‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS)’ के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि हमारे देश में मुस्लिमों को कोई खतरा नहीं है, लेकिन उन्हें ‘हम बड़े हैं’ वाला भाव छोड़ना पड़ेगा। उन्होंने ‘पांचजन्य‘ और ‘द ओर्गेनाइजर’ को दिए साक्षात्कार में कहा कि मुस्लिम भारत में रहना चाहते हैं, रहें। वे अपने पूर्वजों के पास वापस आना चाहते हैं, आएँ। यह उनके मन पर है। उन्होंने स्पष्ट किया कि हिन्दुओं में इस तरह का कोई आग्रह है ही नहीं।
उन्होंने कहा, “भारत में इस्लाम को कोई खतरा नहीं है। लेकिन, ‘हम बड़े’ हैं, हम पहले राजा थे, फिर से राजा बनेंगे’ – यह भाव छोड़ना पड़ेगा। ‘हम सही हैं, बाकी सब गलत हैं’ – इसे छोड़ना पड़ेगा। ‘हम अकेले रहते हैं और आगे भी अकेले रहेंगे’ – इस भाव को छोड़ना पड़ेगा।” सरसंघचालक ने साथ ही कहा कि इस तरह के भाव अगर किसी हिंदू या कम्युनिस्ट में हैं तो उसे भी इस तरह की सोच से मुक्ति पानी होगी।
वहीं बर्मिंघम और लेस्टर में संघी बता कर हिन्दुओं पर हुए इस्लामी हमले और इन हमलों का जवाब देने के लिए रणनीति बनाए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा, “हिंदू समाज जाग रहा है। इस कारण जिनके स्वार्थ की दुकानें बंद हो रही हैं, वे हो-हल्ला कर रहे हैं । वही लोग आक्रमण भी कर रहे हैं। अब हिंदू जाग रहा है तो इन मामलों को भी देख लेगा। इन आक्रमण का विरोध करने के लिए जो आगे आते हैं, उनके पीछे पूरे विश्व का हिन्दू समाज है। ये स्थिति बने रहे, इसपर संघ काम करेगा।”
संघ प्रमुख ने कहा कि परसेप्शन की दिशा में भी काम करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यह समस्या विश्व की ही नहीं भारत की भी है। उन्होंने कहा कि संघ ने इस दिशा में अपना मीडिया इंटरेक्शन बनाया है और कुछ उपक्रम भी बनाए हैं। इस दिशा में आगे और काम करना है। वहीं वर्ष 2025 में संघ के 100 साल पूरे होने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अब समाज और संघ के बीच मधुर संबंध हैं। उन्होंने कहा कि संघ ने ‘संघ कुछ नहीं करेगा और स्वंयसेवक कुछ नहीं छोड़ेगा’ वाक्य के साथ समाज से जुड़ने का काम शुरू किया था।
उन्होंने कहा कि बालासाहब (मधुकर दत्तात्रेय देवरस, RSS के तीसरे सरसंघचालक) के समय यह काम और बढ़ा था। उन्होंने स्वंयसेवकों से कहा कि बॉलीवुड, मीडिया और राजनीति पर ज्यादा ध्यान न दें। सज्जन व्यक्ति के साथ रहें और अपने कर्तव्य का पालन करें। संघ प्रमुख ने साक्षात्कार के दौरान जनसंख्या नियंत्रण पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि जनसंख्या एक बोझ भी है और यह उपयोगी चीज़ भी है। इसके लिए दूरगामी रणनीति बनाने की जरूरत है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि नीति सब पर समान रूप से लागू करना होगा, लेकिन जोर-जबरदस्ती से यह नहीं हो सकता। उन्होंने उपाय सुझाया कि लोगों को शिक्षित करना होगा। साथ ही बताया कि कैसे जहाँ-जहाँ जनसंख्या असंतुलन हुआ है, वह देश टूटा है। उन्होंने कहा कि ऐसा लोगों और सभ्यताओं की आक्रामक प्रवृत्ति की वजह से हुआ है। सरसंघचालक ने ये भी कहा कि हिन्दुओं में आक्रमण करने की प्रवृत्ति नहीं है। इसलिए, लोकतंत्र, अहिंसा आदि बचाए रखना है तो हिन्दुओं को बचा कर रखना होगा।
वहीं उन्होंने LGBTQ समुदाय के बारे में कहा कि उनकी निजता का सम्मान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि वे भी यह महसूस करें कि वह भी हमारे समाज का अभिन्न अंग हैं। भागवत ने ट्रांसजेंडर लोगों के बारे में कहा कि वह समाज के लिए कोई समस्या नहीं हैं। उनका अपना पंथ है। उनके देवी-देवता है और अब तो उनका महामंडलेश्वर भी है।