शारदा चिटफंड घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के क़रीबी राजीव कुमार को तगड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने राजीव कुमार को गिरफ़्तार करने और हिरासत में लेकर पूछताछ करने पर रोक संबंधी प्रोटेक्शन को वापस ले लिया है। शीर्ष अदालत ने उन्हें अग्रिम ज़मानत के लिए कोलकाता हाईकोर्ट का रुख़ करने के लिए सात दिन का समय दिया है। अगर वे इन सात दिनों में हाईकोर्ट का रुख़ नहीं करते और उन्हें वहाँ से अग्रिम ज़मानत नहीं मिलती है, तो सीबीआई सात दिन बाद उन्हें गिरफ़्तार कर सकती है।
Supreme Court vacates interim protection given to former Kolkata Police Commissioner Rajeev Kumar from arrest by CBI over his alleged role in destroying evidence in Saradha chit fund case. Court gives seven days to Rajeev Kumar to seek legal remedies. pic.twitter.com/qw9uphvpdQ
— ANI (@ANI) May 17, 2019
ख़बर के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने (30 अप्रैल) सीबीआई को कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार को हिरासत में लेकर पूछताछ पर पहले दी गई छूट को हटाने के लिए संतोषजनक सबूत पेश करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि सीबीआई को अदालत में वे सभी सबूत पेश करने होंगे जिससे इस घोटाले में राजीव कुमार की भूमिका साबित हो सके। साथ ही कोर्ट ने सीबीआई को राजीव कुमार की संलिप्तता ख़ासकर लैपटॉप के डेटा, मोबाइल फोन या डायरियों से जुड़े सबूत पेश के निर्देश भी दिए थे, जिसमें कथित रूप से सबूतों को नष्ट करने के लिए प्रभावशाली लोगों के भुगतान की जानकारी शामिल थी।
बता दें कि शारदा चिटफंड घोटाले में सीबीआई के अधिकारी जब राजीव कुमार से पूछताछ करने पहुँचे थे, तो कोलकाता पुलिस ने उनको हिरासत में ले लिया था। इसके बाद राजीव कुमाार ने सीबीआई की गिरफ़्तारी से राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया था।
सीबीआई ने अब तक राजीव कुमार के ख़िलाफ़ कोई FIR दर्ज नहीं की है। लेकिन, राजीव कुमार को हिरासत में लेकर पूछताछ करने के लिए सीबीआई को इस मामले में FIR दर्ज करनी पड़ेगी। वहीं, राजीव कुमार की लीगल टीम ने इस मामले में अग्रिम ज़मानत के लिए कोलकाता हाईकोर्ट जाने का फ़ैसला लिया है। लीगल टीम ने यह भी कहना है कि अगर सीबीआई राजीव कुमार के ख़िलाफ़ FIR दर्ज करेगी तो उसे रद्द करने के लिए अदालत में याचिका दाखिल की जाएगी।
ज्ञात हो कि पूर्व पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार के घर पर जब सीबीआई ने छापेमारी की थी, तो इस बात से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी काफ़ी ख़फ़ा हो गई थीं और केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ धरने पर बैठ गईं थी। काफ़ी हो-हल्ला के बाद जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँचा था तब जाकर मामला शांत हुआ था। इसके बाद राजीव कुमार को कमिश्नर पद से हटा कर उन्हें सीआईडी में नियुक्त कर दिया गया था। लेकिन चुनाव आयोग ने उन्हें सीआईडी पद से हटाकर उन्हें वापस गृह मंत्रालय भेज दिया था।