गुजरात हाईकोर्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की स्नातकोत्तर (MA) की डिग्री माँगने पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejariwal) पर 25000 रुपए का जुर्माना लगाया है। उच्च न्यायालय ने शुक्रवार (31 मार्च 2023) को अपने फैसले में कहा कि पीएम मोदी का प्रमाणपत्र देने की जरूरत नहीं है।
इसके साथ ही गुजरात हाईकोर्ट के जस्टिस बीरेन वैष्णव ने मुख्य सूचना आयोग (CIC) के उस आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसमें PMO के साथ-साथ गुजरात विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय के अधिकारियों को पीएम मोदी की स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री का डिटेल देने का निर्देश दिया गया था।
अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि पीएम की डिग्री मीडिया, सोशल मीडिया और यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर उपलब्ध है। इसके बावजूद मुख्यमंत्री केजरीवाल ने यह जानते हुए भी इस विवाद को जानबूझकर पैदा किया कि डिग्री आरटीआई के दायरे में नहीं आती है।
न्यूजपर्सन अंकुर सिंह ने जिस कॉपी को गुजरात हाईकोर्ट के जजमेंट की कॉपी बताकर शेयर किया। है, उसमें इसका जिक्र किया गया है। गुजरात हाईकोर्ट ने कहा कि केजरीवाल ने अदालती कार्यवाही के दौरान विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर अपलोड की गई पीएम की डिग्री की प्रामाणिकता पर सवाल नहीं उठाया।
Gujarat High Court said that Kejriwal didn't question authenticity of PM's degree uploaded on University website during court proceedings.
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) March 31, 2023
But still wanted to create unwanted controversy by asking for it through RTI. Knowing very well that University can't give Degrees to 3rd… pic.twitter.com/T10O4IbzHJ
कोर्ट ने कहा कि आरटीआई के जरिए डिग्री का डिटेल माँगकर केजरीवाल अवांछित विवाद पैदा करना चाहते थे। वे अच्छी तरह से जानते हैं कि विश्वविद्यालय आरटीआई के तहत तीसरे पक्ष को डिग्री नहीं दे सकता।
अरविंद केजरीवाल को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने कहा कि उन्होंने आरटीआई अधिनियम के इरादे और उद्देश्य का मज़ाक उड़ाया। केजरीवाल ने एक ऐसे मुद्दे पर विवाद पैदा करने के लिए आरटीआई अधिनियम का अंधाधुंन दुरुपयोग किया, जो आरटीआई के दायरे में आता ही नहीं है।
Gujarat High Court makes 2 important points.
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) March 31, 2023
1. Clearly says that educational documents is personal information and doesn't come under RTI.
2. Degree of Prime Minister was uploaded on the university website and PM has nothing to hide.
Then why this drama over PM's degree… pic.twitter.com/ZKq8bXYTkF
दरअसल, 2016 में सूचना के अधिकार (RTI) के तहत पीएम मोदी की स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री का विवरण माँगा गया था। इसका जवाब देते हुए केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO), गुजरात विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय को निर्देश दिया था कि पीएम की डिग्री के बारे में जानकारी दे।
केंद्रीय सूचना आयोग के इस निर्देश को गुजरात यूनिवर्सिटी ने गुजरात हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। गुजरात हाईकोर्ट ने इसी मामले में अरविंद केजरीवाल को फटकार लगाते हुए उन पर जुर्माना लगाया है। कोर्ट का फैसला आने के बाद केजरीवाल ने एक ट्वीट किया है।
उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, “क्या देश को ये जानने का भी अधिकार नहीं है कि उनके PM कितना पढ़े हैं? कोर्ट में इन्होंने डिग्री दिखाए जाने का ज़बरदस्त विरोध किया। क्यों? और उनकी डिग्री देखने की माँग करने वालों पर जुर्माना लगा दिया जायेगा? ये क्या हो रहा है? अनपढ़ या कम पढ़े लिखे PM देश के लिए बेहद ख़तरनाक हैं।”
क्या देश को ये जानने का भी अधिकार नहीं है कि उनके PM कितना पढ़े हैं? कोर्ट में इन्होंने डिग्री दिखाए जाने का ज़बरदस्त विरोध किया। क्यों? और उनकी डिग्री देखने की माँग करने वालों पर जुर्माना लगा दिया जायेगा? ये क्या हो रहा है?
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) March 31, 2023
अनपढ़ या कम पढ़े लिखे PM देश के लिए बेहद ख़तरनाक हैं https://t.co/FtSru6rddI
उधर, हाईकोर्ट के फैसले के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) की गुजरात इकाई ने कहा कि वह इस आदेश के खिलाफ अपील करेगी। AAP गुजरात के कानूनी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष प्रणव ठक्कर ने कहा कि इस फैसले के साथ ही नागरिकों ने प्रधानमंत्री की डिग्री के बारे में जानकारी माँगने का अधिकार खो दिया।