प्रशांत भूषण और न्यायतंत्र के खिलाफ अवमानना के मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए इंडिया टुडे के संपादक राजदीप सरदेसाई के ट्वीट को लेकर उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, जिस याचिका में राजदीप सरदेसाई के खिलाफ देश की न्यायपालिका को लेकर विवादित टिप्पणी करने के लिए अवमानना की कार्रवाई की माँग की गई थी, उसमें यह भी कहा गया कि राजदीप सरदेसाई के ट्वीट से पता चलता है कि ये न केवल लोगों के बीच प्रचार का एक सस्ता स्टंट था बल्कि भारत विरोधी अभियान के रूप में नफरत फैलाने का जानबूझकर एक प्रयास किया गया था।
[BREAKING] Petition in Supreme Court urges for contempt proceedings against @sardesairajdeep for his tweets on the suo motu contempt case of Prashant Bhushan’s and issues concerning judiciary@pbhushan1 #SupremeCourt #contemptofcourt pic.twitter.com/wTdSC655of
— Bar & Bench (@barandbench) September 10, 2020
याचिकाकर्ता ने राजदीप सरदेसाई के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल की सहमति भी माँगी है।
सर्वोच्च न्यायालय के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए विवादास्पद वामपंथी गिरोह के कार्यकर्ता प्रशांत भूषण को दोषी ठहराए जाने के बाद राजदीप सरदेसाई ने सुप्रीम कोर्ट की आलोचना की थी।
हालाँकि यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि उनके किस ट्वीट को लेकर न्यायपालिका की अवमानना पर याचिका दायर की गई है, यहाँ कुछ ट्वीट्स है जिसे राजदीप सरदेसाई ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा प्रशांत भूषण को उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही में दोषी ठहराए जाने के बाद किए थे।
More on @pbhushan1 case: FYI: Sec 67 of IPC stipulates – if fine < Rs. 50/- ,imprisonment can’t exceed 2 months. SC has given 3 months.
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) August 31, 2020
2. SC has no authority to debar practice – 5 Judge Bench ruling of SC in VC Misra’s case. Why can’t SC just apologise and be done with it!🙏
राजदीप सरदेसाई ने एक अन्य ट्वीट में प्रशांत भूषण मामले पर दिए गए फैसले पर सर्वोच्च न्यायालय की आलोचना करते हुए दावा किया कि शीर्ष अदालत के पास अवमानना मामले की सुनवाई के लिए समय था जबकि कश्मीर में हिरासत में लिए गए लोगों की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका एक साल से अधिक समय से लंबित पड़ी थी।
Breaking: @pbhushan1 held guilty of contempt by SC, sentence to be pronounced on August 20.. this even as habeas corpus petitions of those detained in Kashmir for more than a year remain pending! 🙏
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) August 14, 2020
उन्होंने यह भी कहा था कि भूषण को कोर्ट केस की अवमानना में दी गई सजा सुप्रीम कोर्ट के लिए खुद में एक शर्मिंदगी है।
Breaking: Rs 1 token fine imposed by SC on @pbhushan1 in contempt case.. if he doesn’t pay it, then 3 months jail sentence! Clearly, court looking to wriggle out of an embarrassment of its own making.
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) August 31, 2020
एक और ट्वीट में उन्होंने अदालतों को काम करने का तरीका भी बताया था।
Am told @TwitterIndia has already agreed to delete the tweets even before @pbhushan1 can file his response! So much for free speech. Now, if only twitter and the courts would act against the real hate mongers! #PrashantBhushan https://t.co/rFiGyqYzPg
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) July 22, 2020
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य न्यायाधीश की अवमानना के मसले पर प्रसिद्ध वकील प्रशांत भूषण पर एक रुपए का ज़ुर्माना लगाया था। कोर्ट ने ज़ुर्माना न भर पाने की सूरत में तीन महीने की क़ैद तथा साथ ही तीन साल के लिए वकालत पर प्रतिबंध लगाया था। हालाँकि बेशर्मी से माफी नहीं मॉंगने की बात कहने वाले भूषण अब जुर्माना भरने को तैयार हो गए थे।
प्रशांत भूषण ने कहा है कि उनके ट्वीट्स का उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट की अवमानना नहीं था, वे सुप्रीम कोर्ट के अपने शानदार रिकॉर्ड से भटकने को लेकर नाराजगी की वजह से किए गए थे। भूषण ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के द्वारा लगाए गए जुर्माने की रिव्यू पिटिशन फाइल करने का मुझे अधिकार है। कोर्ट ने मुझ पर जो जुर्माना लगाया है, उसका मैं एक नागरिक को तौर पर कर्तव्य निभाते हुए भुगतान करूँगा।”