सुप्रीम कोर्ट के वकील जे साई दीपक के दक्षिणपंथी विचारों से आहत सेंट स्टीफन कॉलेज के जेंडर स्टडीज सेल ने उन्हें कॉलेज में बुलाए जाने का विरोध किया है। सेल ने उन्हें लेकर कहा कि वकील साई दीपक के विचार, उनके बयान हानिकारक, समस्याग्रस्त, पक्षपाती और अल्पसंख्यकों को खारिज करने वाले रहे हैं। अपने बयान में जेंडर सेल ने सुप्रीम कोर्ट के वकील को इस्लामोफोबिक बताते हुए उनके प्रति नाराजगी जाहिर की है।
इस बयान के स्क्रीनशॉट जे साई दीपक ने खुद ट्विटर पर शेयर किए हैं। उन्होंने इन्हें साझा करते हुए दर्शाया कि सेंट स्टीफन कॉलेज की जेंडर स्टडीज सेल में, “स्वतंत्र अभिव्यक्ति, विचारों में विविधता, सहिष्णुता, समावेश” के लिए कितनी जगह है।
बयान में लिखा गया है कि जे साई दीपक के इस्लामोफोबिक होना, उनके हिजाब मामले पर दिए गए विचारों से स्पष्ट होता है और साथ ही आर्टिकल 370 हटाए जाने पर समर्थन देना भी इस बात का सबूत है कि जे साई दीपक इस्लामोफोबिक हैं। इसके अलावा उन्होंने जो सीएए-एनआरसी के विरोध में अपनी आवाज उठाई थी, उसकी वजह से भी कॉलेज की जेंडर सेल ने उनका विरोध किया है। बयान में लिखा गया है कि राष्ट्र, सभ्यता, धर्म, समुदाय और अधिकारों पर उनके (साई दीपक) दमनकारी, पक्षपाती और उच्च जाति के विचार बहुसंख्यक, लिंगवादी, स्त्री विरोधी और जातिवादी हैं।
जेंडर सेल के बयान के अनुसार, साई दीपक जैसे लोगों को आमंत्रण दिया जाना और इन्हें अप्रूवल मिलना कुछ घटनाओं के कैंसिल होने जुुड़ा है जैसे फराह बशीर जो कश्मीर पर बोलने वाली थीं उस वार्ता का निरस्त होना या फिर किसान प्रदर्शन पर भी पैनल चर्चा होने से पहले रद्द होना। सेल ने अपने कॉलेज पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि कॉलेज का ये गैर राजनैतिक होने वाला कदम, जो कि उसकी विशेषता रही है, ऐसे कट्टरपंथी विचारों को बढ़ावा देने के लिए जारी है, जिनके अल्पसंख्यकों के विरुद्ध विचार रहे हैं। इसमें कहा गया, “ये जरूरी है कि हम दोबारा से उन लोगों के बारे में सोचें जो प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से ऐसे लोगों की उपस्थिति और इन्हें समर्थन दिए जाने की वजह से आहत होंगे।”
इस आमंत्रण के पीछे की वजह बताते हुए सेल ने इसे कॉलेज की उस व्यापक संस्कृति को जिम्मेदार दिखाया जो बिन कोई सवाल किए विवादस्पद व्यक्ति, बुद्धिजीवी और राजनेता को बोलने का प्लेटफॉर्म दे देते हैं वो भी सिर्फ उनके काम के आधार पर, उनकी हेटस्पीच को नजरअंदाज करते हुए।
बता दें कि सेंट स्टीफन कॉलेज के जेंडर सेल द्वारा शेयर किए गए नोट के अनुसार जे साई दीपक को कॉलेज में उनकी किताब “इंडिया दैट इज भारत:कोलोनिएलिटी, सिविलाइजेशन , कंस्टिट्यूशन” के लिए आमंत्रित किया गया था। बताया गया कि इस किताब में वह राष्ट्र राज्य के पुननिर्माण के रूप में उपनिवेशवाद को स्थापित करना चाहते हैं और फिर वह हिंदू धार्मिक सभ्यता की बातें शुरू कर देते हैं।
कॉलेज के जेंडर सेल के अनुसार सांस्कृतिक एकरूपता की खोज में एक कल्पित इतिहास का महिमामंडल कई लोगों द्वारा आजमाया व परखा तरीका है जिन्होंने अल्पसंख्यकों को सताकर सांस्कृतिक आधिपत्य स्थापित करने की कोशिश की। बयान में उन्हें लेकर कहा गया कि वह अल्पसंख्यक महिलाओं की स्वतंत्रता और इच्छाओं के विरुद्ध राय रखते हैं। उनका रवैया सबरीमाला मंदिर फैसले के समय भी साफ हुआ था जब उन्होंने महिलाओं को मंदिर में प्रवेश देने का विरोध किया था।
साझा किए गए बयान में जे साई दीपक को लेकर कहा गया कि उन्होंने हृदय एनजीओ की ओर पक्ष रखे थे। ये संस्था पुरुषों के अधिकार के लिए लड़ती और भारतीय परिवारों में पितृसत्ता को बचाते हुए उन्हें पीड़ित दिखाती है जिन्होंने लिंगभेद और उत्पीड़न से फायदा उठाया। इसके अलावा जे साई दीपक ने कोर्ट में मैरिटल रेप के आपराधिक घोषित किए जाने का भी विरोध किया था।