पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद साल 1984 में देश में भड़के सिख विरोधी दंगों (Anti Sikh Riots) मे कई सिखों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश के कानपुर (Kanpur) में भी हुए दंगों में 127 लोगों की मौत हो गई थी। उस घटना के 38 साल बाद बुधवार (15 जून 2022) को 4 आरोपितों को स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) ने गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में कुल 96 आरोपितों की पहचान की गई थी, जिनमें से 22 की मौत हो चुकी है। बाकी के बचे 74 को न्याय के दायरे में लाया जाना है।
रिपोर्ट के मुताबिक, सिख दंगों के मामले में फाइनल रिपोर्ट सबमिट की जा चुकी थी, लेकिन कुछ सिख संगठनों की सक्रियता चलते मामला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में गया। कोर्ट के आदेश के बाद मामले को दोबारा से खोला गया। इस मामले में फरवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सिख दंगों की जाँच के लिए UP सरकार ने एक SIT का गठन किया था। SIT के DIG बालेंदु भूषण सिंह के मुताबिक, गिरफ्तार किए गए चारों आरोपितों का मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज कराया जा चुका है।
अधिकारी के मुताबिक, गिरफ्तार किए गए चारों आरोपितों की पहचान सफीउल्लाह (65), योगेंद्र सिंह (65), विजय नारायण सिंह (62) व अब्दुल रहमान (65) हैं। ये चारों पूर्व राज्यमंत्री शिवनाथ सिंह कुशवाहा के खास गुर्गे थे। शिवनाथ सिंह कुशवाहा के भतीजे राघवेंद्र सिंह कुशवाहा के साथ मिलकर ही ये सभी घाटमपुर से ट्रक के जरिए निराला नगर गए। वहाँ पर आरिपितों ने भूपेंद्र सिंह, रक्षपाल सिंह और मकान मालिक के बेटे सतपाल सिंह की बेरहमी से हत्या कर दी थी। इन आरोपितों ने पूरे घर को आग लगा दी थी, जिसमें तीन लोगों की जलकर मौत हो गई थी, जबकि एक को छत के नीचे फेंककर मार डाला था।
SIT की जाँच पूरी
SIT ने 11 मामलों की जाँच पूरी कर ली है। अब 74 में से 70 अन्य आरोपितों पर कार्रवाई होनी है। उल्लेखनीय है कि सिख दंगों में 20 ऐसे केसों को एसआईटी ने फिर से री-ओपेन किया था, जिसमें फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई थी। बीजेपी नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को धन्यवाद कहा है।