रामगोपाल की हत्या करने के साथ मुस्लिम भीड़ ने कई हिन्दुओं को अधमरा कर दिया था। उन्हीं में से एक पीड़ित हैं सुधाकर तिवारी। सुधाकर तिवारी हरदी थानाक्षेत्र के ही रहने वाले हैं। वो खेती-किसानी करके परिवार पालते हैं। उनकी 3 बेटियाँ व एक छोटा बेटा है। सबसे बड़ी बेटी की की शादी इसी साल होने वाली है। धारदार हथियारों से गंभीर रूप से घायल सुधाकर तिवारी को बहराइच से लखनऊ रेफर किया गया था। डॉक्टरों के अथक प्रयास से सुधाकर तिवारी की जान बच तो गई लेकिन गहरे घाव देह पर अभी भी देखे जा सकते हैं।
पुलिस के लाठीचार्ज से भटक गए थे राह
ऑपइंडिया ने सुधाकर तिवारी के भाई प्रभाकर से बात की। प्रभाकर ने हमें बताया कि उनके भाई माँ दुर्गा के विसर्जन जुलूस में शामिल थे। उनके पास एक वीडियो भी है जब वो शांतिपूर्वक विसर्जन यात्रा में आगे बढ़ रहे थे। इसी दौरान विसर्जन यात्रा पर पुलिस का लाठीचार्ज हुआ जिसमें सुधाकर तिवारी रास्ता भटक गए। प्रभाकर बताते हैं कि उनके भाई लाठीचार्ज से बचने के लिए जिस गली में गलती से चले गए वो मुस्लिम बहुल थी। इस गली में मांस बेचने वालों की दुकानें हैं।
प्रभाकर बताते हैं कि जब उनके भाई उस मुस्लिम बहुल गली में पहुँचे तब वहाँ कुछ हमलावरों ने रोक लिया। सुधाकर के सिर और जबड़े पर धारदार हथियार और लाठी-डंडों से वार किया गया। लहूलुहान सुधाकर जमीन पर गिर गए और बेहोश हो गए। दावा है कि सुधाकर को हमलावर भीड़ ने मरा जानकर वहीं छोड़ दिया और आगे बढ़ गई। मस्जिद के पास बेहोशी की हालत में मिले सुधाकर को सरकारी एम्बुलेंस ने स्थानीय अस्पताल पहुँचाया। एक लाइन में प्रभाकर ने स्वीकारा, “मस्जिद के पास से ही ज्यादा हमले हुए।”
हालत थी गंभीर, पहले बहराइच फिर लखनऊ रेफर
प्रभाकर तिवारी ने ऑपइंडिया को आगे बताया कि उनके भाई को इतनी बेरहमी से मारा गया था कि स्थानीय अस्पताल ने इलाज के लिए बहराइच मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया था। यहाँ पहुँचने के बाद मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने भी स्थिति को गंभीर बताते हुए लखनऊ रेफर किया। लखनऊ जाते समय एम्बुलेंस में कोई पुलिस स्टाफ मौजूद नहीं था। लखनऊ मेडिकल कॉलेज में लगभग 5 दिनों तक सुधाकर तिवारी का इलाज चला तब जाकर उनकी जान बच पाई।
एम्बुलेंस से अस्पताल जाते सुधाकर तिवारी की कुछ तस्वीरें भी ऑपइंडिया के पास मौजूद हैं। इन तस्वीरों में सुधाकर का जबड़ा फटा हुआ है जिससे खून बह रहा है। CT स्कैन सहित इलाज में लगे कई शुरुआती ख़र्च सुधाकर के परिजनों ने किए। बाद में कुछ इलाज सरकारी खर्चे पर हुआ। रविवार (20 अक्टूबर) को सुधाकर तिवारी को वापस घर लाया गया है। उनके तमाम घाव और उन पर बँधी पट्टियाँ अभी भी साफ़ देखी जा सकती हैं। जबड़ा फट जाने की वजह से सुधाकर तिवारी बोलने में असहज हैं।
धार्मिक माहौल वाले घर में मच गई चीख पुकार
प्रभाकर तिवारी हमें आगे बताते हैं कि उनका पूरा परिवार धार्मिक है जो माँ दुर्गा की पूरी नवरात्रि व्रत रखता है। विसर्जन के दिन जैसे ही उनके परिजनों को पता चला कि सुधाकर हमले के शिकार हो गए तो घर में चीख-पुकार मच गई। औरतें परिवार में रो रहीं थीं तो पुरुष सुधाकर की तलाश में निकल पड़े थे। आखिरकार अपना खून आदि देकर जैसे-तैसे सुधाकर तिवारी की जान बच पाई। प्रभाकर को आशंका है कि घटना के दिन सिर पर लाल गमछा देख कर ही भीड़ में हमलावरों ने उनके भाई को टारगेट पर लिया होगा।
मुस्लिम बहुल हो जाए तो भविष्य में प्रदेश देश भी छोड़ दें?
प्रभाकर तिवारी का कहना है कि जिस रास्ते से इस बार माँ दुर्गा की विसर्जन यात्रा इस्लामी भीड़ के हमले का शिकार बनी उसे मुस्लिम बहुल जैसा क्षेत्र कहना बेतुकी बात है। उन्होंने रास्ते को मुस्लिम इलाका कहने वालों से सवाल कर डाला। प्रभाकर ने कहा, “जिस रास्ते पर हमला हुआ वहीं से विसर्जन यात्रा हर साल निकलती है। अब मुस्लिम बहुल जैसे कुतर्क देना कहीं से उचित नहीं। क्या भविष्य में मुस्लिम बहुल हो जाए तो प्रदेश और देश भी छोड़ना पड़ेगा ?” प्रभाकर ने ऐसे बातें करने वालों को भी सोच-समझकर बोलने की सलाह दी।