Saturday, November 23, 2024
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‘वे हमें यहाँ नहीं रहने देंगे, हमें कभी भी मार सकते हैं’: करौली की जली हुई दुकानों में ‘यह प्रॉपर्टी बिकाऊ’ है का पोस्टर लिए हिंदुओं को सुनिए

"हमारी दुकानों को करौली में जला दिया गया। सारा सामान लूट लिया गया। इससे हमें बहुत नुकसान हुआ है। अब हम वहाँ नहीं रहेंगे, वहाँ से चले जाएँगे। वे लोग हमें यहाँ नहीं रहने देंगे।"

राजस्थान में करौली में हिंसा (Rajasthan Karauli Violence) के बाद स्थानीय हिंदू पलायन करने को मजबूर हो गए हैं। वे इतने डरे-सहमे हैं कि दूसरी जगहों पर अपना ठिकाना तलाश रहे। जली हुई दुकानों के बाहर हाथों में ‘यह प्रॉपर्टी बिकाऊ है’ के पोस्टर लेकर खड़े हैं।

रिपब्लिक भारत के अनुसार, स्थानीय हिंदू परिवारों में डर का माहौल है। प्रॉपर्टी बेचने के ​अलावा उनके पास कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है। ऐसे ही एक हिंदू दुकानदार ने बताया, “​हमारे पास पलायन करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है। हमें बहुत नुकसान पहुँचा है। हमें बाजारों का पैसा भी देना है। मजबूरी में अपनी प्रॉपर्टी बेचनी पड़ रही है। इस दशहत के माहौल में हम नहीं जी सकते हैं। इसलिए हमने पलायन करने का फैसला किया है, क्योंकि ये लोग आगे भी हमारे साथ बहुत कुछ कर सकते हैं।”

एक बुजुर्ग ने कहा कि यहाँ फिर से कभी भी हिंसा हो सकती है। हमें यहाँ पर नहीं रहना है। एक और हिंदू दुकानदार जो काफी डरा हुआ था उसने कहा, “मैं भी यहाँ नहीं रहूँगा। मेरे अंदर इन लोगों का डर बैठ चुका है। ये हमें कभी भी मार सकते हैं। हमारी जान को खतरा है।”

हेमंत अग्रवाल नाम के एक दुकानदार ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए इंडिया टीवी को बताया, “हमारी दुकानों को करौली में जला दिया गया। सारा सामान लूट लिया गया। इससे हमें बहुत नुकसान हुआ है। अब हम वहाँ नहीं रहेंगे, वहाँ से चले जाएँगे। वे लोग हमें यहाँ नहीं रहने देंगे।”

चंद्रशेखर गर्ग नाम के एक अन्य दुकानदार ने बताया, “उस दिन (2 अप्रैल) करीब 3 से 4 बजे के बीच मुस्लिम दुकानदारों ने अपनी दुकानों को बंद करना शुरू कर दिया था। साढ़े 6 बजे के करीब जब बाजार में भीड़ जमा होने लगी तो हमने अपनी दुकाना लगाना शुरू कर दिया। तभी उन लोगों (मुस्लिम) ने इसका विरोध किया। जब हमने उनका विरोध किया तो उन्होंने हमें वहाँ से भगा दिया। हमें जान से मारने की धमकी भी दी गई। हमारे घर जाने के बाद उन लोगों ने हमारी दुकानों को लूटा फिर उसमें आग लगा दी। हमें काफी आर्थिक नुकसान हुआ है। हम यहाँ से पलायन करेंगे और कोई दूसरा काम तलाशेंगे। हमारी 60 साल पुरानी दुकान है, लेकिन हमें इसे छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है। हमने हमेशा भाईचारा बनाए रखा, लेकिन हमें क्या पता था कि यही लोग हमारे साथ धोखा करेंगे और हमारी पैतृक दुकानों को आग के हवाले कर देंगे।”

करौली हिंसा

गौरतलब है कि करौली में हिंदू नव वर्ष के जुलूस पर 2 अप्रैल को हिंसा हुई थी। दुकानों में आगजनी की गई। इसमें पुष्पेंद्र नाम का एक युवक गंभीर रूप से घायल हो गया था। उसके शरीर पर चाकू से हमले के निशान थे। उपद्रवियों को काबू करते हुए पुलिस के 4 जवान भी घायल हुए थे। कुल 43 लोगों के घायल होने की खबर मीडिया में आई थी। इसके बाद मामले में जाँच शुरू हुई और पीएफआई का एक पत्र सामने आया, जिसने इस हिंसा के सुनियोजित होने की ओर इशारा किया। बाद में कॉन्ग्रेसी नेता मतबूल अहमद की भूमिका भी हिंसा में पाई गई।

राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने भी इस हिंसा को सुनियोजित बताया था। उन्होंने कहा था कि करौली हिंसा के दौरान जिस तरह से पथराव किया गया, उससे साबित होता है कि इसे सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया और इसे रोका जा सकता था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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