भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ((CJI DY Chandrachud) ने शनिवार (25 फरवरी 2023) को कहा कि हाशिए पर रहने वाले वर्गों के छात्रों के बीच आत्महत्या की घटनाएँ बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि शोध से पता चला है कि आत्महत्या करने वाले ऐसे ज्यादातर छात्र दलित और आदिवासी समुदायों के हैं। यह मामला संवेदनाओं की कमी से जुड़ा है।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आत्महत्या की ऐसी घटनाएँ भेदभाव के कारण हो रही है। उन्होंने कहा, “प्रोफेसर सुखदेव थोराट ने नोट किया है कि आत्महत्या करने वाले अधिकांश छात्र दलित और अदिवासी हैं। जब इसमें एक पैटर्न दिखे तो हमें सवाल उठाना चाहिए। 75 वर्षों में हमने प्रतिष्ठित संस्थान बनाने पर ध्यान केंद्रित किया है, लेकिन इससे अधिक हमें संवेदना विकसित करने वाले संस्थान बनाने हैं। मैं इस पर इसलिए बोल रहा हूँ क्योंकि भेदभाव का मुद्दा सीधे तौर पर सहानुभूति की कमी से जुड़ा है।”
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, “हाल ही में मैंने आईआईटी बॉम्बे में एक दलित छात्र की आत्महत्या के बारे में पढ़ा। इस घटना ने मुझे पिछले साल के ओडिशा में नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में एक आदिवासी छात्र की आत्महत्या के बारे में याद दिला दिया।” बता दें कि दर्शन सोलंकी नाम के एक स्टूडेंट ने 12 फरवरी को आईआईटी बॉम्बे में आत्महत्या कर ली थी। उन्होंने कहा कि वह वकीलों और स्टूडेंट्स के मेंटल हेल्थ पर जोर दिया।
उन्होंने यह भी कहा कि न्यायाधीश सामाजिक वास्तविकताओं से दूर नहीं भाग सकते हैं। CJI ने इसके लिए अमेरिका का भी उदाहरण दिया है। उन्होंने बताया कि कैसे संयुक्त राज्य अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय के नौ न्यायाधीशों ने ब्लैक लाइव्स आंदोलन के दौरान एक बयान जारी किया था।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “दुनिया भर में न्यायिक संवाद के उदाहरण आम हैं। जब जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के बाद ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन उभरा तो अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के सभी 9 न्यायाधीशों ने ब्लैक लाइव्स के पतन को लेकर संयुक्त बयान जारी किया। हार्वर्ड लॉ स्कूल के प्रोफेसर का कहना है कि लोग भूल जाते हैं कि नागरिक अधिकारों के वकीलों ने काले समुदाय को शिक्षित करने का क्या काम किया था।”
CJI चंद्रचूड़ ने यह भी कहा कि वह अपने न्यायिक और प्रशासनिक कार्यों के अलावा समाज के विभिन्न संरचनात्मक मुद्दों पर भी प्रकाश डालने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हाशिए पर रहने वाले समुदायों के छात्रों के साथ होने वाले सामाजिक भेदभाव को रोकने की दिशा में पहला कदम प्रवेश परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर छात्रावास के कमरे के आवंटन को रोकना होगा। इससे जाति आधारित अलगाव होता है।
उन्होंने यह भी कहा कि सामाजिक श्रेणियों के साथ छात्रों द्वारा प्राप्त अंकों की सूची डालना, दलित और आदिवासी छात्रों को अपमानित करने के लिए सार्वजनिक रूप से अंक माँगना, उनकी अंग्रेजी दक्षता का मजाक बनाना और उन्हें अक्षम के रूप में लेबल करने जैसी प्रथाएँ समाप्त होनी चाहिए।
CJI ने कहा, “दुर्व्यवहार और डराने-धमकाने की घटनाओं पर कार्रवाई नहीं करना, समर्थन नहीं करना, फेलोशिप समाप्त करना, चुटकुलों के माध्यम से रूढ़िवादिता को सामान्य करना ऐसी कुछ बुनियादी चीजें हैं जिन्हें हर शैक्षणिक संस्थान को बंद करना चाहिए।”
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ नेशनल को एकेडमी ऑफ लीगल स्टडीज एंड रिसर्च यूनिवर्सिटी ऑफ लॉ, हैदराबाद (NALSAR) के 19वें वार्षिक दीक्षांत समारोह में मुख्य वक्ता पर आमंत्रित किया गया था। यहीं पर उन्होंने अपने विचार रखे।