वैश्विक महामारी कोरोना से लड़ने के लिए 24 मार्च को प्रधानमंत्री मोदी, अगले 21 दिनों के लिए देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा कर चुके हैं। विषय के जानकारों के अनुसार कोरोना के घातक संक्रमण से बचने के लिए लॉकडाउन करना ही वर्तमान परिस्थितियों में सर्वोत्तम विकल्प है, जो यदि ठीक तरह से कार्यान्वित हो सका तो भारत बगैर किसी बड़े नुक्सान से इस महामारी से बच निकलने में कामयाब हो सकता है। एक तरफ कोरोना से बचने के लिए उठाए गए इस अहम कदम ने देशवासियों को आशान्वित किया है कि हम जल्दी ही इस वैश्विक समस्या से निजात पा सकेंगे तो वहीं दूसरी तरफ देश के उस हिस्से के लिए भी हमें सोचने पर मजबूर कर दिया है, जिसके पास इस लॉकडाउन में एक वक्त का भोजन भी मौजूद नहीं है।
देश का एक बड़ा हिस्सा ऐसे ही निर्धनतम श्रेणी के दिहाड़ी कामगारों से अटा पड़ा है। 24 मार्च मंगलवार रात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा के 48 घंटे बाद ही देश की राजधानी दिल्ली के अलग-अलग स्लम इलाकों से ऐसी तस्वीरें आईं, जिनमें मजदूरों और उनके परिवार के लोग भूख से बिलखते दिखाई पड़ते हैं। बच्चों को भूख के चलते बार-बार माँ-बाप से खाने के बारे में पूछते देखे जाने के वीडियो, तस्वीरें आनी शुरू हो गईं थीं। इन तस्वीरों ने हमारी आशंका को मजबूती दी कि कहीं ऐसा न हो जाए कि देश में कोरोना से मरने वालों की संख्या तो न बढ़े लेकिन भूख से मरने वालों की लाशों का ढेर लग जाए।
ऐसा ही एक ट्वीट एएनआई ने किया, जिसमें जंतर-मंतर के पास फुटपाथ पर जिंदगी बिताने वाले संजय और सपना गुरुवार को रोते-बिलखते देखे गए। संजय ने बताया, “मेरी पत्नी को आठ माह का गर्भ है। बंदी के चलते हमारे पास कोई काम नहीं है, हम भूखे हैं। पता नहीं आगे क्या होगा। मेरा दर्द सुनने वाला कोई नहीं है।”
Delhi: Sapna & Sanjay, a couple has been living on the streets near Jantar Mantar, even as country is under lockdown. Sanjay says, “We have exhausted our rations & don’t know what will happen now. My wife is 8 months pregnant, my heart aches that she has to go hungry”. #COVID19 pic.twitter.com/3swhgQQl4F
— ANI (@ANI) March 26, 2020
लेकिन देश की सरकारें और प्रशासन इन दिहाड़ी मजदूरों, रोज के कमाने-खाने वालों के लिए भोजन की तैयारी पहले से कर के बैठे थे। जिसकी झलक आज दोपहर देखने को मिली, जब दिल्ली के स्लम इलाकों में दिल्ली पुलिस और प्रशासन के कई कर्मचारी भोजन का पैकेट बाँटते देखे गए। न्यूज एजेंसी एएनआई की ओर से जारी वीडियो और तस्वीरों में साफ़ दिख रहा है कि मजदूर और उनके परिवार किस बेसब्री से इन खाने के पैकेटों का इंतजार कर रहे थे। फ़ूड पैकेट्स लेते हुए लोग ‘पुलिस वाले भैया’ को धन्यवाद कहना भी नहीं भूले।
#WATCH Delhi Police today distributed food to the needy in Najafgarh area of Delhi. #CoronavirusLockdown pic.twitter.com/93XheqxAfj
— ANI (@ANI) March 26, 2020
पुलिस और स्थानीय प्रशासन की इस दरियादिली और सभी देशवासियों के प्रति अपनी जिम्मेदारी का यह भाव लखनऊ में भी देखने में आया। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार चारबाग रेलवे स्टेशन के पास रिक्शे वाले, भिखारियों, दिहाड़ी मजदूरों आदि की लम्बी-लम्बी पंक्तियाँ मौजूद हैं, जिनके पास खाने को कुछ नहीं। यूपी पुलिस ने अब इन लोगों को दोनों वक्त का खाना खिलाने की जिम्मेदारी ले ली है। मीडिया के अनुसार लखनऊ ईस्ट के एसीपी चिरंजीव नाथ सिन्हा ने बताया, “यह 21 दिन तक रहेगा। इनका पहले हैंड सैनिटाइज कराया गया है। दूरियाँ बना दी गई हैं, ताकि सुरक्षित रहें। साथ ही इन लोगों को एक-एक पानी की बोतल और एक-एक साबुन भी दिया गया है ताकि ये जब भी खाना खाएँ, पहले अपना हाथ धोएँ। ये व्यवस्था 21 दिनों तक रहेगी।
मामले के जानकारों के अनुसार पुलिस की तरफ से कोशिश की जा रही है कि हर पुलिस चौकी क्षेत्र में उस इलाके के पुलिसवाले कुछ गरीब और बेसहारा लोगों को खाना खिलाएँ। लखनऊ ईस्ट के डीसीपी दिनेश सिंह ने इस बारे में बताया कि हमसे जो हो पा रहा है, हम प्रयास कर रहे हैं, साथ ही कुछ संस्थाओं ने भी हमें इस कार्य में हाथ बँटाने का प्रस्ताव रखा है।