झारखंड हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दायर कर सड़क पर नमाज पढ़ने और माइक से अजान देने पर रोक लगाने की माँग की गई है। याचिकाकर्ता बीजेपी नेता अनुरंजन अशोक हैं। उन्होंने कहा है कि इस याचिका का किसी मजहब से लेना-देना नहीं है, बल्कि ध्वनि प्रदूषण जैसी समस्या से लड़ने के लिए यह जरूरी है।
अशोक ने कहा है कि लाउडस्पीकर की आवाज 10 डेसीबल की सीमा के भीतर ही रहनी चाहिए। लेकिन मस्जिदों से इसका लगातार उल्लंघन हो रहा है। उन्होंने पिछले वर्ष नवंबर में झारखंड सरकार से इस दिशा में कारवाई की माँग की थी। सरकार की उदासीनता के बाद अब कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
याचिका में सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर नमाज पढ़ने पर भी रोक लगाने की माँग की गई है। याचिकाकर्ता ने है कहा कि एक कानून होना चाहिए जिसके तहत नमाज सिर्फ मस्जिद में पढ़ी जाए। हाल ही में झारखंड के हजारीबाग में सड़क पर बच्चों के नमाज पढ़ने की तस्वीरें वायरल हुईं थी।
गौरतलब है कि हाल ही में गोवा में लाउडस्पीकर पर अजान देने पर प्रतिबंध लगाया गया है। यह प्रतिबंध भी एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर की याचिका पर सुनवाई के बाद लगाया गया। वहीं कर्नाटक में राज्य वक्फ बोर्ड ने रात 10 बजे से सुबह 5 बजे के बीच मस्जिदों और दरगाहों पर लाउडस्पीकर के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया है। कुछ महीने पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि अजान इस्लाम का अभिन्न अंग हो सकता है, किन्तु लाउडस्पीकर अथवा किसी तेज ध्वनि वाले यंत्र से अजान पढ़ना मजहब का अभिन्न अंग नहीं माना जा सकता है।
हाल ही में इलाहाबाद विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर संगीता श्रीवास्तव द्वारा इस संबंध में शिकायत की थी। इस पर संज्ञान लेते हुए प्रयागराज रेंज के आईजी केपी सिंह ने चार जिलों के कलेक्टरों और पुलिस प्रमुखों को यह उच्च न्यायालय का आदेश लागू करने को कहा था। इसके बाद उत्तरप्रदेश सरकार के मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला ने बलिया जिला न्यायाधीश को पत्र लिखकर मस्जिदों के लाउडस्पीकर की आवाज को कोर्ट के आदेशानुसार नियंत्रित करने की माँग की थी।