Saturday, July 27, 2024
Homeदेश-समाजकेरल की यूनिवर्सिटी में सावरकर और RSS नेता की किताब के अंश नहीं पढ़ाए...

केरल की यूनिवर्सिटी में सावरकर और RSS नेता की किताब के अंश नहीं पढ़ाए जाएँगे, CM पिनराई विजयन ने जताई थी आपत्ति

छात्र संघ बताते हैं कि यूनिवर्सिटी ने गोलवलकर की 'बंच ऑफ थॉट्स' समेत कई किताबों और सावरकर की 'हिंदुत्व: हू इज अ हिंदू?' से कुछ हिस्सों को तीसरे सेमेस्टर के छात्रों के पाठ्यक्रम में शामिल किया था।

कन्नूर के विश्वविद्यालय में पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाले छात्रों को तीसरे सेमेस्टर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेता एम एस गोलवलकर और हिंदू महासभा के नेता वी डी सावरकर की किताबों के कुछ अंशों को नहीं पढ़ाया जाएगा। ये अंश शासन एवं राजनीति से जुड़े हैं। इस बात की जानकारी विश्वविद्यालय के कुलपति गोपीनाथ रवींद्र ने गुरुवार (सितंबर 16, 2021) को दी।

कुलपति ने कहा कि पाठ्यक्रम के चौथे सेमेस्टर में नए अंशों में आवश्यक बदलाव के बाद उन्हें पढ़ाया जाएगा। अभी के लिए विश्वविद्यालय समकालीन राजनीतिक सिद्धांत पेपर पढ़ाना जारी रखेगा जैसा कि वह पहले कर रहा था। कुलपति ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा गठित 2 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति ने विश्वविद्यालय को नए पाठ्यक्रम में बदलावों का सुझाव दिया था। अब ये बदलाव करने के बाद पाठ्य विवरण समिति को भेजा जाएगा।

बता दें कि नए पाठ्यक्रम के बाद इस मामले में कई छात्र संघों ने आलोचना की थी और उन्होंने विश्वविद्यालय के भगवाकरण का आरोप भी लगाया था। इसके बाद केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने भी कहा था कि उनकी सरकार उन विचारों और नेताओं का महिमामंडन नहीं करेगी जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम से मुँह मोड़ा।

वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेता शशि थरूर ने भी इस बाबत बयान दिया। उन्होंने विश्वविद्यालय का बचाव करते हुए कहा, “एक पार्टी की राजनीति के लिए के लिए बौद्धिक स्वतंत्रता की बलि नहीं चढ़ाई जानी चाहिए।” उन्होंने कहा, “मैंने अपनी किताबों में सावरकर और गोलवलकर का व्यापक संदर्भ दिया है और उनका खंडन भी किया है।” उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में हाल में लिखा, “अगर हम सावरकर और गोलवलकर को पढ़ेंगे ही नहीं तो किस आधार पर उनका विरोध करेंगे। कन्नूर यूनिवर्सिटी गाँधी और टैगोर को भी पढ़ाती है।”

उल्लेखनीय है कि छात्र संघ बताते हैं कि यूनिवर्सिटी ने गोलवलकर की ‘बंच ऑफ थॉट्स’ समेत कई किताबों और सावरकर की ‘हिंदुत्व: हू इज अ हिंदू?’ से कुछ हिस्सों को तीसरे सेमेस्टर के पाठ्यक्रम में शामिल किया था। यह पाठ्यक्रम बोर्ड ऑफ स्टडीज ने नहीं तैयार किया था बल्कि थालास्सेरी ब्रेनन कॉलेज के शिक्षकों और कुलपति द्वारा तय किया गया था।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

बांग्लादेशियों के खिलाफ प्रदर्शन करने पर झारखंड पुलिस ने हॉस्टल में घुसकर छात्रों को पीटा: BJP नेता बाबू लाल मरांडी का आरोप, साझा की...

भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ प्रदर्शन करने पर हेमंत सरकार की पुलिस ने उन्हें बुरी तरह पीटा।

प्राइवेट सेक्टर में भी दलितों एवं पिछड़ों को मिले आरक्षण: लोकसभा में MP चंद्रशेखर रावण ने उठाई माँग, जानिए आगे क्या होंगे इसके परिणाम

नगीना से निर्दलीय सांसद चंद्रशेखर आजाद ने निजी क्षेत्रों में दलितों एवं पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण लागू करने के लिए एक निजी बिल पेश किया।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -