Friday, October 4, 2024
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हमारे आदेश की अवमानना हुई तो अधिकारियों को भेजेंगे जेल: बुलडोजर कार्रवाई पर भड़का सुप्रीम कोर्ट, गिर सोमनाथ में गिराए गए हैं अवैध मस्जिद-दरगाह

गुजरात के अधिकारियों की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कार्रवाई का बचाव किया। तुषार मेहता ने कहा कि ये संरचनाएँ समुद्र से सटी हुई थीं और सोमनाथ मंदिर से करीब 340 मीटर दूर थीं। उन्होंने कहा कि बुलडोजर ऐक्शन 17 सितंबर के आदेश के तहत अपवाद है। सरकारी जमीन पर कब्जा था, जो साल 2003 से चल रहा है और इस पर 2023 से कार्रवाई जारी है।

गुजरात के गिर सोमनाथ में अवैध मस्जिदों और दरगाहों पर बुलडोजर की कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट भड़क गया है। कोर्ट ने कहा कि अगर उसके आदेश की अवमानना ​​हुई है तो दोषी अधिकारियों को जेल भेजा जाएगा। इसके साथ ही गिराए गए ढाँचों को दोबारा बनवाने का आदेश दिया जाएगा। इससे पहले गुजरात हाई कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश देने से इनकार कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने यह बात अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान कही। गुजरात में सोमनाथ मंदिर के पास बने 10 अवैध मस्जिदों, 5 दरगाहों, कुछ कब्रों और 45 मुस्लिमों के घरों पर प्रशासन ने 28 सितंबर 2024 को बुलडोजर चला दिया था। इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुँचा है।

प्रशासन की कार्रवाई के खिलाफ समस्त पाटनी मुस्लिम जमात ने याचिका दाखिल की है। उसने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 17 सितंबर 2024 के आदेश के उल्लंघन को लेकर ​​कार्रवाई करने की माँग की थी। इस दौरान मुस्लिम धार्मिक और आवासीय स्थलों को ज्यों का त्यों रखने की माँग खारिज कर दी गई। इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से जवाब माँगा है।

दरअसल, हिंदुओं के सबसे पवित्र स्थानों में एक सोमनाथ मंदिर से सिर्फ 340 मीटर की दूरी पर 57 एकड़ के क्षेत्र में मुस्लिमों के मजहबी स्थल और घर बने हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 16 अक्टूबर को होगी। वहीं, मुस्लिम जमात के वकील संजय हेगड़े ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आदेश के बावजूद गुजरात में अधिकारियों ने बुलडोजर कार्रवाई को अंजाम दिया।

हेगड़े ने कहा कि 1903 में बनी दरगाहों, कब्रों और घरों को लेकर जो नोटिस दिया गया था, उसमें भी बुलडोजर एक्शन का जिक्र नहीं था। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ है। अदालत की परमिशन के बिना कोई एक्शन नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि संपत्तियाँ किसी अपवाद के तहत नहीं आती हैं।

वहीं, गुजरात के अधिकारियों की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कार्रवाई का बचाव किया। तुषार मेहता ने कहा कि ये संरचनाएँ समुद्र से सटी हुई थीं और सोमनाथ मंदिर से करीब 340 मीटर दूर थीं। उन्होंने कहा कि बुलडोजर ऐक्शन 17 सितंबर के आदेश के तहत अपवाद है। सरकारी जमीन पर कब्जा था, जो साल 2003 से चल रहा है और इस पर 2023 से कार्रवाई जारी है।

इससे पहले, उत्तर प्रदेश सहित देश राज्यों में अवैध निर्माणों पर चल रही बुलडोजर की कार्रवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना 1 अक्टूबर 2024 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। सुनवाई के दौरान जस्टिस गवई और विश्वनाथन की बेंच ने कहा था कि फैसला आने तक देशभर में बुलडोजर एक्शन पर रोक जारी रहेगी।

हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया था कि अवैध अतिक्रमणों को हटाने पर कोई रोक नहीं होगी। सड़क हो, रेल लाइन हो, मंदिर हो या फिर दरगाह, अवैध अतिक्रमण हटाया ही जाएगा। बेंच ने कहा था कि अदालत के लिए जनता की सुरक्षा पहली प्राथमिकता है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले की तारीख अभी तय नहीं की है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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