झारखंड की राजधानी राँची में प्रर्वतन निदेशालय (ED) की टीम ने सोमवार (6 मई 2024) राज्य सरकार में मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव लाल और नौकर जहाँगीर आलम के घर से करोड़ों की नकदी बरामद की। इसके बाद दोनों लोगों से ED की लगातार पूछताछ चल रही है। इसमें चौंकाने वाले खुलासे सामने आ रहे हैं। ये कहानी कुछ-कुछ चारा घोटाले में मोपेड पर सांड ढोने जैसी है।
रिमांड में पूछताछ के दौरान प्रवर्तन निदेशालय को जानकारी मिली कि संजीव लाल का नौकर जहाँगीर आलम बैग एवं थैले में नोट भरकर अपनी स्कूटी से घर लाता था। उसका घर हरमू रोड के सर सैय्यद अपार्टमेंट स्थित फ्लैट में है। उसके इसी फ्लैट से ED ने 32.20 करोड़ रुपए बरामद किए थे। इसके साथ ही उसकी स्कूटी को भी जब्त कर ली गई है।
टेंडर घोटाले से जुड़े मामले में छापेमारी के बाद मिले इन रुपयों को लेकर दोनों आरोपित नई-नई कहानियाँ गढ़ रहे हैं। संजीव लाल ने बताया कि जहाँगीर के घर से बरामद रुपए उनके नहीं हैं। उन्होंने कहा, “समझ ही नहीं पा रहा हूँ कि जहाँगीर के घर इतने पैसे कहाँ से आए।” संजीव ने जहाँगीर से सिर्फ अपनी जान-पहचान बताई। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, उनका और कोई रिश्ता नहीं है।
वहीं, जहाँगीर आलम ने भी साफ मना कर दिया कि ये रुपए उसके नहीं हैं। जहाँगीर आलम इस पैसे को किसी अनजान मास्क वाले व्यक्ति का पैसा बता रहा है। जहाँगीर का कहना है कि मास्क वाला आदमी कभी उसे फोन करके बुलाता है तो कभी दरवाजा खटखटाता है और बैग देकर चला जाता है। उसने कहा कि मास्क वाले से सवाल किए बिना ही वह रुपयों से भरा थैला अपने घर में रख लेता था।
ED संजीव लाल और उनके नौकर जहाँगीर आलम की रिमांड अवधि के दौरान ही ठेकेदार मुन्ना सिंह और राजीव सिंह से पूछताछ करने की तैयारी कर रही है। प्रर्वतन निदेशालय ने राँची के हटिया में सिंह मोड़ के रहने वाले राजीव के ठिकाने पर छापेमारी की थी, जिसमें 2.14 करोड़ रुपए बरामद किए गए थे। ईडी पूछताछ में इसका स्रोत जानने की कोशिश करेगी।
इसी राँची और उससे सटे आसपास के जिलों में लालू यादव के मुख्यमंत्री रहते हुए चारा घोटाले को अंजाम दिया गया था। उस दौरान भी कुछ ऐसी ही कहानी गढ़ी गई थी। डोरंडा कोषागार से लगभग 140 करोड़ रुपए की अवैध निकासी की गई थी। इस घोटाले में लाखों टन भूसा, पुआल, पीली मकई, बदाम खली, नमक आदि स्कूटर, बाइक और मोपेड पर ढोए गए थे।
इतना ही नहीं, हरियाणा से बढ़िया नस्ल के सांड़, बछिया और हाईब्रिड भैंस भी स्कूटर और मोपेड से झारखंड लाए गए थे। ये सब इसलिए किया गया था, ताकि यहाँ अच्छी नस्ल की गाय और भैंसों का उत्पादन किया जा सके। चारा घोटाले का यह सब खेल बिहार (तब झारखंड भी बिहार का ही हिस्सा था) के मुख्यमंत्री रहते हुए लालू यादव की निगरानी में सन 1990 से 1992 के बीच खेला गया है।
अब झारखंड अलग हो गया है, लेकिन घोटालों का दौर रुकने का नाम ले रहा है। मुख्यमंत्री रहते हुए हेमंत सोरेन पर जमीन खरीद से लेकर खनन तक के आरोप हैं। फिलहाल वे घोटाले में ही जेल में बंद हैं। उसी राज्य में जहाँ मोपेड सो गाय-सांड ढोए गए थे, अब स्कूटी से नोटों की गड्डियाँ ढोई जा रही हैं। वह भी अनजान मास्क वाले व्यक्ति के देने पर।