Sunday, November 17, 2024
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दुनिया की सबसे छोटी गाय जिसका दूध है ‘अमृत’, वेदों और महर्षि विश्वामित्र से जुड़ा इतिहास: किसानों की ज़िद से ऐसे बची विलुप्त प्रजाति, PM मोदी के कारण चर्चा में

वैद्य कृष्णम राजू ने कहा कि उन्होंने कहीं से पुन्गनूर गाय की ब्रीडिंग के लिए साँड़ का वीर्य प्राप्त किया। इसके बाद कई सालों तक कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से 2 फीट तक की गाय तैयार करने में सफलता मिली। उन्होंने कहा कि ये गाय रोजाना 3 लीटर तक दूध दे सकती है।

पुन्गनूर गाय, दुनिया की सबसे छोटी गायों में से एक। इसका दूध अमृत समान होता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस गाय के साथ कई बार न सिर्फ दिख चुके हैं, बल्कि प्रधानमंत्री आवास में भी इन विशेष गायों को पाला गया है। खास बात ये है कि पुन्गनूर गाय का अस्तित्व वैदिक काल से है। महर्षि विश्वामित्र के साथ भी पुन्गनूर गाय की पौराणिक गाथा जुड़ी है। अभी दुनिया में इस तरह की सिर्फ कुछ सौ गायें ही हैं, लेकिन ये दुनिया की सबसे महँगी गायों में से एक है। एक 2.5 फिट की गाय की कीमत लाखों में होती है।

पुन्गनूर गाय के दूध में सबसे ज्यादा वसा

आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में पाई जाने वाली पुन्गनूर गाय बेहद अनूठी है। इसे ‘मदर ऑफ ऑल काउज़’ के रूप में भी जाना जाता है। पुन्गनूर गाय एक छोटी आकार की गाय है, लेकिन यह बहुत ही मजबूत और रोग प्रतिरोधी होती है। इन गायों का दूध बहुत ही पौष्टिक होता है और इसमें प्रोटीन, कैल्शियम और अन्य आवश्यक पोषक तत्वों की उच्च मात्रा होती है। खास बात ये है कि आम गाय के दूध में 3-4 प्रतिशत ही वसा पाया जाता है, लेकिन पुन्गनूर गाय की नस्ल के दूध में 8 प्रतिशत तक वसा पाया जाता है।

पुन्गनूर गाय का इतिहास प्राचीन काल से है। इन गायों का उल्लेख कई प्राचीन भारतीय ग्रंथों में मिलता है। इस गाय का उपयोग हिंदू धर्म में धार्मिक अनुष्ठानों के लिए भी किया जाता है। हाल के वर्षों में, पुन्गनूर गाय की लोकप्रियता बढ़ रही है। चित्तूर जिले के पुन्गनूर जगह पर पाई जाने वाली इस गाय की पहचान के साथ पुन्गनूर का नाम जोड़ दिया गया है। पुन्गनूर गाय को भारत के अन्य राज्यों में भी प्रचारित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री आवास से अक्सर आने वाली तस्वीरों में भी पुन्गनूर गाय दिखती है।

शहरी घरों में पालने के लिए बदलाव

यूँ तो आम पुन्गनूर गाय की लंबाई 3 से 5 फिट की होती है। पुन्गनूर गाय का अधिकतम वजन 150 से 200 किलोग्राम तक हो सकता है। पुन्गनूर की पूँछ लंबी होती है और जमीन तक जाती है। वहीं पुन्गनूर के कान बाहर और पीछे की तरफ खड़े रहते हैं। इनकी कमर के हिस्से में एक छोटा सा कर्व भी देखने को मिलता है।

आंध्र प्रदेश के काकीनाडा में एक वैद्य कृष्णम राजू ने इसकी नस्ल में सुधार का जिम्मा 15 साल पहले उठाया था। उन्होंने अपनी मेहनत और कोशिशों से इस गाय की लंबाई को 2-3 फिट तक सीमित करने में सफलता पाई है। एक मीडिया रिपोर्ट में उन्होंने दावा किया है कि पुन्गनूर गाय को पहले ब्रह्मा गाय कहते थे, लेकिन जलवायु परिवर्तन की वजह से धीरे-धीरे इसकी ऊँचाई बढ़ती गई।

वैद्य कृष्णम राजू ने कहा कि उन्होंने कहीं से पुन्गनूर गाय की ब्रीडिंग के लिए साँड़ का वीर्य प्राप्त किया। इसके बाद कई सालों तक कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से 2 फीट तक की गाय तैयार करने में सफलता मिली। उन्होंने कहा कि ये गाय रोजाना 3 लीटर तक दूध दे सकती है। शहरी घरों में अधिक से अधिक लोग पुन्गनूर गाय पाल सकें, इसलिए इसकी छोटी नस्ल विकसित की गई है। डॉक्टर कृष्णम राजू पुन्गनूर के जरिए देश के उन लोग को गाय पालना सिखा रहे हैं जो जगह या चारे की कमी की वजह से गाय नहीं पालना चाहते।

कीमत चौंकाने वाली

पुन्गनूर गाय की कीमत काफी ज्यादा है। इसकी कीमत 1 लाख रुपए से लेकर 10 लाख रुपए तक भी है। अगर जोड़ा लेना है, तो कीमत थोड़ी ज्यादा हो सकती है। हालाँकि डॉ कृष्णम राजू का दावा है कि उन्होंने पैसे लेकर एक भी गाय नहीं बेची है, बल्कि उनके यहाँ से गाय लेकर गए लोगों ने अपने स्तर पर ब्रीडिंग करा कर बेचा होगा। उन्होंने अभी तक सभी को मुफ्त में ही इन गायों को दिया है। उनका अंदाजा है कि अभी पूरे देश में इस तरह की गायों की संख्या महज 300-500 तक ही है।

वैसे, 500 तक की संख्या मिनिएचर पुन्गनूर की है। जिसकी लंबाई छोटी होती है। मूल पुन्गनूर जिसकी लंबाई 3 से 5 फिट तक है, साल 2019 के आँकड़ों के मुताबिक, उनकी संख्या 13 हजार से कुछ अधिक है।

राजू का दावा है कि उनसे कई विदेशी लोगों ने इस गाय को खरीदने की कोशिश की थी, लेकिन उन्होंने अब तक किसी विदेशी को ये गाय दी नहीं है।

आँध्र प्रदेश सरकार भी संरक्षण में जुटी

पुन्गनूर गाय को बचाने और उनकी संख्या बढ़ाने के लिए आँध्र प्रदेश सरकार भी जाग गई है। प्रदेश सरकार ने मिशन पुन्गनूर चलाया है, जिसके तहत 5 साल के लिए करीब 70 करोड़ रुपए का बजट दिया गया है। इस योजना पर कडप्पा जिले में स्थित श्री वेंकटेश्नर पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय काम कर रहा है। ऐसे में उम्मीद है कि आने वाले कुछ समय में जैसे पुन्गनूर गाय की लोकप्रियता बढ़ती है, वैसे ही इसकी संख्या भी बढ़ेगी और ये कुछ सालों में सर्वसुलभ भी हो सकेगी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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