मध्य प्रदेश के जबलपुर में एक ईसाई पादरी के घर पर ‘आर्थिक अपराध शाखा (EOW)’ ने छापेमारी की है। बिशप का नाम पीसी सिंह है। बताया जा रहा है कि इस दौरान तमाम नामी और बेनामी संपत्ति का खुलासा है। जानकारी के मुताबिक, कुछ ही समय पहले धर्म परिवर्तन करने वाला बिशप पीसी सिंह बेहद कम समय में अरबपति बन गया था। छापेमारी गुरुवार (8 सितम्बर, 2022) को हुई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बिशप पर बच्चों की स्कूल की फीस धार्मिक संस्थाओं पर खर्च करने का आरोप है। इसी के साथ बिशप लक्जरी लाइफ का शौक़ीन बताया जा रहा है। बताया जा रहा है कि पीसी सिंह के यहाँ से 18 हजार डॉलर, 32 महँगी घड़ियाँ, 9 लक्जरी कारें, मूलयवान कपड़े, सोने के जेवर और कैश बरामद हुआ है। छापेमारी के दौरान बिशप EOW टीम को नहीं मिला। परिजनों ने उसके जर्मनी में होने की जानकारी दी। पी सी सिंह ‘द बोर्ड ऑफ एजुकेशन चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया’ का चेयरमैन भी है।
मध्य प्रदेश के जबलपुर में ईसाई धर्मगुरु बिशप पी सी सिंह के घर #EOW के छापे में 15 लाख से ज्यादा की विदेशी मुद्रा बरामद हुई. इसमें भारी मात्रा में अमेरिकी डॉलर और ब्रिटिश पाउंड शामिल है. इसके साथ ही उनके घर से नगद एक करोड़ 65 लाख रुपये भी जब्त किये गए हैं. pic.twitter.com/SO69MrefoN
— Shalini Singh (@shalinisengar23) September 9, 2022
इस छापेमारी की जानकारी देते हुए EOW के SP देवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि उन्हें ‘द बोर्ड ऑफ एजुकेशन चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया’ में होने वाली वित्तीय अनियमितता की शिकायत साल 2015 में ही मिली थी। देवेंद्र प्रताप के मुताबिक, इस शिकायत की जाँच DSP मंजीत सिंह से करवाई गई तो पाया गया कि साल 2003 से 2011 तक 2 करोड़ 70 लाख रुपए ट्रांसफर हुए हैं। SP ने बताया कि इस मामले में FIR दर्ज की गई है। इसी के साथ देवेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि कुछ अन्य थानों में आरोपित के खिलाफ केस दर्ज मिले हैं।
छापेमारी के वायरल हो रहे विजुअल में नोट गिनने वाली मशीनें दिखाई दे रहीं हैं। इसी के साथ आर्थिक अपराध शाखा के अधिकारी भी मौके पर दिख रहे हैं। मिली जानकारी के मुताबिक, पीसी सिंह के 2 स्कूल और अलग-अलग जगहों पर 3 मकान हैं। बिशप का बेटा पियूष पॉल क्राइस्ट चर्च बॉयज स्कूल का प्रिंसिपल है। बिशप पी सी सिंह क्लास 12 के बाद धर्मांतरित हुआ था। उसकी मज़हबी शिक्षा दिल्ली में हुई थी।
दिल्ली से लौट कर उसने लगभग 5 वर्षों तक जबलपुर के एक चर्च में बतौर पादरी काम किया। इसके बाद उसे बिशप की पदवी दे दी गई। आरोप है कि बिशप बन जाने के बाद उनकी संपत्ति में तेजी से इजाफा हुआ।