अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल और केंद्र सरकार की तरफ़ से प्रशांत भूषण के ख़िलाफ़ दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें राहत देने से मना कर दिया। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण की वह याचिका भी ख़ारिज कर दी जिसमे उन्होंने जस्टिस अरुण मिश्रा से ख़ुद को इस केस से वापस लेने की माँग की थी। अटॉर्नी जनरल ने अदालत में बताया कि वे जब बाहर मिले तो उन्होंने भूषण से माफ़ी माँगने को कहा लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया था।
As per the law laid down by Supreme Court, recusal of a judge can be sought even if there is a reasonable apprehension in the mind of litigant about bias on the part of the judge, Dushyant Dave for @pbhushan1
— Bar & Bench (@barandbench) March 7, 2019
वेणुगोपाल ने भूषण द्वारा माफ़ी माँगने की स्थिति में केस वापस लेने की बात कही। प्रशांत भूषण की तरफ़ से जिरह करते हुए वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि अगर मुक़दमा पक्ष के मन में जज की ओर से पक्षपात की आशंका की स्थिति में जज को केस से हटाने की माँग की जा सकती है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को ध्यान दिलाया कि जजों को केस से हटाने की माँग करना भूषण का पुराना हथकंडा है और इसे अदालत की मर्यादा गिराने का कार्य माना जाना चाहिए।
“What is the message we are sending when we allow persons who are not parties to the matter to argue at length”, Dushyant Dave objects to SG Tushar Mehta arguing in the matter.
— Bar & Bench (@barandbench) March 7, 2019
दुष्यंत दवे को तुषार मेहता द्वारा जिरह करना पसंद नहीं आया और उन्होंने कोर्ट से पूछा कि जो इस मामले में पक्षकार नहीं हैं, उन्हें लम्बी जिरह करने का मौक़ा देकर हम क्या सन्देश देना चाहते हैं? अटॉर्नी जनरल पक्ष ने अदालत से कहा कि लंबित मामलों में मीडिया के पास जाने का क्या औचित्य है जब कोर्ट में वापस आया जा सकता है? इसके बाद प्रशांत भूषण ने अपने ट्वीट को ‘Genuine Mistake’ के रूप में स्वीकार किया। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि वे भूषण के लिए कोई सज़ा नहीं चाहते।
Attorney General says he wants to withdraw the case against Prashant Bhushan, Justice Arun Mishra says the Bench will decide the legal issue. @pbhushan1
— Bar & Bench (@barandbench) March 7, 2019
अब इस मामले में 29 मार्च को सुनवाई होगी। कोर्ट ने भूषण की माफ़ी को रिकॉर्ड कर लिया है। ज्ञात हो कि प्रशांत भूषण ने सीबीआई मामले की सुनवाई के बाद अपने ट्वीट में लिखा था:
“मैंने विपक्ष के नेता श्री खड़गे से व्यक्तिगत रूप से पुष्टि की है कि ‘हाई पॉवर्ड कमेटी (HPC)’ की बैठक में सीबीआई निदेशक के रूप में नागेश्वर राव को पुनः बहाल करने से संबंध में कोई चर्चा नहीं हुई थी और इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया था। सरकार ने उच्चतम न्यायालय को गुमराह किया है और शायद HPC की बैठक के मनगढंत विवरण प्रस्तुत किए हैं!”
Court asks Bhushan whether he will unconditionally apologise and withdraw recusal application. @pbhushan1 refuses.
— Bar & Bench (@barandbench) March 7, 2019
बता दें कि सीबीआई में दो उच्चाधिकारियों के बीच छिड़े विवाद के बाद केंद्र सरकार ने हस्तक्षेप करते हुए तत्कालीन निदेशक आलोक वर्मा को अक्टूबर 2018 में लम्बी छुट्टी पर भेज दिया था। प्रशांत भूषण ने केंद्र सरकार के इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने उच्चाधिकार प्राप्त समिति को नया सीबीआई निदेशक चुनने को कहा था। उस समिति में प्रधानमंत्री मोदी, मुख्य न्यायाधीश के प्रतिनिधि और विपक्ष के नेता खड़गे शामिल हैं।
SC records the apology expressed by Bhushan who said that his tweets were based on a mistake.
— Live Law (@LiveLawIndia) March 7, 2019
Court asks if he wants to tender unconditional apology for filing recusal application.
Bhushan says he filed it with bona fides.
Matter adjourned to March 29
87 वर्षीय वेणुगोपाल ने याचिका में कहा था कि प्रशांत भूषण ने उनकी ईमानदारी एवं सत्यनिष्ठा पर जानबूझ कर संदेह प्रकट किया। 1 फरवरी को सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट में HPC की बैठक का विवरण प्रस्तुत किया था। इसे सुनवाई के दौरान एक सीलबंद लिफ़ाफ़े में पेश किया गया था। इस दौरान वेणुगोपाल ने अदालत को बताया था कि केंद्र सरकार ने नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक नियुक्त करने से पहले HPC की अनुमति ली थी।