अगस्ता-वेस्टलैंड घोटाला मामले में मुख्य गवाह चार्टर्ड अकाउंटेंट राजीव सक्सेना ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की पूछताछ में बताया है कि किकबैक को किन माध्यमों से और किन कंपनियों में निवेश के जरिए लेनदेन किया गया। साथ ही रक्षा दलाल सुषेण मोहन गुप्ता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के भतीजे रतुल पुरी के रोल के बारे में भी खुलासा किया है। राजीव सक्सेना को ED ने दुबई से प्रत्यर्पित कर उसकी 385 करोड़ रुपए की संपत्ति को अटैच किया था।
फ़िलहाल वो जमानत पर बाहर है। वो इस मामले को लेकर पूरी तरह से तथ्यों का खुलासा नहीं कर रहा है, इसीलिए ED उसे अप्रूवर से हटाना चाहती है। ED को पता चला है कि राजीव सक्सेना की कम्पनी को क्रिस्चियन मिशेल की कम्पनी से 0.94 मिलियन डॉलर (7 करोड़ रुपए) का निवेश प्राप्त हुआ। इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज में सक्सेना की 99.9% हिस्सेदारी थी। मिशेल को दिसंबर 2018 में प्रत्यर्पित किया गया था और वो फ़िलहाल जेल में है।
‘इंडियन एक्सप्रेस’ की खबर के अनुसार, मॉरीशस से प्राप्त हुए दस्तावेजों को जब राजीव सक्सेना को दिखाया गया तो उसने इसे स्पष्ट धोखाधड़ी करार दिया, लेकिन वो भी इसका हिस्सेदार था। इसी तरह सुषेण मोहन गुप्ता ने डीएम पावर और डीएम साउथ इंडिया हॉस्पिटैलिटी नामक दो कंपनियों में निवेश किया। राजीव सक्सेना की कम्पनी मैट्रिक्स ग्रुप लिमिटेड ने अपनी सब्सिडियरी कम्पनी रीगल पावर लिमिटेड के माध्यम से ऑप्टिमा इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड में निवेश किया।
ये वही रुपए थे, जिन्हें इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज लिमिटेड और ग्लोबल सर्विसेज FZC ने दिए थे। ग्लोबल सर्विसेज FZC के बारे में राजीव सक्सेना का कहना है कि उससे मिले पेमेंट को ही रतुल पुरी ने निवेश के लिए व्यवस्थित किया था। सक्सेना का कहना है कि वो उस समय इस बात से अनजान था कि इस कम्पनी को भी अगस्ता-वेस्टलैंड से फंड्स मिले थे। गुप्ता, पुरी और सक्सेना विभिन्न निवेशों और कारोबार के बारे में भी विचार-विमर्श कर रहे थे।
कई व्यापारिक प्रस्तावों पर विचार करते समय तीनों ने ‘मोज़र पावर’ के सोलर पैनल प्रोजेक्ट्स में कारोबार का मन बनाया था और इसके सप्लायर्स के बीच दलाल के रूप में काम करने का खाका तैयार किया था। सक्सेना ने एक फ्लो चार्ट भी ED को दिखाया, जिससे पता चलता है कि उसकी कम्पनी मिडास मेटल्स इंटरनेशनल लिमिटेड ने इस मामले में दलाल की भूमिका निभाई थी। इसके अलावा पुरी की कम्पनी ऑप्टिमा इंफ्रास्टक्टर लिमिटेड में भी निवेश की योजना बनाई गई थी।
इस अवैध हवाला नेटवर्क को आगे बढ़ाते हुए इस कम्पनी ने हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट्स में निवेश किया। मॉरीशस में रतुल पुरी ने कुल 50 मिलियन डॉलर (372.56 करोड़ रुपए) के निवेश की योजना बनाई थी, जिनमें से इन दलालों को 10% निवेश करना था। बाकी के निवेश के लिए कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से बातचीत की गई थी। 2 से 6 साल के बीच ‘मोजर पॉवर’ और मिडास मेटल्स के बीच 240 मिलियन डॉलर (1788.3 करोड़ रुपए) का कारोबार हुआ था।
हालाँकि, जब निवेश की योजना परवान नहीं चढ़ पाई तो फिर इन दलालों को 1 मिलियन डॉलर (7.451 करोड़ रुपए) का पेमेंट नहीं मिला। चूँकि उनकी गलतियों के कारण ये डील नहीं रुकी थी, इसीलिए बाद में उन्हें कई हवाला कंपनियों के माध्यम से पेमेंट्स दिए गए। घाटे को भरने के लिए रतुल पुरी की कम्पनी इक्वीनोक्स ओसियन होल्डिंग्स लिमिटेड की वित्तीय सम्पत्तियों को मैट्रिक्स कम्पनी को 2014 में ट्रांसफर किए जाने की योजना बनी।
Big AgustaWestland scam probe twist.
— Jaswant Singh (@JasBJP) November 17, 2020
ED sources: Kamal Nath’s nephew Ratul Puri allegedly got $1 million from Christian Michel. Kamal’s sons alleged ‘beneficiaries’.
Key details of probe accessed.
BJP wants Gandhis to clarify. #AgustaWestlandScam #CorruptCongress pic.twitter.com/PGQonSjAYC
राजीव सक्सेना ने बताया कि इस दौरान उन्हें प्रिस्टिन रिवर नामक कम्पनी से भी पेमेंट्स मिलते थे, जो कमलनाथ के बेटे बकुल नाथ द्वारा नियंत्रित है। रतुल पुरी के एकाउंट्स से 20 मिलियन डॉलर (149 करोड़ रुपए) इस कम्पनी को ट्रांसफर किए गए थे, जहाँ नितिन भटनागर नामक व्यक्ति का नाम लिखा था। भटनागर ने भी पूछताछ में बताया कि उसे रतुल पुरी से सक्सेना ने ही मिलवाया था। उस समय भटनागर एक बैंक का मैनेजर था, जिसने बाद में खुद की कम्पनी खोल ली।
उससे पहले वो बकुल नाथ की कम्पनी का मैनेजर था। 2011-12 में प्रिस्टिन रिवर कम्पनी को 18 मिलियन डॉलर (134.12 करोड़ रुपए) का पेमेंट दिया गया। सिंगापुर की जाँच एजेंसियों ने इस पेमेंट के स्रोत पर प्रश्नचिह्न भी खड़ा किया था। भटनागर ने आरोपों से इनकार करते हुए जाँच एजेंसियों के साथ सहयोग की बात कही। वहीं रतुल के वकील नवीन कपिल का कहना है कि ED को खुद राजीव सक्सेना पर भरोसा नहीं है, उसकी बातें भ्रामक हैं और उसे अप्रूवर से हटाया जा रहा है।
ज्ञात हो कि सीबीआई ने सितम्बर 17, 2020 को दायर की गई चार्जशीट में बताया है कि 2000 में सक्सेना के पास इंटरस्टेलर टेक्नोलॉजीज के 99.9% शेयर्स थे। उसने गौतम खेतान के साथ मिल कर अपनी कम्पनी के बैंक खाते में अगस्ता-वेस्टलैंड से 12.4 मिलियन यूरो प्राप्त किए थे। इसके बाद इस रकम को आगे दलालों, नेताओं और अधिकारियों में बाँटे गए। उसने रक्षा मामलों के दलाल सुषेण मोहन गुप्ता और कमलनाथ के भतीजे रतुल पुरी की इस लेनदेन में प्रमुख भूमिका बताई।