Friday, November 8, 2024
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ऑक्सीजन उत्पादन पर राजनीति नहीं होनी चाहिए, यह आपदा का समय: SC ने वेदांता को दी प्लांट चालू करने की मंजूरी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वेदांता के ऑक्सीजन प्रोडक्शन को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए क्योंकि इस समय देश संकट का सामना कर रहा है। कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को ऑक्सीजन प्लांट में गतिविधियों पर नजर रखने के लिए जिला कलेक्टर और तूतीकोरिन के पुलिस अधीक्षक को शामिल कर एक समिति गठित करने का निर्देश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने आज (अप्रैल 27, 2021) वेदांता को तमिलनाडु के तूतीकोरिन में लगे ऑक्सीजन प्लांट को शुरू करने की मंजूरी दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऑक्सीजन की ‘राष्ट्रीय आवश्यकता’ के मद्देनजर यह आदेश पारित किया गया है। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर तथा न्यायमूर्ति एस रविन्द्र भट की पीठ ने कहा कि इस आदेश की आड़ में वेदांता को तांबा गलाने वाले प्लांट में जाने और उसे चलाने की अनुमति नहीं दी गई है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वेदांता के ऑक्सीजन प्रोडक्शन को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए क्योंकि इस समय देश संकट का सामना कर रहा है। कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को ऑक्सीजन प्लांट में गतिविधियों पर नजर रखने के लिए जिला कलेक्टर और तूतीकोरिन के पुलिस अधीक्षक को शामिल कर एक समिति गठित करने का निर्देश दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने 23 अप्रैल को कहा था कि ऑक्सीजन की कमी की वजह से लोग मर रहे हैं। उसने तमिलनाडु सरकार से पूछा था कि वह ऑक्सीजन उत्पादन के लिए तूतीकोरिन में वेदांता के स्टरलाइट कॉपर यूनिट को अपने कंट्रोल में क्यों नहीं ले लेती, जो प्रदूषण चिंताओं को लेकर मई 2018 से बंद है।

वेदांता ने कहा है कि वह राष्ट्र के लिए इस प्लांट में उत्पादित ऑक्सीजन मुफ्त में सप्लाई करेगी। वेदांता के लिए कोर्ट में दलील दे रहे वरिष्ठ वकील हरीष साल्वे ने कहा, “हम यहाँ सिर्फ ऑक्सीजन प्लांट संचालित करेंगे न कि पावर प्लांट। बिजली राज्य सरकार देगी।”

इस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने साल्वे से पूछा, “आप प्लांट कब शुरू कर सकते हैं?” साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि संभवतः 10 दिन के अंदर ऑक्सीजन उत्पादन शुरू हो जाएगा। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड, एलएन राव और एसआर भट्ट की बेंच ने तमिलनाडु सरकार को फटकार लगाते हुए कहा- वेंदाता द्वारा ऑक्सिजन के उत्पादन पर राजनीति नहीं की जानी चाहिए। यह राष्ट्रीय आपदा का वक्त है। देश की सबसे बड़ी अदालत होने की नाते हम जिंदगियों को बचाने की हर कोशिश करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने वेंदाता की ऑक्सिजन उत्पादन ईकाई को 15 जुलाई तक ऑपरेशन की इजाजत दे दी है। कोर्ट ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वह इस पर दोबारा आदेश देंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (अप्रैल 27, 2021) को स्पष्ट किया कि COVID मुद्दों पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा की गई स्वत: संज्ञान कार्यवाही का उद्देश्य उच्च न्यायालयों को हटाना या उच्च न्यायालयों से सुनवाई को अपने पास लेना नहीं है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पीठ ने स्पष्ट किया, “इस कार्यवाही का उद्देश्य उच्च न्यायालयों को हटाना या उच्च न्यायालयों से उन मामलों को लेना नहीं है, जो वो कर रहे हैं। उच्च न्यायालय एक बेहतर स्थिति में हैं कि वे यह देख सकें कि उनकी क्षेत्रीय सीमाओं के भीतर क्या चल रहा है।”

राजस्थान ने दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा टैंकर रोकने की टिप्पणी का जिक्र किया तो सर्वोच्च अदालत ने इस मसले में दखल देने से इनकार किया। सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि हाईकोर्ट के पास ही जाएँ, हम इस मामले में दखल नहीं देंगे।

बता दें कि देश में कोरोना के तेजी से बढ़ते मामलों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने ऑक्सीजन संकट पर स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार से प्लान माँगा था। इसके साथ ही कल दिल्ली हाई कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी।

दिल्ली सरकार से दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा, हमें कहीं डिस-कनेक्शन नजर आता है। आप आदेश जारी करते हैं। लेकिन जमीन पर उन पर काम होता हुआ नजर नहीं आ रहा है। सीनियर एडवोकेट तुषार राव ने अदालत के सामने सुझाव रखा कि यहाँ तमाम छोटे छोटे अस्पताल हैं और ऑक्सीजन की सप्लाई को बरकरार रखा जाए। इन अस्पतालों में भी तो समस्या को कुछ कम किया जा सकता है। दिल्ली हाई कोर्ट ने अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी से टूटे कहर पर रोष जताया और कहा कि हम सभी जानते हैं कि देश भगवान भरोसे चल रहा है। 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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