जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) की बहन रुबैया सईद ने आतंकवादी यासीन मलिक (Yasin Malik) को साल 1989 में उनका अपहरण करने वाले अपराधियों में से एक के रूप में की है। रूबैया सईद ने शुक्रवार (15 जुलाई 2022) को जम्मू की टाडा अदालत (TADA Court) में मामले से जुड़े चार लोगों की पहचान की, जिसमें मलिक भी शामिल है।
रुबैया सईद मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी हैं। जिस समय रूबैया का अपहरण हुआ था, उस समय मुफ्ती मोहम्मद सईद केंद्रीय गृहमंत्री थे। तब रूबैया को सईद को छुड़ाने के लिए खूँखार आतंकियों को रिहा करने का उन्होंने निर्णय लिया था।
सुनवाई में भाग लेने वाले वकीलों ने पुष्टि की कि सईद ने अदालत में अपना बयान दर्ज कराया। इस दौरान उन्होंने सीबीआई द्वारा जाँच के दौरान उन्हें उपलब्ध कराई गई तस्वीरों के आधार पर सभी की पहचान की।
Yes, she (Rubaiya Sayeed, sister of PDP chief Mehbooba Mufti) has been able to identify everyone on the basis of photographs that were made available to her during CBI investigation: Adv Anil Sethi when asked if Sayeed identified all her abductors, including Yasin Malik,from 1989 pic.twitter.com/JX0E7hDXB7
— ANI (@ANI) July 15, 2022
सीबीआई की वकील मोनिका कोहली ने बताया कि रुबैया ने यासीन मलिक और तीन अन्य की पहचान कर ली है और सुनवाई की अगली तारीख 23 अगस्त तय की गई है।
1989 kidnapping case | The statement of witness Rubaiya Sayeed (sister of PDP chief Mehbooba Mufti) was recorded in court today. She has identified (Yasin Malik). 23rd August is the next date of hearing. She has identified 4 accused in total: Monica Kohli, CBI lawyer pic.twitter.com/tJFy1GoMKi
— ANI (@ANI) July 15, 2022
इस मामले को लेकर पीडीपी के प्रवक्ता और वकील अनिल सेठी ने कहा, “उन्होंने (रुबैया ने) यासीन मलिक की पहचान कर ली है। उन्होंने सभी अपहरणकर्ताओं की पहचान कर ली है। हाँ, मैं ज्यादा नहीं बता सकता, क्योंकि कार्यवाही जारी है। अगली सुनवाई 23 को है। यासीन मलिक की उपलब्धता के आधार पर उसे उपस्थित रहने के लिए कहा गया है। वह (रुबैया) सीबीआई को पहले दिए गए अपने बयान पर कायम हैं।”
जनवरी 2021 में टाडा अदालत ने अपहरण के मामले में यासीन मलिक और नौ अन्य के खिलाफ अपराध के 30 साल बाद आरोप तय करने का आदेश दिया था। रुबैया सईद को टाडा अदालत ने अपने ही अपहरण मामले में बयान दर्ज कराने के लिए तलब किया था। आतंकी फंडिंग मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे यासीन मलिक को भी कोर्ट ने तलब किया था।
आतंकी यासीन मलिक बुधवार (13 जुलाई 2022) को को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई के लिए पेश हुआ। सुनवाई के दौरान उसने कोर्ट से अगली सुनवाई में उपस्थित रहने का अनुरोध किया था। टाडा कोर्ट उसके खिलाफ दो मामलों की सुनवाई कर रहा है- रुबैया अपहरण का मामला और भारतीय वायु सेना के चार अधिकारियों की हत्या का मामला।
रुबैया सईद का 8 दिसंबर 1989 को जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) ने अपहरण कर लिया था। उस समय जेकेएलएफ का नेतृत्व यासीन मलिक कर रहा था। जेकेएलएफ ने अपने पाँच सदस्यों को जेल से रिहा कराने की माँग को लेकर बंदूक की नोक पर रूबैया का अपहरण कर लिया था। 23 वर्षीया रुबैया उस समय लाल डेड मेमोरियल महिला अस्पताल में बतौर मेडिकल इंटर्न कार्यरत थीं।
एक विवादास्पद फैसले में फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली जम्मू-कश्मीर सरकार ने उस समय माँगों को मान लिया था और जेल में बंद आतंकवादियों को रिहा कर दिया था। वहीं, मुफ्ती मोहम्मद सईद की दूसरी बेटी महबूबा मुफ्ती सक्रिय राजनीति में शामिल हो गईं और जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री बनीं। रुबैया सईद 13 दिसंबर 1989 को अपहरणकर्ताओं के चंगुल से रिहा होने के बाद सुर्खियों से दूर हो गई थीं।
अपहरण और उसके बाद सरकार द्वारा पाँच आतंकवादियों की रिहाई कश्मीर में हिंसा के इतिहास की एक ऐतिहासिक घटना थी, क्योंकि इसने क्षेत्र में आतंक में वृद्धि और अलगाववादियों के लिए मंच तैयार किया था। कई लोगों का मानना है कि अगर सरकार सख्त कार्रवाई करती तो राज्य में आतंकवाद इतना नहीं पनपता। उल्लेखनीय है कि फारूक अब्दुल्ला ने दावा किया था कि केंद्रीय गृह मंत्री की बेटी के बदले जेल में बंद आतंकवादियों को रिहा नहीं करने पर केंद्र सरकार ने उन्हें बर्खास्त करने की धमकी दी थी।