Sunday, November 17, 2024
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सुप्रीम कोर्ट ने शाही ईदगाह कमेटी को दिया झटका, कहा- पहले हाई कोर्ट जाओ: श्रीकृष्ण जन्मभूमि से जुड़ी याचिकाओं की एकसाथ सुनवाई का कर रहा था विरोध

सुप्रीम कोर्ट में शाही ईदगाह कमिटी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस निर्णय पर रोक लगाने की माँग की थी जिसमें इस विषय से जुड़ी सभी याचिकाओं के एक साथ सुनवाई का आदेश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ईदगाह कमिटी की याचिका खारिज कर दी।

मथुरा के विवादित शाही ईदगाह और श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने शाही ईदगाह कमिटी की याचिका खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने कमिटी को कहा है कि पहले वह इलाहाबाद हाई कोर्ट जाए। यह मामला इस विषय की याचिकाओं को एक साथ किए जाने से जुड़ा हुआ था।

सुप्रीम कोर्ट में शाही ईदगाह कमिटी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस निर्णय पर रोक लगाने की माँग की थी जिसमें इस विषय से जुड़ी सभी याचिकाओं के एक साथ सुनवाई का आदेश दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ईदगाह कमिटी की याचिका खारिज कर दी।

शाही ईदगाह कमिटी ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया कि जिन याचिकाओं को एक साथ किया गया है, उनमें से कई के दावे एक-दूसरे के विरोधी हैं। इसके अलावा उन्होंने दावा किया कि इस सम्बन्ध में निर्णय जल्दबाजी में किया गया था। हालाँकि, कोर्ट ने उनकी दलीलें नहीं मानी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर पुर्नविचार सम्बन्धी याचिका इलाहाबाद हाई कोर्ट में भी दाखिल की गई है, ऐसे में पहले वहाँ निर्णय हो जाना चाहिए। वहाँ निर्णय हो जाने के बाद ही सुप्रीम कोर्ट आया जाए। इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने मामले की आगे सुनवाई से इंकार कर दिया।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले में हिन्दू पक्ष ने इलाहाबाद हाई कोर्ट से माँग की थी कि इस मामले में दायर की गईं 15 अलग-अलग याचिकाओं को एक साथ मिला लिया जाए और तब सुनवाई की जाए। हिन्दू पक्ष का कहना था कि इससे मामले की सुनवाई में तेजी आएगी और साथ ही इसके पक्षकारों को भी आसानी होगी। इसी सम्बन्ध में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 11 जनवरी, 2024 को एक आदेश में सारी याचिकाओं के एक साथ किए जाने को लेकर आदेश दिया था।

इस मामले में हिन्दू पक्ष की तरफ से पेश हुए वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद को कहा कि वह अपनी बात इलाहाबाद हाई कोर्ट के सामने रखें। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 15 मुकदमों को एक साथ सुनने का आदेश दिया था। इसी आदेश के खिलाफ शाही ईदगाह कमिटी सुप्रीम कोर्ट आई थी। मुझे यह नहीं समझ आया कि इस आदेश में क्या गलत था जिसके कारण वह सुप्रीम कोर्ट आए थे।”

उन्होंने आगे बताया, “इससे एक दिन मुकदमे लगते हैं और सभी पक्षकारों को आसानी होती है। जो लोग यह चाहते हैं कि मुकदमे में देरी हो और यह मामला खींचे वह यहाँ यह याचिका लेकर आए थे। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट जाने को कहा है।”

हिन्दू पक्ष का कहना है कि मथुरा में स्थित श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर के बराबर में बनी शाही ईदगाह वाला ढाँचा जबरन वही बना दिया गया जहाँ भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। इस जगह पर कब्जा करके ढाँचा बनाया गया है। यहाँ अभी भी कई ऐसे सबूत हैं जो कि यह सिद्ध करते हैं कि यहाँ पहले एक मंदिर हुआ करता था।

हिन्दू पक्ष का दावा है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म राजा कंस के कारागार में हुआ था और यह जन्मस्थान शाही ईदगाह के वर्तमान ढाँचे के ठीक नीचे है। सन् 1670 में मुगल आक्रांता औरंगज़ेब ने मथुरा पर हमला कर दिया था और केशवदेव मंदिर को ध्वस्त करके उसके ऊपर शाही ईदगाह ढाँचा बनवा दिया था और इसे मस्जिद कहने लगे। मथुरा का मुद्दा नया नहीं है।

अदालत में इस मामले में याचिकाएँ दाखिल की गई हैं और उन पर सुनवाई होती रही है। 13.37 एकड़ जमीन पर दावा करते हुए हिन्दू यहाँ से शाही ईदगाह ढाँचे को हटाने की माँग करते रहे हैं। 1935 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने वाराणसी के हिन्दू राजा को भूमि के अधिकार सौंपे थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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