मध्य प्रदेश पुलिस ने के खरगोन जिले में 10 अप्रैल 2022 की रामनवमी पर हुए दंगे के मुख्य आरोपित समीर उल्ला और उसके भाई वली उल्ला को 112 दिनों के बाद गिरफ्तार कर लिया है। आरोपित समीर उल्ला पर रासुका (NSA) के तहत कार्रवाई की गई है। समीर उल्ला पर प्रशासन की तरफ से 10 हजार रुपए का इनाम भी घोषित था। वह पेशेवर अपराधी था जो साल 2016 से अपराध में सक्रिय था। यह गिरफ्तारी रविवार (31 जुलाई 2022) को हुई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक समीर उल्ला ने रामनवमी पर मुस्लिमों की भीड़ को जमा किया था। इसी के साथ उसी ने पथराव की शुरुआत की भी थी। वह खरगोन के मोहन टाकीज क्षेत्र का रहने वाला है। साल 2016 से वह लगातार अपनी गैंग बना कर साम्प्रदायिक तनाव फैलाने की फिराक में रहता था। आरोपित पर कुल 11 केस पहले से दर्ज बताए जा रहे हैं। खरगोन थाने की गुंडा लिस्ट में भी उसका नाम है और 13 अक्टूबर, 2021 में उसको प्रशासन द्वारा जिला बदर भी किया गया था।
पुलिस अधीक्षक श्री सिंह ने बताया कि समीर उल्ला पर पुलिस द्वारा 10 हजार रूपये का इनाम घोषित किया गया था। आरोपी को खरगोन जिले की सीमा खलटाका-बालसुमंद से पुलिस की विशेष टीम द्वारा रविवार को गिरफ्तार किया गया।
— Jansampark MP (@JansamparkMP) July 31, 2022
एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक आरोपित समीर उल्ला की गिरफ्तारी आगरा मुंबई नेशनल हाईवे पर खलटाका बालसमुद के बीच में हुई है। उसका इलाके में नाम भाई साहब था। उसकी गैंग का नाम ‘मिम’ था जिसमें उसका भाई वसी उल्ला भी शामिल था। उसकी भी गिरफ्तारी रविवार को ही की गई है। वली उल्ला को शरण देने वाले इंदौर निवासी सादिक शेख नाम के व्यक्ति की भी गिरफ्तारी हुई है।
समीर उल्ला की मिम गैंग में लगभग 150 अपराधी शामिल थे। ये सभी मांस के अवैध कारोबार के साथ रोडवेज को चूना लगा कर अवैध रूप से वाहन भी चलवाते थे। पुलिस ने आरोपित को इंदौर जेल भेजा है। पुलिस के मुताबिक उसका रिमांड ले कर उसके बाकी काले धंधों की जानकारी जुटाई जाएगी। पुलिस के मुताबिक रामनवमी हिंसा में नामजद किए गए कुल 450 नामजद आरोपितों में से अब तक 300 की गिरफ्तारी की जा चुकी है। बाकी फरार आरोपितों की तलाश में टीमें काम कर रही हैं।
— Esha (@esha13roy) August 1, 2022
गौरतलब है कि 10 अप्रैल 2022 को खरगोन में रामनवमी के दिन हिंसा भड़क गई थी। इस हिंसा में न सिर्फ हिन्दुओं की शोभा यात्रा पर पथराव हुआ था बल्कि कई हिन्दुओं के घरों में आगजनी और लूटपाट की गई थी। मामले को नियंत्रित कर रहे जिले के पुलिस अधीक्षक के पैर में भी दंगाइयों ने गोली मार दी थी।