रक्षाबंधन पर तमाम तथ्यों को दरकिनार कर हिन्दुओं से ‘गाय के चमड़े वाली राखी’ इस्तेमाल ना करने की भ्रामक और आधारविहीन मुहीम शुरू करने वाली संस्था PETA ने भारी विरोध के बाद अब अपनी वेबसाइट से इस लेख को हटा दिया है।
हालाँकि, PETA लगभग हर साल ही रक्षाबंधन के अवसर पर इस प्रकार की भ्रांतियाँ फैलता आया है कि राखी में गाय का चमड़ा इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन अब तक यह संस्था सिर्फ इस बात का फायदा उठाकर यह नैरेटिव विकसित करती आ रही थी कि राखी में गाय का माँस इस्तेमाल किया जाता है। और तो और, इसके लिए PETA द्वारा ‘जागरूकता अभियान’ तक चलाए गए।
शैफाली वैद्य ने भी इसकी जानकारी अपनी ट्विटर अकाउंट पर दी है –
So @PetaIndia pulled down the story where it boasted about saving ‘cow-sisters’ on #RakshaBandhan from their website? I wonder why! #AntiHinduPeta #PetaIndiaExposed pic.twitter.com/Ucf7OB1MnN
— Shefali Vaidya. (@ShefVaidya) July 21, 2020
दरअसल, हाल ही में जानवरों के अधिकारों की बात करने का दावा करने वाली हिन्दूफोबिक संस्था PETA ने गाय के चित्र वाले उस बैनर से लोगों का ध्यान आकर्षित किया था, जिसमें रक्षाबंधन के दौरान राखी में चमड़े का उपयोग न करने की सलाह दी गई थी।
इसके बाद विवाद खड़ा हो गया था क्योंकि PETA को यह तक पता नहीं कि रक्षाबंधन में चमड़े का उपयोग नहीं होता है। लोगों ने तो PETA इंडिया से बकरीद पर भी ऐसी ही एक अपील की बात कह कर अपना आक्रोश व्यक्त किया, जिस पर PETA ने दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं को बेहद घटिया जवाब देकर अपनी संस्था की मंशा को उजागर किया था।
इस विषय पर जब ऑपइंडिया ने PETA इंडिया के इस अभियान की कोऑर्डिनेटर राधिका सूर्यवंशी से सवाल किए तो उन्होंने कहा – “रक्षा बंधन हमारी बहनों की रक्षा का समय है, और गाय हमारी बहनें हैं। हमारी तरह, वे भी रक्त, मांस और हड्डी से बनी हैं और जीना चाहती हैं। हमारा विचार प्रतिदिन गायों की रक्षा करने का है और रक्षा बंधन एक बहुत ही अच्छा दिन है। जिसमें हम आजीवन चमड़े से मुक्त रहने का संकल्प ले सकते है।”
लेकिन, जब सोशल मीडिया पर दक्षिणपंथी समूहों के विरोध के बाद PETA का हिन्दूविरोधी चरित्र सामने आया तो PETA ने बिना किसी बयान और सूचना के यह लेख अब अपनी वेबसाइट से हटा दिया है।
PETA ने रक्षाबंधन पर अपने हिन्दू-विरोधी बैनर के कारण विवादों पर सवाल पूछने वालों को निशाना बनाने का भी प्रयास किया था। शेफाली वैद्य ने PETA से सवाल पूछा था कि ईद के मौके पर कोई ‘एनिमल एक्टिविस्ट’ सेलेब्रिटी ये क्यों नहीं कहता कि आप अपने इगो का त्याग करें, जानवरों को न मारें।
PETA ने माँगी ‘ग़लतफ़हमी’ के लिए माफ़ी
राखी में गाय का माँस इस्तेमाल होने के दुष्प्रचार को फैलाने पर PETA के खिलाफ सोशल मीडिया पर हो रहे व्यापक विद्रोह का नतीजा यह रहा है कि अब PETA ने आखिरकार अपनी गलती स्वीकार कर गाय और रक्षाबंधन से जुड़े अपने भ्रामक विज्ञापनों को हटाने और उन्हें बदलने की बात कही है। साथ ही, PETA ने कहा है कि वह ‘गलतफहमी’ के लिए माफ़ी माँगता है।
Go leather-free for life.
— PETA India (@PetaIndia) July 21, 2020
PETA India apologises about misunderstanding, encourages public to wear vegan with new campaign.#LeatherFree #WearVegan
PETA ने एक नवीनतम प्रकाशित लेख में कहा है कि PETA इंडिया कानपुर, भोपाल, अहमदाबाद, चंडीगढ़, जयपुर, पटना और पुणे में नए होर्डिंग लगाने की प्रक्रिया में है। इसमें अब गाय के साथ भैंस भी नजर आएगी और रक्षाबंधन वाले भ्रामक संदेश को भी हटा लिया गया है। इसमें ‘लेदर-फ्री’ का संदेश दिया जाएगा।
उन्होंने कहा है कि इसमें शाकाहारी जीवन को प्रोत्साहित किया गया है। पहले के बैनर पर सफाई देते हुए ‘PETA इंडिया’ ने लिखा है कि उस संदेश से भ्रम फैला था और लोग गलतफहमी का शिकार हो गए थे।
PETA का कहना है कि उनके विज्ञापन संदेश में राखी के बारे में कुछ भी नहीं था। यहाँ पर PETA ने यह भी आरोप लगाया है कि यह विरोध कुछ लोगों द्वारा इसलिए किया गया क्योंकि PETA ने जल्लीकट्टू को खत्म करने और मंदिरों में हाथियों के इस्तेमाल को खत्म करने की मुहिम चलाई थी।