बीबी लाल के नाम से प्रसिद्ध पुरातत्वविद् ब्रज बसी लाल का 101 साल की उम्र में निधन हो गया है। सन 1921 में जन्मे और पद्म विभूषण से सम्मानित बीबी लाल ने बाबारी मस्जिद के नीचे राम मंदिर को खोजा था। उन्होंने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टीज के निदेशक के रूप में भी कार्य किया।
भाजपा सरकार के मंत्री जी किशन रेड्डी ने पुरातत्वविद के निधन पर संवेदना व्यक्त की। उन्होंने लिखा, “प्रो बीबी लाल जी के निधन से हमने उन प्रतिभाशाली दिमागों में से एक को खो दिया है, जिन्होंने 4 दशकों से अधिक समय तक हमारे पुरातात्विक उत्खनन और प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान दिया।”
In the passing of Prof BB Lal Ji, we have lost one of the brightest minds who has contributed significantly towards our archeological excavations & endeavours and trained archeologists for over 4 decades.
— G Kishan Reddy (@kishanreddybjp) September 10, 2022
My thoughts and prayers are with the bereaved family.
Om Shanti. pic.twitter.com/sZlvBCMCLq
लाल 1968 और 1972 के बीच भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के महानिदेशक थे और उन्होंने अयोध्या में रामजन्मभूमि स्थल पर खुदाई का नेतृत्व किया था। उनके नेतृत्व में ASI ने साइट पर एक प्राचीन मंदिर के अस्तित्व को साबित किया था।
वयोवृद्ध पुरातत्वविद् ने रामायण में संदर्भ वाले कुछ स्थलों की जाँच के लिए 1975 और 1976 के बीच रामायण के पुरातत्व नामक एक परियोजना की अगुआई की की थी। टीम में नौ सदस्य थे, जिनमें से पाँच पुरातत्वविद प्रोफेसर लाल, डॉ केपी नौटियाल, एसके श्रीवास्तव, आरके चतुर्वेदी और केएम अस्थाना जीवाजी विश्वविद्यालय से थे।
इस टीम में महदावा एन कटी, एलएम वहल और एमएस मणि नाम के तीन सदस्य एएसआई से थे और हेम राज नामक एक सदस्य पुरातत्व विभाग, उत्तर प्रदेश से थे। प्रोफेसर लाल के अनुसार, रामायण से जुड़े पाँच स्थलों अयोध्या, नंदीग्राम, श्रृंगवेरापुर, भारद्वाज आश्रम और चित्रकूट में खुदाई की गई थी।
उन्होंने बाबरी ढाँचे के ठीक दक्षिण में क्षेत्र की खुदाई करते समय स्तंभ मिलने के प्रमाण दिए थे। उन्होंने बाबरी ढाँचे के पास स्तंभ आधारों की खोज के बारे में सात पन्नों की प्रारंभिक रिपोर्ट लिखी थी। हालाँकि, खोज के बाद क्षेत्र से सभी तकनीकी सुविधाओं को वापस ले लिया गया और परियोजना को रोक दिया गया था।
प्रोफेसर लाल के बार-बार अनुरोध के बावजूद इसे फिर से शुरू नहीं किया गया और 10-12 साल तक बंद रहा। अंतिम रिपोर्ट कभी प्रस्तुत नहीं की गई थी, लेकिन उनकी प्रारंभिक रिपोर्ट भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद द्वारा 1989 में रामायण और महाभारत की ऐतिहासिकता पर अपने खंड में प्रकाशित की गई थी।
एक प्राचीन मंदिर के अवशेषों में बबडी संरचना का पता लगाने में बीबी लाल का बड़ा योगदान था, जो राम मंदिर के समर्थन में एक प्रमुख तर्क था। बाद में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मंदिर के पक्ष में ही फैसला सुनाया। उनके कार्यों को देखते हुए 9 नवंबर 2021 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रोफेसर बीबी लाल को भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण से सम्मानित किया। वर्ष 2000 में उन्हें पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।