प्रेसिडेंसी कॉलेज की प्रियंका दास ने फेसबुक पर अपना एक अनुभव शेयर किया है, जो सोशल मीडिया पर काफ़ी वायरल भी हो रहा है। प्रियंका दास के बारे में बता दें कि वो एसएफआई की सदस्य और समर्थक रही थीं। एसएफआई वामपंथी छात्र संगठन है, जो सीपीआई का ही एक भाग है। प्रियंका ने बताया कि उन्होंने एसएफआई की झूठी बातों पर भरोसा कर लिया, जो उनकी ग़लती थी। उन्होंने एक मयाबन गांगुली का नाम लिया और बताया कि उस पर कार्रवाई करवाने के लिए ही वो एसएफआई में गई थी लेकिन कुछ नहीं हुआ। प्रियंका ने आगे बताया कि मयाबन वो व्यक्ति है, जो उनके पास तब आया था जब वो फर्स्ट ईयर में थीं।
गांगुली ने प्रियंका से जो कहा, वो चौंकाने वाला था। उसने सलाह दी कि प्रियंका को भाजपा के नेताओं के साथ सोना चाहिए और बाद में विक्टिम कार्ड खेलना चाहिए। गांगुली का कहना था कि एसएफआई बाद में उसे बचाएगा और ऐसे ही भाजपा को उखाड़ फेंका जाएगा। प्रियंका ने बताया कि ये सब सुन कर उन्हें शौक लगा क्योंकि वो एक छोटे शहर से आई थीं और उन्हें लगता था कि सब कुछ अच्छा होगा।
#metooindia averted. Huge leftist racket in top university in Kolkata.
— Wasim (@TheBongHead) March 23, 2020
This girl willing to join SFI, was asked to sleep with ABVP/BJP people and drag their names into sexual harassment cases.
This is to bring down spread of RW impressions in Kolkata. pic.twitter.com/V9migho4lE
इसके बाद मयाबन ने उन्हें डराना शुरू कर दिया। अगर वो किसी से बात कर रही होतीं तो मयाबन गांगुली आ धमकता और और उनके साथी को धक्का देकर अजीब से व्यवहार करता। वो बार-बार प्रियंका को घूरता रहता। एसएफआई वालों को पता था कि प्रियंका डरी हुई हैं, फिर भी वो कॉल कर-कर के धमकी देते थे। बाद में चुनाव आने पर उन्हें महत्व दिया जाने लगा और एसएफआई के बाकी नेताओं ने बताया कि मयाबन पर कार्रवाई की जाएगी। उनकी इन्हीं बातों को मान कर प्रियंका ने अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए हो रहे डिबेट में एसएफआई की तरफ से शिरकत की।
प्रियंका ने बताया कि वो लीगल एक्शन भी ले सकती थीं लेकिन उनके पास न तो उतना धन है और न ही समर्थन। उन्होंने बताया कि वो डरी हुई थीं लेकिन एसएफआई वालों ने उनका मजाक बनाना नहीं छोड़ा। प्रियंका ने अपने दर्द शेयर किया तो कई लोगों ने सोशल मीडिया पर उनका समर्थन किया। उन्होंने बताया कि फ़िलहाल उनके पास कोई पुख्ता सबूत नहीं है क्योंकि कैम्पस में ऐसे कई लोग हैं।
जब हमने फेसबुक के माध्यम से उनसे बात करने की कोशिश की और पूछा कि क्या वो इस मुद्दे पर हमसे बात करना चाहेंगी, तो उन्होंने ये कहा: “नहीं। सुनिए, हम वामपंथी ऐसे काम नहीं करते। वो व्यक्ति उचित पूछताछ के लिए भेज दिया गया है और हम इसे अपनी युनिवर्सिटी तक ही रखना चाहेंगे। ये कोई ऐसी बात नहीं है जिसे दक्षिणपंथी प्रोपेगंडा के लिए इस्तेमाल किया जा सके। इसलिए ऐसा (साक्षात्कार) मत कीजिए। जिस व्यक्ति ने ये सब किया उसे वामपंथी यूनियन ही सजा देगा। दूसरी पार्टियों से कहीं अलग, वामपंथी पार्टियाँ अपनी गलतियों को स्वीकारती है और उसे सही करती है। कृपया इस सन्देश को भी शेयर करें।”