Tuesday, November 5, 2024
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सबरीमाला दर्शन से दो हफ्ते पहले केरल की वामपंथी सरकार का फिर यू-टर्न: कहा- रजस्वला महिलाएँ करेंगी मंदिर में प्रवेश

सबरीमाला के भक्तों पर अत्याचार करने के बाद केरल के वामपंथियों ने यू-टर्न लेते हुए जून 2019 में केंद्र सरकार से सबरीमाला के रीति-रिवाजों की रक्षा करता एक कानून बनाने को कहा था। जबकि यू-टर्न ले लेने के बाद अब वही वामपंथी कह रहे हैं कि हम सुप्रीम कोर्ट 2018 का फैसला मानेंगे।

केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की वामपंथी सरकार ने सबरीमाला के मुद्दे पर एक बार फिर से यू-टर्न लेते हुए कहा है कि उनकी सबरीमाला के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को लागू करने के लिए नीति निर्माण करेगी जिसके तहत सभी उम्र की महिलाएँ सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करेंगी और वहाँ की मान्यता के अनुसार घुसकर उसे अपवित्र कर देंगी।

सबरीमाला के भक्तों पर अत्याचार करने के बाद केरल के वामपंथियों ने जून 2019 में केंद्र सरकार से सबरीमाला के रीति-रिवाजों की रक्षा करता एक कानून बनाने को कहा था। जबकि यू-टर्न ले लेने के बाद अब वही वामपंथी कह रहे हैं कि हम सुप्रीम कोर्ट 2018 का फैसला मानेंगे। बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले में कहा गया था की सभी महिलाओं को अय्यप्पा भगवान के मंदिर में प्रवेश दिया जाना चाहिए।

एक रिपोर्ट के मुताबिक केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने सोमवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ कानून लाकर उसे बदलना हमारे लिए संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि ‘जल्लीकट्टू’ की तरह मूल अधिकार का हवाला देकर हम इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ कोई कानून नहीं बना सकते। सबरीमाला में होने वाली साल की सबसे बड़ी तीर्थ यात्रा के दो हफ्ते पूर्व अपना यह बयान देते हुए मुख्यमंत्री विजयन ने कहा कि सभी भक्तों की सुरक्षा और शांति के लिए उनकी सरकार उपयोगी कदम उठाएगी।

कुछ दिन पहले केरल के मुख्यमंत्री ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा था कि उनकी एलडीएफ सरकार श्रद्धालुओं को मंदिर तक पहुँचाने और सर्वोच्च न्यायलय के आदेश का पालन करने के लिए हर संभव प्रयास करेगी। साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी सरकार इस मामले में कोई भी पुनर्विचार याचिका दायर नहीं करेगी। उनके मुताबिक अगर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उनसे माँग की जाती है तो इस विषय पर वे अपना विचार रखेंगे।

2018 में भी सीपीएम ने सर्वोच्च न्यायालय के उस विवादित फैसले का समर्थन किया था जिसने उस परंपरा को अवैध करार दिया था जिसके तहत केरल के सबसे पवित्र तीर्थ स्थल सबरीमाला मंदिर में 10 साल से 50 साल की उम्र सीमा वाली महिलाओं का प्रवेश वर्जित था। उस वक़्त एक बड़ी संख्या वाली भीड़ ने न सिर्फ इस फैसले का विरोध किया था बल्कि इस परंपरा को जीवित रखने का भी प्रण लिया था।

इस स्थिति में राज्य की कानून-व्यवस्था को न संभाल पाने के चलते वामपंथी खेमे की काफी आलोचना हुई थी। सीपीआईएम के नेतृत्व वाले केरल प्रशासन ने जानबूझकर दो महिलाओं को स्वेच्छा से मंदिर में प्रवेश करा, प्राचीन परंपरा को तोड़कर मंदिर को ही दूषित कर दिया। यह वही प्रशासन है जिसने एक समय गैर-हिन्दुओं और कार्यकर्ताओं को मंदिर में घुसने के लिए मदद की है।

सबरीमाला के मामले में सदियों पुरानी परंपरा को तोड़ने पर केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और वामपंथी सरकार सीधे आम लोगों के निशाने पर आई। लोगों ने अपने राज्य की सरकार के इस कदम को गलत माना। ऐसे ही एक मामले में सबरीमाला मंदिर से भक्तों को सुरक्षाबलों के दम पर घसीटकर निकालने की घटना पर केरल उच्च न्यायलय ने विजयन सरकार को फटकार भी लगाई थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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