जब देश कोरोना वायरस की दूसरी लहर के प्रकोप से जूझ रहा था और ऑक्सीजन संकट से गुजर रहा था, तब राजस्थान की कॉन्ग्रेस सरकार ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर की खरीद में अनियमितताओं में व्यस्त थी। दैनिक भास्कर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर की खरीद में सामान्य से कई गुना अधिक कीमत का भुगतान किया। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह खरीद तब की गई, जब देश में ऑक्सीजन संकट समाप्त हो चुका था।
इस पूरे खरीद मामले में गौर करने वाली जो पहली बात है, वह यह है कि कॉन्ग्रेस सरकार ने कंसन्ट्रेटर की खरीद सीधे निर्माता से न करके बिचौलियों के जरिए निजी कंपनियों से किया। दूसरा, ₹35,000-₹40,000 के कंसन्ट्रेटर को कॉन्ग्रेस सरकार ने ₹1,00,000 में खरीदा, जो कि उसके वास्तविक मूल्य का लगभग 2.5 गुना है। तीसरी सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि राज्य में कोरोना का पीक खत्म होने और अप्रैल में उत्पन्न हुई ऑक्सीजन संकट खत्म हो जाने के बाद ये कंसन्ट्रेटर 2 मई को खरीदे गए।
इसका परिणाम यह हुआ कि अधिकांश ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर राज्य भर के अस्पतालों में बिखरे पड़े हैं। भास्कर की टीम राज्य के 11 जिलों के 65 स्वास्थ्य केंद्रों पर पहुँचकर वास्तविक मूल्य से अधिक कीमत पर खरीदे गए कंसन्ट्रेटर के बारे में सच्चाई जाननी चाही।
भास्कर की टीम ने कॉन्ग्रेस सरकार को कंसन्ट्रेटर उपलब्ध कराने वाली कंपनी से जब बात की तो वह ₹35,000-₹40,000 में कंसन्ट्रेटर उपलब्ध कराने के लिए तैयार हो गई। नाम नहीं छापने की शर्त पर उन निजी कंपनियों में से एक ने भास्कर टीम को बताया कि जब राज्य कोरोना वायरस की दूसरी लहर से जूझ रहा था, उस समय भी 5 लीटर की क्षमता वाले एक कंसन्ट्रेटर की लागत ₹35,000-₹40,000 रुपए ही थी, ₹1,00,000 नहीं।
ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर की खरीद के लिए निर्धारित विधायक फंडों की जाँच करने पर भास्कर टीम ने पाया कि प्रति मशीन 1.06 लाख की दर से कुल 948 कंसन्ट्रेटर खरीदे गए थे। राजस्थान के ग्रामीण विकास विभाग की वेबसाइट के मुताबिक, भिलावाड़ा, राजसमंद, कोटा, नागौर, झुंझुनू, अलवर, बरान और चित्तर के कई क्षेत्रों में कंसन्ट्रेटर को ₹1,00,00 से ₹1,25,000 में खरीदी गई थी।
इसके अलावा, टीम ने पाया कि महँगे खरीदे गए इन ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर की गुणवत्ता भी ठीक नहीं है। बांदुकिया के कोविड केंद्रों में से एक पर टीम ने कंसन्ट्रेटर से ऑक्सीजन की शुद्धता 5 लीटर प्रति मिनट पर केवल 30 प्रतिशत ही पाया। यहाँ तक कि राज्य के कई अस्पतालों ने सरकार द्वारा खरीदे गए दोषपूर्ण कंसन्ट्रेटर पर अपनी आपत्ति जताई। भरतपुर मेडिकल कॉलेज ने जयपुर में राज्य सरकार के अधिकारियों को एक पत्र दिया, जिसमें घटिया कंसन्ट्रेटर के विरोध की बात कही गई थी। इस पत्र में आरोप लगाया कि कंसन्ट्रेटर उल्लेखित शर्तों को पूरा नहीं करता है।
विभिन्न जिलों के डॉक्टरों और विधायकों ने राज्य सरकार को पत्र लिखकर बताया कि सरकार द्वारा खरीदे गए घटिया ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर घटिया और कोविड -19 रोगियों के लिए उपयोग करने लायक नहीं हैं।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने जिन कंपनियों से ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर खरीदा था, उनका नाम पहले ही घोटालों में आ चुका है। दरअसल, 5 साल पहले हुए एनएचएम घोटाले में कमीशन बाँटने वाले व्यक्ति की फर्म के माध्यम से इन कंसन्ट्रेटर की खरीद की गई है।