सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर हर आरोप लगाने वाले यूट्यूबर को जेल में डालने लगे तो चुनाव से पहले कितने लोग जेल में होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से यह प्रश्न एक यूट्यूबर को जमानत देते हुए पूछा। कोर्ट ने एक ऐसे यूट्यूबर को जमानत दी जिस पर तमिलनाडु CM स्टालिन के खिलाफ अभद्र भाषा के उपयोग का आरोप है।
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां वाली बेंच ने इस मामले में कहा, “अगर चुनाव से पहले हम यूट्यूब पर आरोप लगाने वाले हर आदमी को जेल में डालना शुरू कर दें, तो जरा सोचिए कि कितने लोग जेल जाएँगे? और कौन इस बात का निर्णय करता है कि क्या गड़बड़ है? बड़ी तस्वीर देखिए।”
कोर्ट ने इसी के साथ दुरई मुरुगन ‘सत्तई’ नाम के एक यूट्यूबर को जमानत दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में मद्रास हाई कोर्ट का निर्णय पलट दिया। मद्रास हाई कोर्ट ने पहले सत्तई को जमानत दी थी लेकिन जून 2022 में जमानत खत्म कर दी थी। जमानत खत्म करने को लेकर मद्रास हाई कोर्ट कोर्ट में तमिलनाडु की स्टालिन सरकार ने याचिका दी थी।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान तमिलनाडु सरकार ने यह भी कहा कि मुरुगन को जमानत मिल गई है लेकिन उन्हें कुछ विषयों में आरोप लगाने से रोका जाना चाहिए। हालाँकि, कोर्ट ने इसकी इजाजत नहीं दी और उनकी जमानत बरकरार रखी।
मुरुगन पर तमिलनाडु सरकार ने आरोप लगाया था कि उन्होंने कोविड के दौरान एक वीडियो में CM स्टालिन के लिए अभद्र भाषा इस्तेमाल किया। तमिलनाडु सरकार ने आरोप लगाया था कि मुरुगन ने CM स्टालिन के लिए इस भाषा का इस्तेमाल तब किया जब उन्हें प्रदर्शन करने की इजाजत नहीं दी गई। मुरुगन तमिलनाडु की पार्टी NTK के भी सदस्य हैं।
इसके बाद 2021 में मुरुगन को गिरफ्तार कर लिया गया था। उन्होंने मद्रास हाई कोर्ट का रास्ता अपनाया था जिसने उन्हें जमानत दे दी थी। राज्य सरकार के विरोध के बाद जब उनकी जमानत खत्म हुई तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई। इसके बाद उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने राहत दी है।