी ऐसा ही कुछ कारण था।
हालाँकि, ऐसा लगता है कि यह किसी ओबीसी सूची के कारण मुस्लिम उम्मीदवारों के लिए आरक्षण का मामला नहीं है, बल्कि नई दिल्ली स्थित ‘अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान’ जामिया मिल्लिया इस्लामिया के साथ पवन हंस लिमिटेड (पीएचएल) के एक विशेष समझौते के कारण है।
इस विवाद के पीछे की असली वजह
पवन हंस की वेबसाइट पर जारी नोटिफिकेशन के मुताबिक पवन हंस जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के साथ मिलकर ढाई साल का कंम्प्लीट बेसिक विमान रखरखाव प्रशिक्षण पाठ्यक्रम संचालित कर रहा है। ऐसे में उसके सभी ट्रेनी जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के हैं और केवल मुस्लिम हैं।
पवन हंस हेलीकॉप्टर कंपनी और जामिया मिलिया विश्वविद्यालय के बीच 2017 में एक समझौता किया गया था, जिसमें दोनों के बीच शुरू में बीएससी (एयरोनॉटिक्स) पाठ्यक्रम के लिए विमानन उद्योग के लिए प्रशिक्षण क्षेत्र में सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की गई थी। इसके साथ ही विमानन क्षेत्र में बीएससी कोर्स के लिए संभावना तलाशने पर भी सहमति जताई गई थी।
हालाँकि, ये कोई पहली बार नहीं है जब भारत में भर्तियों के मामले में धार्मिक पूर्वाग्रह के आरोप लगे हैं। इससे पहले पश्चिम बंगाल सरकार पर सिर्फ मुस्लिमों को भर्ती करने का आरोप लगा था। हालाँकि, ऑपइंडिया फैक्ट-चेक ने पाया था कि ऐसा नहीं है।
खास बात ये है कि केंद्र सरकार के संगठन के लिए भर्ती के दौरान ऐसा करना दूसरे धर्मों और विश्वविद्यालयों के प्रति स्पष्ट व्यवस्थित भेदभाव की तरह लगता है। सबसे बुरी बात यह है कि ये स्पष्ट साम्प्रदायिकता प्रतीत होती है।
गौरतलब है कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया पवन हंस लिमिटेड के साथ समझौते के तहत चलाए जा रहे अपने पाठ्यक्रमों में केवल मुस्लिम छात्रों को ही प्रवेश दे सकता है। हमने पवन हंस लिमिटेड के संयुक्त महाप्रबंधक (विमानन अकादमी) मोहम्मद अमीर को फोन करके इसकी पुष्टि करने की कोशिश की लेकिन हमें कोई जवाब नहीं मिला। ऑपइंडिया की यह रिपोर्ट एक डेवलपिंग स्टोरी है, आगे जैसे ही हमें और सूचनाएँ मिलेंगी हम इस लेख को अपडेट करेंगे।