प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि महाकुंभ भारत का विराट स्वरूप है। उन्होंने महाकुंभ में युवा पीढ़ी के बड़ी संख्या में शामिल होने पर प्रसन्नता जताई है। पीएम मोदी ने यह वक्तव्य लोकसभा में दिया है। वहाँ यह बजट सत्र के दौरान महाकुंभ के सफल समापन पर बोलने के लिए पहुँचे थे।
पीएम मोदी ने मंगलवार (18 मार्च, 2025) को लोकसभा में अपनी बात रखी। पीएम मोदी ने महाकुंभ की तुलना भागीरथ के गंगा को जमीन पर लाने से की है। उन्होंने कहा कि यह जनता-जनार्दन का, जनता-जनार्दन के संकल्पों के लिए, जनता-जनार्दन की श्रद्धा से प्रेरित महाकुंभ था।
पीएम मोदी ने कहा, “पिछले वर्ष अयोध्या के राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में हम सभी ने यह महसूस किया था कि कैसे देश अगले 1000 वर्षों के लिए तैयार हो रहा है। इसके ठीक 1 साल बाद महाकुंभ के इस आयोजन ने हम सभी के इस विचार को और दृढ़ किया है। देश की यह सामूहिक चेतना देश का सामर्थ्य बताती है।”
पीएम मोदी ने कहा कि देश के इतिहास में कई ऐसे पल आए हैं, जिन्होंने इसे झकझोर कर रख दिया और नई दिशा दी। उन्होंने दांडी मार्च, वीर भगत सिंह की शहादत, नेताजी सुभाष का दिल्ली चलो और 1857 के संग्राम को ऐसे पल बताया और कहा कि अब महाकुंभ भी इसी सूची में जुड़ गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर प्रसन्नता जताई है कि इस आयोजन में बड़े पैमाने पर युवा शामिल हुए। उन्होंने कहा, ” पीढ़ी दर पीढ़ी हमारे संस्कारों के आगे बढ़ने का जो क्रम है, वह भी कितनी सहजता से आगे बढ़ रहा है। आप देखिए, जो हमारी मॉडर्न युवा पीढ़ी है, ये कितने श्रद्धा-भाव से महाकुंभ से जुड़े रहे, दूसरे उत्सवों से जुड़े रहे हैं।”
महाकुंभ में दिखी एकता की छवि को लेकर भी पीएम मोदी ने बात की है। उन्होंने कहा, “महाकुंभ में हमने देखा है कि वहां छोटे-बड़े का कोई भेद नहीं था, यह भारत का बहुत बड़ा सामर्थ्य है। यह दिखाता है कि एकता का अद्भुत तत्व हमारे भीतर रचा-बसा हुआ है।” पीएम मोदी का यह वक्तव्य आप नीचे लगे लिंक पर सुन सकते हैं।
पीएम मोदी ने कहा है कि महाकुंभ से हमें नदियाँ बचाने का सन्देश मिला है। उन्होंने कहा है कि नदियों पर संकट आ रहा है, ऐसे में नदी उत्सव मनाए जाने चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि अनेकता में एकता का प्रदर्शन महाकुंभ में किया है, वह आगे भी करेंगे।