एक तरफ पूरा देश कोरोना महामारी की रोकथाम के साथ इससे मुक्ति पाने के उपायों की खोज में लगा है। दूसरी तरफ कुछ लिब्रांडुओं का ग्रुप लाशों पर राजनीति और बीमारी की आड़ में फेक न्यूज फैलाने की अपनी जिम्मेदारियों से बाज नहीं आ रहा है। इस काम में राणा अयूब जैसे पत्रकारों से लेकर दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण जैसे मीडिया हाउसों का ग्रुप अग्रणी भूमिका निभाने में रात-दिन लगा हुआ है, जबकि रेलवे ने स्वयं कुछ आरोपो का बार-बार खंडन किया है।
ताजा उदाहरण की बात की जाए तो HT की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए राणा अयूब ने ट्वीट किया था, जिसमें में दावा किया था कि दिल्ली में रहने वाला बिहार का एक साढ़े चार साल का बच्चा, जो श्रमिक ट्रेन में सवार होकर पहुँचा था, उसने भूख के चलते रेलवे स्टेशन पर पहुँचने से पहले ही दम तोड़ दिया।
इसके जवाब में रेल मंत्रालय ने ट्विटर पर बताया है कि बच्चा पहले से ही एक बीमारी से पीड़ित था। वह बीमारी का इलाज कराने के बाद दिल्ली से अपने परिवार के साथ लौट रहा था। मंत्रालय के ट्वीट में यह भी कहा गया कि बच्चे की मौत ट्रेन से उतरने के 5 घंटे पहले हो चुकी थी। साथ ही मंत्रालय ने पत्रकार को झूठी खबर शेयर करने के लिए चेताया भी।
इससे पहले भी पत्रकार राणा अयूब ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट डाला, जिसमें एक महिला की मृत्यु पर जवाबदेह होने के लिए सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया। उन्होंने दावा किया कि उस महिला की मृत्यु इस कारण हुई, क्योंकि सरकार ने उसे ट्रेन में खाना और पानी उपलब्ध नहीं कराया था। साथ ही ट्रेन अपने समय से काफ़ी देरी से चल रही थी।
महिला ने गुजरात से ट्रेन ली थी। फिर वो ट्रेन लेट हुई, ट्रेन में किसी प्रकार का खाना नहीं दिया गया। मुजफ्फरपुर स्टेशन पर, वह भूख से मर गई। जहाँ उसका बच्चा अपनी मृत माँ को जगाने की कोशिश कर रहा था। हम रात को कैसे सो पाएँगे? यह कोई मौत नहीं है, यह एक कोल्ड ब्लडेड मर्डर है।
इस पर भी रेल मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि महिला, जो अपनी बहन, पति और दो बच्चों के साथ यात्रा कर रही थी, एक लंबी बीमारी से पीड़ित थी और यात्रा के दौरान ट्रेन में ही उसकी मौत हो गई थी।
इतना ही नहीं बुधवार, 27 मई 2020 को जागरण ने यह दावा करते हुए समाचार प्रकाशित किया कि लापरवाही के कारण श्रमिक एक्सप्रेस में चार लोगों की मौत हो गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि श्रमिक एक्सप्रेस पर सवार प्रवासी कामगार भोजन और पानी से वंचित रहे। जबकि सच्चाई कुछ और ही थी।
भारतीय रेलवे ने कहा कि आपात स्थिति के मामले में प्रत्येक यात्री को चिकित्सा सहायता प्रदान की जाती है। इसके अलावा, सभी यात्रियों के लिए श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनों में भोजन और पानी उपलब्ध कराया जाता है।
वहीं मंगलवार (26मई,2020) को भारतीय रेलवे ने दैनिक भास्कर की रिपोर्ट को भी फर्जी बताया था, जिसमें दावा किया गया था कि श्रमिक एक्सप्रेस ट्रेनों में भोजन और पानी की कमी से प्रवासी श्रमिकों की मौत हो रही है। भास्कर ने अपनी रिपोर्ट में रेलवे द्वारा की जा रही लापरवाही के कारण लिए यात्रियों की मौत का आरोप लगाया था।
एक नजर दूसरे वीडियो पर…
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की शुरुआत के साथ ही कुछ लिब्रांडुओं के जलन होने लगी है। वह जमीन पर तो नहीं, लेकिन इन दिनों सोशल मीडिया पर जरूर देखी जा रही है। देखा जाए तो पिछले दशकों में एक गिरोह जब हम यह कहते थे कि ‘रामलला हम आएँगे और मंदिर वहीं बनाएँगे’ तो वह भी इसी अंदाज में कहते थे कि मंदिर वहीं बनाएँगे, लेकिन तारीख नहीं बताएँगे।
खैर, अब तो तारीख सभी को पता चल ही गया होगा, क्योंकि अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर के निर्माण का कार्य प्रारंभ हो चुका है। आश्चर्य की बात यह कि कभी-कभी बीच में मंदिर बनाने के स्थान पर अस्पताल बनाने वालों का भी एक गिरोह सक्रिय हो जाता है। तो एक बात याद रहे कि मंदिर अपने स्थान पर है और अस्पताल अपने स्थान पर।
अब कुछ नहीं तो इस ग्रुप ने यह भी कहना शुरू कर दिया है कि ऐसी गंभीर महामारी में मंदिर बनाने की क्या जरूरत है। ये यहाँ भी नहीं रुकते। अगर ये मंदिर तीन महीने बाद बनाया जाता तो कहते कि अभी बीमारी से उभरे भी नहीं, अभी क्या जरूरत है।
6 महीने बाद बनाते तो कहते कि अभी इकॉनोमी ठीक नहीं, अभी क्या आवश्यकता है। कुल मिलाकर हम जो भी करेंगे इनको बोलना जरूर है, क्या करें कुछ काम ही नहीं…। वैसे भी जब मुँह से कचरा खाओगे तो कचरा ही निकलेगा।