आरे क्षेत्र में पेड़ों की कटाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई के लिए तारीख मुक़र्रर किया है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए सोमवार (अक्टूबर 7, 2019) की तारीख तय की है। कुछ छात्रों ने मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को इस सम्बन्ध में पत्र लिख कर हस्तक्षेप करने की माँग की थी, जिसके बाद यह निर्णय लिया गया। जबकि हाईकोर्ट ने कथित पर्यावरण एक्टिविस्ट्स को झटका देते हुए मेट्रो प्रोजेक्ट को रोकने से इनकार कर दिया था। अब सुप्रीम कोर्ट की एक स्पेशल बेंच इस मामले की सुनवाई करेगी।
A delegation of students had written a letter to the Chief Justice of India earlier today, ‘requesting SC to take cognizance in Mumbai’s #Aarey matter, for stay in Tree-Axing undertaken by Municipal Corporation of Greater Mumbai with Mumbai Metro Rail Corporation & Mumbai Police’ https://t.co/sHsL7st4Lm
— ANI (@ANI) October 6, 2019
बता दें कि मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए मुंबई के आरे क्षेत्र में कुछ पेड़ों को काटा जा रहा है। कई एक्टिविस्ट्स और बॉलीवुड सेलेब्स इसके विरोध में आ गए हैं। भाजपा की सहयोगी शिवसेना भी इस मामले में सरकार का विरोध कर रही है। शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी को विरोध प्रदर्शन करते हुए हिरासत में भी लिया गया था। मुंबई मेट्रो की प्रमुख अश्विनी भिड़े ने कहा है कि यह क़दम अनिवार्य था, इसे टाला नहीं जा सकता था। उन्होंने कहा कि कभी-कभी नए जीवन के फलने-फूलने के लिए और नए निर्माण के लिए तबाही अनिवार्य हो जाती है।
Sometimes to construct something new destruction becomes inevitable but it also paves the way for new life and new creation. जीवन चक्र प्रवाही असते. ते एका ठिकाणी थांबत नाही. सृजनाची चाहूल पुन्हा पुन्हा लागत रहाते. नवीन पालवी फुटत रहाते. नवनिर्मिती होत रहाते. https://t.co/L6J1N57mhH
— Ashwini Bhide (@AshwiniBhide) October 6, 2019
मुंबई मेट्रो ने बताया है कि उसने आरे मिल्क कॉलोनी से लेकर संजय गाँधी नेशनल पार्क तक, 24000 से भी अधिक पेड़ लगाए हैं। एक वीडियो के माध्यम से मुंबई मेट्रो ने समझाया कि वह किस तरह मुंबई के वन्य जीवन और हरियाली के प्रसार में अपना योगदान दे रहा है। आरे पर विरोध प्रदर्शन कर रहे 29 लोगों को गिरफ़्तार किया गया था, जिन्हें बाद में रिहा कर दिया गया। बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस क्षेत्र को आधिकारिक रूप से जंगल घोषित करने से मना कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले एक्टिविस्ट्स ने बताया कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आँखें खोलने के लिए ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि मॉल बनाने और कई अन्य चीजों के लिए भी महाराष्ट्र सरकार जंगलों को काटने की योजना बना रही है। उन लोगों ने शिवसेना से कहा कि अगर आदित्य ठाकरे आरे जंगल को लेकर इतने ही सजग हैं तो भाजपा से गठबंधन तोड़ें।