दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली दंगों के आरोपित शाहरुख पठान को जमानत देने से इनकार कर दिया है। शाहरुख पर फरवरी 2020 में दिल्ली के सीएए विरोधी दंगों के दौरान पिस्टल लहराते हुए पुलिसकर्मी पर फायरिंग का आरोप है। जाफराबाद में हेड कॉन्स्टेबल पर पिस्टल ताने शाहरुख की तस्वीरें भी सामने आई थी।
जस्टिस सुरेश कैत की एकल पीठ ने इस मामले में पेश किए गए वीडियो फुटेज को देखने के बाद उसे जमानत नहीं दी। कोर्ट ने कहा, “इस अदालत के सामने रखे गए वीडियो क्लिपिंग और तस्वीरों ने इस कोर्ट की अंतरात्मा को हिला दिया है कि याचिकाकर्ता कानून और व्यवस्था को अपने हाथों में कैसे ले सकता है।”
Delhi High Court dismisses the bail plea of Shahrukh Pathan, who allegedly opened fire at police personnel during the violence in Northeast Delhi in February 2020. pic.twitter.com/MdkKsvBooa
— ANI (@ANI) April 15, 2021
न्यायालय के आदेश में कहा गया है कि सरकारी पक्ष के अभियोजक (पब्लिक प्रोसिक्यूटर) ने सबूत के तौर पर जो वीडियो और फोटो कोर्ट में पेश किए, उनसे स्पष्ट है कि शाहरुख पठान के हाथ में पिस्टल था और वह वीडियो में गोली चलाते हुए देखा जा सकता है।
दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद न्यायालय ने कहा कि यह मामला अत्यंत गंभीर है। न्यायालय ने यह भी कहा कि भले ही अपीलकर्ता (शाहरुख पठान) ने शिकायतकर्ता अथवा किसी अन्य व्यक्ति को मारने की मंशा से फायरिंग न की हो, लेकिन यह स्वीकार करना असंभव है कि अपीलकर्ता को यह ज्ञात नहीं था कि उसकी यह हरकत किसी को भी गंभीर नुकसान पहुँचा सकती है।
पठान की जमानत याचिका खारिज करते हुए जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने कहा, “न्यायालय में प्रस्तुत सबूतों से यह ज्ञात होता है कि आरोपित दंगों में संलिप्त था और इन सबूतों में उसके अपराध की गंभीरता स्पष्ट तौर पर दिखाई देती है। इस कारण न्यायालय द्वारा अपीलकर्ता को जमानत नहीं दी जा सकती है।“
शाहरुख पठान ने दिल्ली उच्च न्यायालय में जमानत के लिए याचिका दायर की थी। पठान का कहना था कि उसे दंगों का ‘पोस्टर बॉय’ बना दिया गया, जबकि उसकी किसी को जान से मारने की कोई मंशा नहीं थी। इससे पहले अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने भी उसकी अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। शाहरुख को पिछले साल 24 फरवरी को पकड़ा गया था।