लोगों की मदद के नाम पर ‘केटो’ क्राउडफंडिंग वेबसाइट के जरिए धन की उगाही और पैसे की गड़बड़ी के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) द्वारा प्रोपेगेंडा पत्रकार राणा अयूब (Rana Ayyub) की 1.77 करोड़ रुपए की संपत्ति को जब्त किए जाने के बाद अब राणा अयूब ने विक्टिम कार्ड खेला है। उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई को पूरी तरह से आधारहीन करार दिया है।
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— Rana Ayyub (@RanaAyyub) February 11, 2022
राणा अयूब ने 4 पन्नों के अपने स्पष्टीकरण में बताया कि 2020 में जब कोरोना शुरू हुआ था तो उन्होंने गरीबों की मदद करने के लिए अप्रैल 2020, जून 2020 औऱ मई 2021 में केटो प्लेटफॉर्म पर फंडरेजिंग कैम्पेन शुरू किया था। ईडी के आरोपों का जबाव देते हुए राणा अयूब ने सफाई दी कि जब उन्होंने क्राउडफंडिंग शुरू की तो केटो ने उनसे दो बैंक अकाउंट की डिटेल्स माँगी, जिसमें इकट्ठे किए गए धन को ट्रांसफर किया जाना था। इस मसले पर राणा अयूब कहती हैं कि उस दौरान उनके पास पैन कार्ड नहीं था। कोरोना पीड़ितों की मदद करना भी आवश्यक था। इसीलिए मैंने अपने अब्बू और बहन के अकाउंट की डिटेल्स दी थी।
फंड के खर्चे को लेकर राणा अयूब ने ये स्वीकार किया कि उनके द्वारा जुटाए गए फंड का एक हिस्सा मुस्लिमों को रमजान के महीने में जकात के तौर पर दिया गया था। वो कहती हैं कि एक मुस्लिम होने के कारण वो जकात और उसकी पवित्रता के लिए इसके उपयोग को समझती हैं।
राणा ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहती हैं कि वो लोगों के राहत कार्य के लिए काम करते हुए खुद भी कोरोना पॉजिटिव हुई थीं। उसने कोरोना में अपने दो स्वयंसेवकों को भी खोया। वो स्ल्पि डिस्क की भी शिकार हुई। राणा ने दावा किया कि फंड रेजिंग कैम्पेन के दौरान उन्हें किसी भी तरह का विदेशी दान नहीं मिला था। उन्होंने दावा किया कि उसने एफसीआरए कानूनों को तहत कोई अपराध नहीं किया है। इसके साथ ही राणा अयूब ने ये भी दावा किया है कि अगर उसे किसी तरह की कोई विदेशी आय प्राप्त हुई है तो वो केवल उसके पेशेवर शुल्क के कारण जो अपराध नहीं है।
प्रोपेगेंडा पत्रकार ने उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा उसके खिलाफ दर्ज किए गए एफआईआर को भी पूरी तरह से निराधार बताया है। अयूब ने उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों को बेबुनियाद और दुर्भावनापूर्ण करार दिया है। साथ ही उसने ये भी दावा किया कि उसके बैंक स्टेटमेंट के रिकॉर्ड को गलत तरीके से पढ़ा गया।
इसके साथ ही राणा अयूब ने ईडी द्वारा अटैच की गई उसकी संपत्तियों को लेकर कहा कि इसको लेकर उन्हें अभी तक कोई कॉपी नहीं मिली है।
गौरतलब है कि पत्रकार राणा अयूब के खिलाफ गाजियाबाद के इंदिरापुरम पुलिस स्टेशन में 7 सितंबर 2021 को आईपीसी की धारा 403, 406, 418, 420, आईटी अधिनियम की धारा 66 डी और मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट-2002 की धारा 4 के तहत प्राथमिकी दर्ज किया गया था। इसमें अयूब पर ये आरोप लगाया गया था है कि उसने चैरिटी के नाम पर गलत तरीके से आम जनता से धन की वसूली की थी। हिंदू आईटी सेल के विकास शाकृत्यायन ने अगस्त 2021 में ये एफआईआर दर्ज करवाया था।
प्राथमिकी में राणा द्वारा चलाए गए तीन अभियानों का जिक्र किया गया है।
- A) अप्रैल-मई 2020 के दौरान झुग्गीवासियों और किसानों के कल्याण के नाम पर धन की उगाही।
- (B) जून-सितंबर 2020 के दौरान असम, बिहार और महाराष्ट्र के लिए राहत कार्य के नाम पर वसूली।
- (C) मई-जून 2021 के दौरान भारत में कोविड-19 से प्रभावित लोगों के लिए सहायता के लिए।
इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय को 11 नवंबर 2021 को शिकायतकर्ता ने इस मामले की जानकारी के साथ एक ईमेल भेजा था। इसमें उसने केटो द्वारा डोनर्स को भेजे गए एक पत्र को भी अटैच किया था। केटो ने दान करने वाले लोगों को बताया कि तीन अभियानों के लिए ₹1.90 करोड़ और 1.09 लाख डॉलर (कुल 2.69 करोड़ रुपए) मिले थे, जिसमें से केवल ₹1.25 करोड़ खर्च किए गए हैं। केटो के पत्र में कहा गया है, “दानदाताओं को उपयोग किए गए धन के विवरण के लिए कैम्पेनर [email protected] से संपर्क करना होगा।”
ईमेल मिलने के बाद जब प्रवर्तन निदेशालय ने मामले की जानकारी के लिए केटो से संपर्क किया। ईडी के एक्शन के बाद 15 नवंबर 2021 को केटो फाउंडेशन के वरुण सेठ ने ईडी को जानकारी दी और कहा:
- फंड रेजिंग कैम्पेन को ‘www.ketto.org’ वेबसाइट के जरिए शुरू किया था, जो कि ऑनलाइन माध्यम से शुरू किए गए थे, जो एक निजी कंपनी केटो ऑनलाइन वेंचर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा संचालित किया जा रहा है। वरण सेठ इसके निदेशकों में से एक हैं।
- राणा अयूब ने 23 अगस्त 2021 को केटो को एक ईमेल भेजा था, जिसमें उसने जानकारी दी थी कि उसे केटो से कुल ₹2.70 करोड़ रुपए की राशि मिली थी, जिसमें से उन्होंने लगभग ₹1.25 करोड़ खर्च किए और उन्हें कर के रूप में फंड से ₹90 लाख का भुगतान करना बाकी है। जबकि उसने 50 लाख रुपए को छोड़ दिया, जो लाभार्थियों तक पहुँचे ही नहीं।