Monday, November 18, 2024
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नवजात की हत्यारन भीड़, अब कोरोना पर नहीं सुन रही निर्देश: मानवता के लिए ख़तरा बना शाहीन बाग़ प्रदर्शन

रुस्तम नामक व्यक्ति ने सीएए को 'काला क़ानून' करार देते हुए कहा कि जब ये लागू हुआ, तब राज्य सरकार क्या कर रही थी? उसने पूछा कि अब उनके पास इतनी पावर कहाँ से आ गई और अगर पावर थी तो दिल्ली को जलने क्यों दिया?

शाहीन बाग़ के प्रदर्शनकारी अब मानवता के लिए ख़तरा बन कर उभर रहे हैं। जहाँ एक तरफ सरकार लोगों से अपील कर रही है कि भीड़ न जुटाएँ और किसी भी सामाजिक फंक्शन इत्यादि का हिस्सा न बनें, शाहीन बाग़ में सीएए के विरोध के नाम पर बैठी महिलाएँ वहाँ से हटने का नाम ही नहीं ले रही है। दक्षिण कोरिया में एक चर्च की जिद के कारण 5000 से भी अधिक लोग कोरोना वायरस की चपेट में आ गए। ठीक उसी तरह, दिल्ली का शाहीन बाग़ एक खतरनाक स्पॉट बन कर भर रहा है, जहाँ डॉक्टरों व विशेषज्ञों की हर सलाह को धता बताया जा रहा है।

शाहीन बाग़ का धरना 95 दिनों से लगातार जारी है। अब महिलाएँ वहाँ भूमि पर बैठने की बजाए लकड़ी की चौकियों पर बैठी हुई हैं। जहाँ भारत सरकार कोरोना वायरस से बढ़ते ख़तरे को देखते हुए तमाम तरह के बचाव व सावधानी के उपायों से जनता को अवगत कर उन्हें जागरूक बना रही है, शाहीन बाग़ वाले उपद्रवी अब भी जिद पर अड़े हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने कहा है कि वो मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के उस आदेश को मानेंगी, जिसमें 50 से ज्यादा लोगों के एक साथ एक जगह न जुटने की बात कही गई है।

इस धरने में रोज शामिल हो रहे राकिब ने ‘आजतक’ को बताया कि अगर 50 लोग जुटते हैं तो उन्हें कोरोना नहीं होगा, इसकी गारंटी कौन देगा? शाहीन बाग़ में 2 मीटर की दूरी पर 100 तख़्त लगा दिए गए हैं और हर तख़्त पर दो-दो महिलाओं को बिठाया गया है। राकिब ने मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि जब दंगे हुए तब उन्होंने हमारा साथ क्यों नहीं दिया? तब उन्होंने कोई आदेश क्यों नहीं जारी किया? उसने आम आदमी पार्टी को मिनी भाजपा बताते हुए कहा कि केजरीवाल ने अमित शाह से मिलने के बाद कन्हैया कुमार के ख़िलाफ़ देशद्रोह का मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी।

शाहीन बाग़ के प्रदर्शनकारियों ने पूछा कि 50 लोगों की भीड़ न जुटने वाले आदेश के पीछे का मेडिकल आधार क्या है? उन्होंने आरोप लगाया कि कोरोना वायरस के नाम पर शाहीन बाग़ के प्रदर्शन को ख़त्म करने की साजिश रची जा रही है। सबने आरोप लगाया कि केजरीवाल लोगों से बात करने की बजाए सब को डरा रहे हैं। रुस्तम नामक व्यक्ति ने सीएए को ‘काला क़ानून’ करार देते हुए कहा कि जब ये लागू हुआ, तब राज्य सरकार क्या कर रही थी? उसने पूछा कि अब उनके पास इतनी पावर कहाँ से आ गई और अगर पावर थी तो दिल्ली को जलने क्यों दिया?

वैसे ये पहली बार नहीं है कि शाहीन बाग़ में इस तरह की असंवेदनशीलता दिखाई जा रही है। इससे पहले एक नवजात शिशु की मौत हो गई थी। उसे उसकी अम्मी हमेशा भीषण ठण्ड में भी प्रदर्शन में लेकर जाती थी। मौत के बाद उसके वहाँ की कई महिलाओं ने कहा था कि अल्लाह की बच्ची है, अल्लाह ने बुला लिया। भाजपा नेता अमित मालवीय ने याद दिलाया कि 1918 फ़िलेडैल्फ़िया में एक परेड को रोके जाने को कहा गया लेकिन उनकी जिद के कारण स्पेनिश फ्लू फैला और स्पेन की 80% जनसंख्या संक्रमित हो गई। लाखों की मौत हो गई थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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