राजस्थान के बाड़मेर की एक विशेष अदालत ने पाकिस्तान से विस्फोटक पदार्थ, हथियार और गोला-बारूद की तस्करी के 11 साल पुराने मामले में 10 लोगों को दोषी ठहराते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इन दोषियों में से एक, आंतकी संगठन बब्बर खालसा का सदस्य भी शामिल है। जो विस्फोटकों की खेप लेने के लिए बाड़मेर आया था।
Rajasthan: A court in Barmer sentences 10 people to life imprisonment in a case related to the recovery of 15 kgs of RDX and arms and ammunition in 2009.
— ANI (@ANI) August 25, 2020
रिपोर्ट्स के अनुसार, सदर थाना पुलिस ने सितंबर 2009 सीमा पार पाकिस्तान से आतंकी संगठन बब्बर खालसा के लिए आए आरडीएक्स और हथियार सदर थाना पुलिस ने बरामद कर 10 आरोपितों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया था। इस मामले में 11 साल तक चले इस ट्रायल के बाद एससी-एसटी कोर्ट न्यायधीश वमिता सिंह ने आज सभी 10 आरोपितों को विस्फोटक अधिनियम एवं आर्म्स एक्ट की विभिन्न धाराओं में दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। राज्य सरकार की ओर से इस मामले में पैरवी विशिष्ट अभियोजक कमाल खान ने की।
इस दौरान सभी 10 आरोपी कोर्ट में मौजूद रहे। बता दें इस पूरे मामले में चार अन्य आरोपित अभी भी फरार हैं। जिसमें दो पाकिस्तानी कुख्यात तस्कर फोटिया उर्फ़ लंबू और अली उर्फ़ आलिया पाकिस्तान में हैं। वहीं हरजोत सिंह और परमजीत उर्फ पंपा लंदन में छिपे है।
8 सितम्बर 2009 में पुलिस को बाड़मेर में हथियार और आरडीएक्स की सीमा पार से बड़ी खेप आने की सूचना मिली थी। इस मामले में जब्त हथियारों व बारुद की आपूर्ति कथित तौर पर आतंकवादी संगठन बब्बर खालसा को की जानी थी। पुलिस ने बाड़मेर जिले के मारुड़ी के निकट सोढिया खान उर्फ सोबदा खान, नजीर मिरु खान व नजीर जिम्मा खान को गिरफ्तार किया था। निशानदेही पर एक खेत से 8 विदेशी पिस्टल, 140 राउंड बॉल कॉटेज, 280 राउंड कॉटेज, 720 ग्राम के वायर, 6 किलोग्राम आरडीएक्स, 2 बैटरियाँ बरामद की गई थी।
इन्हें हुई उम्रकैद
आरोपितों के खिलाफ 11 साल चली इस सुनवाई की बाद आखिरकार मंगलवार को गुनहगारों को सजा दी गई। बाड़मेर में एससी/एसटी अदालत की विशेष न्यायाधीश वामिता सिंह ने अपने फैसले में सोढ़ा खान उर्फ सोबदार उर्फ लूणिया, नजीर पुत्र मीरू, नजीर पुत्र जिया, खानु खाँ उर्फ खानिया, जगमोहन सिंह, रमधा पुत्र मूसा, मूसा पुत्र सदीक, कलिया उर्फ कलाखां, मुबारक पुत्र हाजी और मीरू पुत्र बाबल को धारा 20 विधि विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम 2008 के दोषसिद्ध अपराध के लिए आजीवन कारावास (14 वर्ष) और दस-दस हजार रुपए के अर्थदण्ड की सजा सुनाई।