महाराष्ट्र के पुणे के एक वकील असीम सरोदे संसद की सुरक्षा पर खतरा बनने वाले युवक अमोल शिंदे की कानूनी मदद करना चाहते हैं। दरअसल, शिंदे को दिल्ली पुलिस ने इस मामले में UAPA के तहत गिरफ्तार किया है।
25 साल के अमोल शिंदे सरोदे के ही लातूर जिला स्थित चाकुर तहसील के जरी बुद्रुक गाँव का रहने वाला है। उसकी पैरवी करते हुए सरोदे कहते हैं कि हालाँकि अमोल की हरकतें गलत थीं, लेकिन किन हालात में वो ऐसा करने के लिए मजबूर हुआ – उन्हें सुनने की जरूरत है।
सरोदे ने मीडिया से कहा, “मेरा मानना है कि अमोल शिंदे के संसद में प्रवेश करने और धुएँ के कनस्तरों का इस्तेमाल करने में शामिल अन्य लोगों ने गलत किया है क्योंकि संसद अस्मिता का प्रतीक है और पूरे भारत में निर्वाचित सदस्य वहाँ बैठते हैं। उन्हें इसके लिए सज़ा दी जानी चाहिए, लेकिन जिस तरह के कानूनी प्रावधान उनके ऊपर लगाए जा रहे हैं ऐसा मेरा कहना है कि वो गलत हैं।”
#WATCH | Mumbai: Advocate Asim Sarode says, "I believe that Amol Shinde and others involved in entering the Parliament and using smoke canisters have done wrong as the Parliament is a symbol of pride and elected members across India sit there…they should be punished for that… pic.twitter.com/znmIxfui9M
— ANI (@ANI) December 15, 2023
वकील सरोदे ने आगे कहा, “इसलिए हम अमोल शिंदे के साथ रहेंगे। हम उसे कानूनी मदद करेंगे। FIR में जो धाराएँ लगाई जा रही हैं वो सही हैं या नहीं, ये देखेंगे। उनको जमानत मिलनी चाहिए, उसके लिए प्रयास करेंगे। अगर हम केस चलने के दौरान दिल्ली नहीं जा सकेंगे तो हम वहाँ के कुछ वकील दोस्त हैं उनसे संपर्क करके और उनके साथ जुड़कर शिंदे को कानूनी सहायता देंगे।”
सरोदे ने कहा, “अमोल शिंदे और उनके दोस्तों ने जो किया है उससे उन्होंने एक बात सामने लाने की कोशिश की है कि बेरोज़गारी और ग़रीबी का मुद्दा बहुत अहम है। सरकार का जो अहम काम है वो सही नहीं हो रहा है। सरकार को बेरोज़गारी और ग़रीबी के मुद्दे को अहमियत देनी चाहिए।”
हालाँकि, इस बीच अमोल शिंदे की माँ केसरबाई और पिता धनराज शिंदे ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि क्या गलत हुआ है। उसके भाई संतोष और राहुल भी सारे मसले से अनजान हैं। हालाँकि, अमोल के माता-पिता ने आर्थिक परेशानी से गुजरने की बात स्वीकार की। उन्होंने कहा, “अमोल सशस्त्र बलों और पुलिस में भर्ती की तैयारी के लिए आगे की पढ़ाई के लिए लातूर जाना चाहता था। हालाँकि, हम उन्हें आर्थिक तौर पर मदद देने के काबिल नहीं थे।”
इस सबसे अलग एक बात ध्यान देने की है कि 13 दिसंबर को संसद में घुसकर संसद सत्र के दौरान धुएँ के कनस्तर से हमला करने वाले आरोपितों को कानूनी मदद की पेशकश करने वाले वकील असीम सरोदे कॉन्ग्रेस और राहुल गाँधी के जोरदार समर्थक हैं।
जोडना बहोत मुश्किल और तोडना आसान होता है…. राहुल गांधी मनोको जोडने की बात करते है, भारत जोडने की बात करते है….. हमारा भारत देश पे प्यार है और इसलीये हम राहुल गांधी के साथ है! #भारतजोडोयात्रा #राहुलगांधी @varungandhi80 @RahulGandhi #asimsarode pic.twitter.com/fncp9tTybT
— Asim Sarode (@AsimSarode) January 6, 2023
यही वजह रही कि उन्होंने ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में बढ़-चढ़ कर भाग लिया था और कॉन्ग्रेसी नेता राहुल गाँधी की तारीफ की थी। उन्होंने राहुल गाँधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में अपनी शिरकत का एक वीडियो साझा करते हुए लिखा था, “लोगों को एकजुट करना बहुत मुश्किल है लेकिन उन्हें बाँटना आसान है। राहुल गाँधी दिलों को जोड़ने की बात करते हैं,वह भारत को एकजुट करने की बात करते हैं। हम भारत से प्यार करते हैं और इसलिए हम राहुल गाँधी के साथ हैं!”
राहुल गाँधी के मोदी उपनाम को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले मानहानि मामले में सुप्रीम कोर्ट की राहत के बाद उन्हें वायनाड सांसद के तौर पर संसद में बहाल किया गया था। उस मौके पर भी वकील असीम सरोदे ने राहुल गाँधी का खुलकर समर्थन किया था। सरोदे ने कहा था, “संसद में फिर से वैध सवालों पर हाई वोल्टेज चर्चा देखने को मिलेगी क्योंकि लोकतांत्रिक मूल्यों वाले व्यक्ति राहुल गाँधी फिर से सक्रिय होंगे। अगर वह ‘पप्पू’ हैं तो ‘पप्पा’ संसद में मौजूद रहने और उनके उठाए जा रहे सवालों का जवाब देने का साहस दिखाएँ।”
इसके अलावा, जब सीएम एकनाथ शिंदे और 39 अन्य विधायकों ने तत्कालीन MVA सरकार के खिलाफ ‘विद्रोह’ किया। उस वक्त सात नागरिकों ने शिंदे और अन्य विद्रोही विधायकों के खिलाफ कार्रवाई की माँग करते हुए एक जनहित याचिका दायर की।
इसमें उन्होंने शिंदे पर आरोप लगाया कि कि उन्होंने राजनीतिक उथल-पुथल पैदा की है और आंतरिक अव्यवस्था को बढ़ावा दिया है। दरअसल, इन 7 नागरिकों का अगुवाई करने वाले वकील असीम सरोदे ही सही थे। तब बॉम्बे हाई कोर्ट ने उन्हें पूरी तरह से राजनीति से प्रेरित मुकदमा दायर करने के लिए फटकार लगाई थी।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ताओं पर 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया था। अदालत ने कहा था प्रथम दृष्टया हमारा विचार है कि यह राजनीति से प्रेरित मुकदमा है। याचिकाकर्ताओं ने अपेक्षित शोध नहीं किया है। हम याचिकाकर्ताओं को दो हफ्ते के भीतर सुरक्षा के रूप में 1 लाख रुपए जमा करने का निर्देश देते हैं।
इसके अलावा साल 2021 में जब भारत COVID-19 की दूसरी लहर का सामना कर रहा था, तब भी सरोदे ने हरिद्वार में कुंभ मेले के आयोजन को निशाना बनाते हुए हिंदू विरोधी बयान दिए थे। सरोदे ने हिंदू समुदाय पर निशाना साधते हुए बयान देते हुए कहा कि कुंभ मेले से कोरोना वायरस फैलेगा।
उस वक्त कथित तौर पर हिंदुओं ने सरोदे के बयानों का विरोध करते हुए कहा कि कुंभ मेला एक सदियों पुरानी परंपरा और एक पुरानी धार्मिक प्रथा थी। इस पर सरोदे ने यह कहकर विवाद खड़ा कियाा था कि वह अकबर ही थे जिन्होंने कुंभ मेले की शुरुआत की थी और वह धार्मिक स्नान करने वाले पहले व्यक्ति थे इसलिए इसे ‘शाही स्नान’ कहा जाता था।
Teesta Setalwad link emerges to the breach of Parliament security !!!
— Suresh Nakhua (सुरेश नाखुआ) 🇮🇳 (@SureshNakhua) December 15, 2023
Adv Asim Sarode, (offering to defend those involved in the breach), an active participant in Rahul Gandhi’s Bharat Jodo Yatra is also associated with Teesta Setalwad. pic.twitter.com/dweLGbrYQE
इस बीच, यह भी सामने आया है कि सरोदे के रिश्ते विवादास्पद ‘एक्टिविस्ट’ तीस्ता सीतलवाड़ से हैं। तीस्ता 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित मामलों में सबूत गढ़ने के लिए जानी जाती हैं। बीजेपी प्रवक्ता सुरेश नखुआ ने एक्स पर कहा, “राहुल गाँधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में सक्रिय भागीदार रहे जिस एडवोकेट असीम सरोदे ने संसद की सुरक्षा में खतरा बने लोगों का बचाव करने की पेशकश की है, वो भी तीस्ता सीतलवाड़ से जुड़े हुए हैं।”
गौरतलब है कि 13 दिसंबर, 2023 को संसद में सुरक्षा नियमों को तोड़ते हुए लोकसभा की कार्यवाही के दौरान ही दो शख्स आगंतुक गैलरी से लोकसभा में कूद गए। लोकसभा के एक वीडियो में संसद सदस्यों को इन 2 आरोपितों की मार कुटाई करते हुए दिखाया।
सांसदों ने घुसपैठियों के बाल नोचते, उन पर जूते फेंकते और उन्हें घेरने से पहले मुक्के मारते भी देखा गया। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने गुरुवार (14 दिसंबर, 2023) को संसद में धुआँधार हमला करने वाले सभी 4 आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस वकीलों के मुताबिक, आरोपितों ने एक पर्चा लिया था और प्रधानमंत्री मोदी को लापता व्यक्ति घोषित किया था। इसमें कहा गया था कि जो व्यक्ति उन्हें ढूँढेगा उसे स्विस बैंक से पैसे दिए जाएँगे।
इस तरह से आरोपितों ने प्रधानमंत्री को घोषित अपराधी की तरह दिखाया था। पुलिस ने अदालत को सूचित किया कि उसने भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की थी और यूएपीए अधिनियम की सख्त धारा 16 (आतंकवाद) और 18 (आतंकवाद की साजिश) भी जोड़ी गई। इस बीच पुलिस सूत्रों ने गुरुवार (14 दिसंबर, 2023) को कहा कि संसद में सुरक्षा तोड़ने के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए चार लोगों ने घटना जिम्मेदारी एक साथ ली। आरोपित दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की जाँच टीम को रटे-रटाए जवाब दे रहे थे।