पूर्व चीफ जस्टिस और अयोध्या के राम जन्मभूमि मामले पर ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाले रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) की आत्मकथा ‘जस्टिस फॉर द जज’ (Justice for the Judge) का लोकार्पण बुधवार (8 दिसंबर 2021) को हुआ। इस किताब को लेकर उन्होंने एक ऐसे शख्स का जिक्र किया, जिसको उन्होंने राम जन्मभूमि मामले के फैसले में बाधा डालने से रोका था।
पूर्व चीफ जस्टिस ने बताया कि 16 अक्टूबर, 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, लेकिन उस दिन एक शख्स ने सुप्रीम कोर्ट में प्रवेश कर इस फैसले पर रुकावट डालने का प्रयास किया था। हालाँकि, 9 नवंबर 2019 को इस मामले पर सुनवाई हुई और हिंदुओं के पक्ष में फैसला सुनाया गया।
वर्तमान में राज्यसभा सांसद रंजन गोगोई ने इसका भी खुलासा किया है कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में पेश हुए वकीलों में से एक न्यायपालिका के कार्य में बाधा डाल रहा था। उसे जस्टिस गोगोई के आदेश के बाद अदालत में आने से रोक दिया गया था। जस्टिस गोगोई ने बताया कि ऐसा उन्होंने इसलिए किया क्योंकि उन्हें आभास हो गया था कि उस शख्स का उद्देश्य केवल सुनवाई को बाधित करना था।
पूर्व सीजेआई ने कहा कि अगर वह शख्स अदालत में प्रवेश कर जाता, तो इससे कोर्ट का कामकाज प्रभावित होता और कोर्ट को इस मामले को स्थगित करना पड़ सकता था। अयोध्या मामले पर ऐतिहासिक फैसला सुनाने वाले गोगोई ने उस शख्स को लेकर टाइम्स ऑफ़ इंडिया को बताया, “मैं उसकी पहचान कभी नहीं बताऊँगा।”
लोहे के पेन और हीरे की निब से लिखी गई पुस्तक
बता दें कि नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी में पूर्व सीजेआई की आत्मकथा का लोकार्पण हुआ। उस समय उनके साथ पूर्व चीफ जस्टिस एसए बोबडे भी थे। जस्टिस बोबडे ने कहा कि यह पुस्तक लोहे के पेन और हीरे की निब से लिखी गई है।
17 नवंबर, 2019 को रिटायर हुए रंजन गोगोई की आत्मकथा के लोकार्पण पर बोबडे के अलावा सुप्रीम कोर्ट के जज, पूर्व कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद व अन्य लोग भी मौजूद थे। इस दौरान गोगोई ने अयोध्या मामले को प्राथमिकता देने और कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन के मामले और अनुच्छेद-370 को हटाए जाने के मामले को प्राथमिकता न दिए जाने के सवालों पर कहा कि अयोध्या का मुकदमा लंबे समय से लंबित था। उन्होंने उसकी सुनवाई की पीठ गठित की और तय समय में इसे पूरा किया।