Friday, November 15, 2024
Homeदेश-समाजदिल्ली में अफवाह बाजों पर कसेगी नकेल, हो सकती है 3 साल तक की...

दिल्ली में अफवाह बाजों पर कसेगी नकेल, हो सकती है 3 साल तक की सजा: केजरीवाल सरकार

सौरभ भारद्वाज ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में अफवाह फैलाने वालों को चेताते हुए कहा कि IPC 153A and 505C and IT act 66A के अंतर्गत अफवाह फैलाते पकड़े जाने पर 3 साल तक की सजा हो सकती है।

दिल्ली के हिन्दू विरोधी दंगों को रोकने में अपनी नाकामी के बाद दिल्ली सरकार लोगों का ध्यान खुद की नाकामियों से हटाने के लिए जीतोड़ कोशिश में जुटी है। इसी बीच दिल्ली विधानसभा की ‘शांति और सद्भाव’ कमेटी के चेयरमैन आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने कमेटी की पहली मीटिंग के बाद आज अफवाह फैलाने वालों के प्रति दिल्ली सरकार के सख्त रवैये को दर्शाने की कोशिश की।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सौरभ भारद्वाज ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में अफवाह फैलाने वालों को चेताते हुए कहा कि IPC 153A and 505C and IT act 66A के अंतर्गत अफवाह फैलाते पकड़े जाने पर 3 साल तक की सजा हो सकती है।

दिल्ली में फिर से दोबारा दंगा ना फैले इसके लिए जरुरी एहतियात बरतने के साथ-साथ अफवाहों पर लगाम लगाना सबसे जरूरी हो गया है। कल रविवार को भी अफवाहों के चलते कई इलाकों में तनाव की स्थिति बनी रही। जिसके बाद दिल्ली पुलिस की तरफ से लगातार अफवाहों का खंडन किया जाता रहा।

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि उनकी कमेटी जल्द ही फोन नंबर और ईमेल अड्रेस रिलीज करेगी जिस पर कोई भी उन ऑनलाइन मैसेजेस को फॉरवर्ड कर सकता है जिन्हें वो दो समुदायों के बीच नफरत और हिंसा फैलाने वाला समझता है।


Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘गालीबाज’ देवदत्त पटनायक का संस्कृति मंत्रालय वाला सेमिनार कैंसिल: पहले बनाया गया था मेहमान, विरोध के बाद पलटा फैसला

साहित्य अकादमी ने देवदत्त पटनायक को भारतीय पुराणों पर सेमिनार के उद्घाटन भाषण के लिए आमंत्रित किया था, जिसका महिलाओं को गालियाँ देने का लंबा अतीत रहा है।

नाथूराम गोडसे का शव परिवार को क्यों नहीं दिया? दाह संस्कार और अस्थियों का विसर्जन पुलिस ने क्यों किया? – ‘नेहरू सरकार का आदेश’...

नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे के साथ ये ठीक उसी तरह से हुआ, जैसा आजादी से पहले सरदार भगत सिंह और उनके साथियों के साथ अंग्रेजों ने किया था।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -