कन्नूर के विश्वविद्यालय में पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाले छात्रों को तीसरे सेमेस्टर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता एम एस गोलवलकर और हिंदू महासभा के नेता वी डी सावरकर की किताबों के कुछ अंशों को नहीं पढ़ाया जाएगा। ये अंश शासन एवं राजनीति से जुड़े हैं। इस बात की जानकारी विश्वविद्यालय के कुलपति गोपीनाथ रवींद्र ने गुरुवार (सितंबर 16, 2021) को दी।
कुलपति ने कहा कि पाठ्यक्रम के चौथे सेमेस्टर में नए अंशों में आवश्यक बदलाव के बाद उन्हें पढ़ाया जाएगा। अभी के लिए विश्वविद्यालय समकालीन राजनीतिक सिद्धांत पेपर पढ़ाना जारी रखेगा जैसा कि वह पहले कर रहा था। कुलपति ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा गठित 2 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति ने विश्वविद्यालय को नए पाठ्यक्रम में बदलावों का सुझाव दिया था। अब ये बदलाव करने के बाद पाठ्य विवरण समिति को भेजा जाएगा।
The varsity's decision had drawn criticism from various student unions, which have alleged saffronisation of the university, and Kerala CM, who said his government will not glorify the ideas and leaders who had turned their back on the freedom struggle.https://t.co/9kmOaWP6bp
— The Indian Express (@IndianExpress) September 16, 2021
बता दें कि नए पाठ्यक्रम के बाद इस मामले में कई छात्र संघों ने आलोचना की थी और उन्होंने विश्वविद्यालय के भगवाकरण का आरोप भी लगाया था। इसके बाद केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने भी कहा था कि उनकी सरकार उन विचारों और नेताओं का महिमामंडन नहीं करेगी जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम से मुँह मोड़ा।
वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेता शशि थरूर ने भी इस बाबत बयान दिया। उन्होंने विश्वविद्यालय का बचाव करते हुए कहा, “एक पार्टी की राजनीति के लिए के लिए बौद्धिक स्वतंत्रता की बलि नहीं चढ़ाई जानी चाहिए।” उन्होंने कहा, “मैंने अपनी किताबों में सावरकर और गोलवलकर का व्यापक संदर्भ दिया है और उनका खंडन भी किया है।” उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में हाल में लिखा, “अगर हम सावरकर और गोलवलकर को पढ़ेंगे ही नहीं तो किस आधार पर उनका विरोध करेंगे। कन्नूर यूनिवर्सिटी गाँधी और टैगोर को भी पढ़ाती है।”
उल्लेखनीय है कि छात्र संघ बताते हैं कि यूनिवर्सिटी ने गोलवलकर की ‘बंच ऑफ थॉट्स’ समेत कई किताबों और सावरकर की ‘हिंदुत्व: हू इज अ हिंदू?’ से कुछ हिस्सों को तीसरे सेमेस्टर के पाठ्यक्रम में शामिल किया था। यह पाठ्यक्रम बोर्ड ऑफ स्टडीज ने नहीं तैयार किया था बल्कि थालास्सेरी ब्रेनन कॉलेज के शिक्षकों और कुलपति द्वारा तय किया गया था।