श्रद्धा वाकर की हत्या (Shraddha Walker Murder) आरोपित आफताब शादी के नाम पर उससे नजदीकियाँ बढ़ाई थीं और श्रद्धा इसके लिए अपने माता-पिता की हिदायत को भी दरकिनार कर चली आई थी। इतना ही नहीं, यह बात भी सामने आई है कि आफताब LGBT का समर्थक है। इस्लाम के एक मौलाना ने उसके आचरण को गैर-इस्लामिक बताया है।
यूपी के सीतापुर के लहरपुर कस्बे में स्थित दारुल उलूम रहमानिया मदरसे के मौलाना और जमीयत-उल-हिंद के जिला महासचिव वकील अहमद काशमी का कहना है कि इस्लाम में मर्द-मर्द और औरत-औरत के रिश्ते की मनाही है। एक मुस्लिम LGBT का समर्थक नहीं हो सकता है।
हत्यारोपित आफताब के LGBT समर्थक होने को लेकर मौलाना काशमी ने कहा, “इस्लाम एक कानून का नाम है और जो भी उसके खिलाफ जाएगा तो इस्लाम उसे बोलने या करने की इजाजत नहीं देता है। हम तो उसे सजा नहीं दे सकते, लेकिन मरने के बाद अल्लाह उसे सजा जरूरत देगा कि तुने फितरत के बाहर काम क्यों किया।”
मौलाना काशमी ने कहा कि जहाँ तक शादी की ताल्लुकात की बात है तो ये दुनिया जानती है कि इसके लिए एक मर्द और एक औरत का होना जरूरी है। दुनिया के किसी भी धर्म में इस चीज को जायज करार नहीं दी गई है कि कोई लड़का लड़के से और कोई लड़की लड़की से शादी कर ले। ईश्वर/खालिक ने मर्द और औरत का जिन्स अलग-अलग बनाया है। उसे सुकून तभी मिलेगा, जब शादी के लिए जो सिस्टम बनाया गया है, वहाँ पहुँचेगा। इंसानियत के नाते भी ये एक घिनौना खेल है।
उन्होंने आगे कहा, “एक लड़का एक लड़के के साथ जा करके करेगा क्या? शादी करने के बाद दो चीजें होती हैं- एक ये है कि मियाँ-बीवी आपस में मोहब्बत के साथ रहेंगे, रात गुजारेंगे और उसके नतीजे में कहीं ना कहीं हमारी औलादें पैदा होती हैं। अगर मर्द मर्द से और औरत औरत से शादी कर लेगा तो औलादें कहाँ से आएँगी?”
आफताब के कारनामों को इंसानियत को शर्मसार करने वाला बताते हुए काशमी ने कहा कि धार्मिक सिस्टम में इस तरह की बातें बिल्कुल नहीं आतीं। ऐसा किसी को भी नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर कोई मुस्लिम लिव-इन रिलेशन में रहता है तो वह इस्लाम का उल्लंघन करता है।
आफताब मृतक श्रद्धा के साथ लिव-इन रिलेशन में रह रहा था। इसको लेकर मौलाना काशमी ने कहा, “इस्लामी कानून लिव-इन रिलेशन की इजाजत नहीं देता। इसकी इजाजत नहीं है कि बगैर शादी के कोई शख्स किसी से भी संबंध बनाए। दोस्ती-ताल्लुकात की बुनियाद तो एक अलग चीज होती है, लेकिन बगैर शादी के हमारे यहाँ मियाँ-बीवी का ताल्लुकात कोई बनाता है तो उसे ‘जीना’ कहा जाता है। आफताब ने बहुत बड़ा गुनाह किया है।”
आफताब और श्रद्धा के रिलेशन को कुछ लोग लव जिहाद भी मान रहे हैं। हालाँकि, मौलाना काशमी लव जिहाद जैसी किसी बात को सिरे से नकारते हैं। उनका कहना है कि यह प्रोपेगेंडा है। अगर कोई प्यार करने लगा तो यह लव जिहाद है, यह कहना गलत है।
उन्होंने कहा कि एक मुस्लिम को मुस्लिम से ही शादी करना जरूरी है। किसी मुस्लिम को गैर-मुस्लिम से शादी की इजाजत इस्लाम में नहीं है। उन्होंने कहा, “अगर किसी गैर-मुस्लिम को प्यार कर बैठे तो बहन मान कर प्यार करते, शादी के लिए मुस्लिम समुदाय में बहुत सारी लड़कियाँ थीं। यह गलत है कि हम शादी के लिए किसी धर्म के सिस्टम का इस्तेमाल करें।”