पिछले दिनों बलात्कार के मामले में सुप्रीम कोर्ट की गई कथित टिप्पणी ‘उससे शादी करोगे’ पर शुरू हुए विवाद पर सोमवार (मार्च 8, 2021) को चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने टिप्पणी की है। उन्होंने कहा कि उनके बयान की गलत तरह से रिपोर्टिंग हुई। उनकी बात वैसी नहीं थी, जैसी रिपोर्ट्स में बताई गई।
उन्होंने बताया कि बलात्कार के आरोपित से पीड़िता से उन्होंने शादी करने की बात नहीं पूछी थी। वह महिलाओं का बहुत सम्मान करते हैं और उन्होंने कुछ भी ऐसा नहीं कहा, जो महिला की गरिमा को ठेस पहुँचाए।
रेप मामले में कोर्ट ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि मामले के संदर्भ में याचिकाकर्ता व्यक्ति से पूछा था कि क्या वह शिकायतकर्ता से शादी करेगा। उससे ‘जाओ और शादी करो’ के लिए नहीं कहा गया। कोर्ट के अनुसार उससे पूछा गया था कि क्या आप शादी करने जा रहे हैं, जिसे मीडिया में ढंग से रिपोर्ट नहीं किया गया।
गौरतलब है कि बीते दिनों रेप आरोपित मोहित सुभाष चव्हाण बनाम महाराष्ट्र सरकार केस में सुनवाई के बाद ऐसी रिपोर्ट सामने आई थी। रिपोर्ट्स में ऐसे बताया गया था जैसे चीफ जस्टिस ने आरोपित से कहा हो कि वह पीड़िता से शादी क्यों नहीं कर लेता। लेकिन अब सीजेआई का कहना है कि वह रिपोर्टिंग गलत ढंग से हुई। उन्होंने इस मंशा से ऐसा सवाल ही नहीं किया था। शादी वाली बात याचिकाकर्ता से सिर्फ़ पूछी गई थी। सीजेआई ने कहा, “उस सुनवाई में भी, हमने कभी सुझाव नहीं दिया कि आपको शादी करनी चाहिए। हमने पूछा था, क्या आप शादी करने जा रहे हैं।”
Misreporting: #CJI says his poser to a rape accused –‘Will you marry her?’ was in the facts of that case & that he has immense respect for the women. Media misreported his comments, rues Justice SA Bobde. #SupremeCourt
— Utkarsh Anand (@utkarsh_aanand) March 8, 2021
बता दें कि सीजेआई की ओर से मामले पर स्पष्टीकरण एक 14 साल की रेप पीड़िता के गर्भपात पर होती सुनवाई के दौरान सामने आई, जब एक वकील ने कोर्ट को लड़कियों के लिए बेहद उदार बताया। इसे सुन सीजेआई ने कहा, “यह सुन कर अच्छा लगा। हमने पिछले दो हफ्तों में बिलकुल उलटी बातें सुनी हैं।”
इसके बाद वकील ने कहा कि वह उन रिपोर्टों के विरुद्ध है। वह सिर्फ़ न्यायपालिका की छवि बिगाड़ना चाह रहे हैं। ऐसे लोगों से निपटने के लिए पूरा तंत्र होना चाहिए। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी कहा कि कोर्ट के बयान को तोड़ा गया और संदर्भ से अलग पेश किया गया। जिस पर सीजेआई ने कहा कि एक संस्था के तौर पर इस कोर्ट ने हमेशा महिलाओं को सर्वोच्च सम्मान दिया है।
गौरतलब है कि सीजेआई की आलोचना जिस केस पर सुनवाई को लेकर हुई, वह महाराष्ट्र के एक सरकारी मुलाजिम से जुड़ा केस है। मोहित सुभाष चव्हाण नाम के आरोपित ने 2014-15 में एक 16 साल की लड़की का रेप किया था और अब पॉक्सो एक्ट के तहत आरोपों का सामना कर रहा है।
कुछ दिन पहले उसे बॉम्बे हाई कोर्ट से इस संबंध में गिरफ्तारी से राहत माँगी थी। इसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई। जहाँ आरोपित के वकील ने कहा कि उनका मुवक्किल एक सरकारी मुलाजिम था और केस के कारण उसे सस्पेंड कर दिया गया है। इस पर सीजेआई ने कहा कि इन सब चीजों के बारे में लड़की का रेप करने से पहले सोचना था। ये बात तो मालूम थी न कि तुम एक सरकारी कर्मचारी हो।