देश कोरोना वायरस की महामारी से जूझ रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) इस दौरान अपनी जिम्मेदारी पूरी तरह से निभा रहा है। समाजसेवा के क्षेत्र में नए झंडे गाड़ने वाले संघ ने जनसेवा का ऐसा उदाहरण पेश किया है कि इसके प्रखर विरोधी भी इसकी प्रशंसा करते नहीं थक रहे। संघ देश के उन सुदूर इलाक़ों में ज्यादा ध्यान दे रहा है, जहाँ तक सरकार भी आसानी से नहीं पहुँच पाती। म्यांमार, बांग्लादेश सीमा और पाकिस्तान सीमा पर भी लोगों को मदद पहुँचाई जा रही है।
जम्मू कश्मीर में भी संघ उत्कृष्ट काम कर रहा है। ‘दैनिक जागरण’ में प्रकाशित एक ख़बर के अनुसार, पूरे देश में संघ के तीन लाख से अधिक कार्यकर्ता 3.10 करोड़ लोगों को भोजन कराने के साथ-साथ 38 लाख से अधिक परिवारों में कच्चा राशन पहुँचाने का काम कर चुके हैं। सबसे बड़ी बात तो ये कि पीड़ितों की धर्म, जाति व संप्रदाय देखे बिना संघ उनकी सेवा में लगा है। 26 लाख से भी अधिक लोगों को मास्क बाँटे गए हैं। 60 हज़ार लोगों को आयुर्वेदिक काढ़ा पिलाया गया है।
राष्ट्रीय सेवा भारती के महामंत्री श्रवण कुमार ने बताया है कि इस राहत कार्य में पूरे देश में सेवा भारती के कार्यकर्ता भी लगे हैं। पूरे देश में जरूरत के अनुसार राहत कैंप चलता रहेगा। इससे पहले बताया गया था कि देश भर में ‘सेवा भारती’ के 2.1 लाख स्वयंसेवक काम में लगे हुए हैं, जो ‘सेवा भारती’ के बैनर तले कार्यरत हैं। संगठन ने भारत में कुल 1200 संस्थाओं के साथ संपर्क साधा है।
संस्था उन सभी के साथ मिल-जुलकर काम कर रही है। इन 1200 संस्थाओं के साथ मिल कर ये सुनिश्चित किया जा रहा है कि कोई इलाक़ा छूट न जाए। श्रवण ने बताया कि 26 लाख लोगों तक उनकी सीधी पहुँच है, जिन्हें भोजन कराया जा रहा है।
दक्षिण भारत पर भी RSS का जोर
दक्षिण भारत में संघ के 77 हज़ार कार्यकर्ता काम में लगे हुए हैं। इनमें केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक शामिल है। लॉकडाउन के बीच वहाँ 33 लाख लोगों को संघ द्वारा संचालित कैम्पों से राहत सामग्री मिल चुकी है। सबसे ज्यादा संख्या में कार्यकर्ताओं को केरल में लगाया गया है। बुजुर्गों के बाल काटने में भी RSS के स्वयंसेवक उनकी मदद कर रहे हैं। घरों में सब्जियाँ पहुँचाई जा रही हैं। दिल्ली के चर्च में 50 परिवार फँसे हैं, जिनके खाने-पीने का इंतजाम संघ ने किया हुआ है।
Volunteers of @VHPDigital distributed food packets to needy people at Puducherry. #seva4society pic.twitter.com/ikDdClPQnF
— Friends of RSS (@friendsofrss) April 21, 2020
नार्थ-ईस्ट में RSS के राहत-कार्य के लाभान्वितों में अधिकतर ईसाई समुदाय के लोग हैं। जम्मू कश्मीर सहित कई अन्य राज्यों में बड़ी संख्या में समुदाय विशेष की मदद की गई है। झारखण्ड के गोड्डा में एक स्वयंसेवक हैं, जिनके ख़ुद के घर में दो वक़्त का राशन नहीं है लेकिन वो लगातार दूसरों तक खाने-पीने की सामग्रियाँ पहुँचाने में लगे हुए हैं। उनका नाम सुबोध हरिजन है। उन्होंने पहाड़ों पर रहने वाले 2500 आदिवासी परिवारों को राशन पहुँचाया है। स्थानीय स्वयंसेवक उनकी मदद कर रहे हैं।
जबलपुर में हमारी संस्था”समन्वय परिवार ट्रस्ट”द्वारा लाकडाउन के दौरान @RSSorg के माननीय संघचालक श्री कैलाशगुप्ता जी के साथ “अन्नदान”की सेवा कर रही है।निर्धन और निराश्रितजनों की सेवा जारी है। @friendsofrss #RSSfightsCorona https://t.co/V9e8XqXKjb
— Akhileshwaranand Gir (@AkhileshwarandG) April 22, 2020
बता दें कि आरएसएस के इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी वर्चुअल मंच के माध्यम से इसके प्रमुख अपना भाषण देंगे। संघ ने जानकारी दी है कि भागवत 26 अप्रैल को शाम 5 बजे ‘वर्तमान स्थिति और हमारी भूमिका’ पर संबोधन देंगे। आरएसएस ने सभी को परिवार के सदस्यों और शुभचिंतकों के साथ इस सत्र में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया है। यह संबोधन इस संकट से निपटने के उपायों पर केंद्रित होगा।