Saturday, December 21, 2024
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जिन्होंने बाबरी मस्जिद के नीचे खोजा राम मंदिर, वैज्ञानिक तरीके से ढूँढा पांडवों का इंद्रप्रस्थ… मिला पद्म विभूषण सम्मान

उन्होंने रामायण और महाभारत में बताए गए स्थानों को चिह्नित किया और आज भी उनके दिखाए रास्ते पर ही खुदाई होती है और सनातन इतिहास के कई पन्ने हमें मिलते रहते हैं।

जिन 7 लोगों को इस वर्ष देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण के लिए चुना गया है, उनमें प्रोफेसर ब्रज बासी लाल (B.B. Lal) का नाम भी शामिल है। उन्होंने 1968-72 में ‘भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI)’ के प्रमुख के तौर पर काम किया था। उनके बारे में जानने लायक सबसे खास बात ये है कि उन्होंने ही बाबरी मस्जिद के नीचे राम मंदिर के दबे होने की बात पता लगाई थी, जिसके कारण दुनिया भर के वामपंथी इतिहासकारों ने उनकी आलोचना की थी।

उन्होंने पता लगाया था कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद की नींव के नीचे राम मंदिर है। उनका जन्म 1921 में उत्तर प्रदेश के झाँसी में हुआ था। 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया था। इसके दो दशक बाद 100 वर्ष की उम्र में उन्हें पद्म विभूषण प्राप्त हुआ है। उन्होंने जहाँ-जहाँ की खुदाई की थी, उनमें हस्तिनापुर (उत्तर प्रदेश), शिशुपालगढ़ (उड़ीसा), पुराना किला (दिल्ली) और कालीबंगन (राजस्थान) प्रमुख हैं।

प्रोफेसर बीबी लाल महाभारत में दिए गए भूगोल को सटीक मानते हैं और उन्होंने बार-बार ऐतिहासिक रूप से उसे परख कर सही भी पाया है। उनकी थ्योरी थी कि प्राचीन काल में जरूर यमुना नदी की धारा मुड़ गई होगी, जिससे पांडवों को अपनी राजधानी बदलनी पड़ी। अंततः महाभारत में उन्हें वो श्लोक मिल गया और उसके आधार पर खुदाई कर के उन्होंने साबित कर दिया कि भारी बाढ़ और यमुना की धारा बदलने के कारण राजधानी बदली थी।

1975-76 के बाद से प्रोफेसर बीबी लाल ने रामायण से जुड़े अयोध्या, भारद्वाज आश्रम, श्रृंगवेरपुरा, नंदीग्राम और चित्रकूट जैसे स्थलों की खुदाई कर दुनिया को कई महत्वपूर्ण तथ्यों से अवगत कराया और जिस हिन्दू धर्म के इतिहास को गायब कर दिया गया था, उसे पुनः जागृत किया। उन्होंने इस संबंध में 150 से भी अधिक रिसर्च आर्टिकल लिखे। उनकी पुस्तक ‘राम, उनकी ऐतिहासिकता, मंदिर और सेतु: साहित्य, पुरातत्व और अन्य विज्ञान’ ने राम मंदिर को लेकर बहस की दिशा ही बदल दी थी

लगभग 67 वर्ष पहले उन्होंने दिल्ली के पुराने किले को खोद डाला था। इसमें कई प्राचीन अवशेष मिले, जिन्हें संरक्षित किया गया। 1953 में ये देश के स्वतंत्र होने के बाद की पहली खुदाई थी। 1969-73 में फिर से उत्खनन हुआ। वो पांडवों की भव्य राजधानी इंद्रप्रस्थ के बारे में पता लगाना चाह रहे थे। दोनों बार की खुदाई का काम उनके ही नेतृत्व में हुआ था। केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल कुछ दिनों पहले उनके घर पहुँचे थे और उनका जन्मदिन मनाया था।

उन्होंने रामायण और महाभारत में बताए गए स्थानों को चिह्नित किया और आज भी उनके दिखाए रास्ते पर ही खुदाई होती है और सनातन इतिहास के कई पन्ने हमें मिलते रहते हैं। आर्य-द्रविड़ की थ्योरी को खारिज कर के उसे झूठा साबित कर देने के कारण उन्हें वामपंथी बुद्धिजीवियों की आलोचना का सामना भी करना पड़ा था। लेकिन, वो झुके नहीं और कई पुस्तकों व शोध लेखों के जरिए हिंदुत्व इतिहास को नया जीवन दिया। अब पुरातत्वविद ब्रज बासी लाल को पद्म विभूषण मिला है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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