Tuesday, November 19, 2024
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सरेआम हुई DM की मॉब लिंचिंग, फिर कैसे हो गई आनंद मोहन की रिहाई: सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से माँगा जवाब, रिहाई के लिए नियमों में किया था बदलाव

बाहुबली नेता आनंद मोहन की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को नोटिस जारी किया। इस पर याचिकाकर्ता ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह केवल उनका मुद्दा नहीं है बल्कि यह पूरे भारत का मुद्दा है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिवंगत आईएएस अधिकारी जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया की याचिका पर बिहार सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया है। इस याचिका में बिहार के पूर्व बाहुबली सांसद आनंद मोहन को जेल से समय से पहले रिहाई को चुनौती दी गई है।

शीर्ष न्यायालय के फैसले पर दलित IAS ऑफिसर की पत्नी ने खुशी जाहिर की। उमा कृष्णैया ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खुश हैं कि उन्होंने बिहार सरकार और इस मामले में शामिल अन्य लोगों को नोटिस जारी ​किया है। यह केवल मेरा केस नहीं है, बल्कि यह पूरे भारत देश का मुद्दा है। हमें इंसाफ जरूर मिलेगा। मुझे उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सभी लोगों के बारे में सोचकर जरूर अच्छा फैसला देगा।”

दरअसल, गैंगस्टर से नेता बने आनंद मोहन सिंह को अप्रैल 2023 में सहरसा जेल से रिहा कर दिया गया था। बिहार सरकार ने आनंद सिंह सहित 27 दोषियों की जल्द रिहाई की अनुमति देते हुए जेल नियमों में संशोधन किया था। बिहार सरकार द्वारा जेल मैनुअल के नियमों में संशोधन के बाद एक आधिकारिक अधिसूचना में कहा गया था कि 14 साल या 20 साल जेल की सजा काट चुके 27 कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया गया है।

बता दें कि 5 दिसंबर 1994 को बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में जिस भीड़ ने डीएम की पीट-पीट कर हत्या की थी, उस भीड़ का नेतृत्व आनंद मोहन कर रहे थे। एक दिन पहले मुजफ्फरपुर में आनंद मोहन की पार्टी के नेता रहे छोटन शुक्ला की हत्या हुई थी। इस भीड़ में शामिल लोग छोटन शुक्ला के शव के साथ प्रदर्शन कर रहे थे। इस दौरान मुजफ्फरपुर के रास्ते पटना से गोपालगंज जा रहे डीएम जी कृष्णैया पर भीड़ ने मुजफ्फरपुर के खबड़ा गाँव में हमला कर दिया था। मॉब लिंचिंग में डीएम की मौत हो गई थी।

कृष्णैया तब मात्र 35 वर्ष के थे। शव यात्रा में बीपीपी सुप्रीमो आनंद मोहन, उनकी पत्नी और वैशाली की पूर्व सांसद लवली आनंद, छोटन शुक्ला के भाई और विधायक मुन्ना शुक्ला, विक्रमगंज के पूर्व विधायक अखलाक अहमद, शशिशेखर और अरुण कुमार सिन्हा भी शामिल थे। इन लोगों पर डीएम की हत्या के लिए भीड़ को उकसाने का आरोप था। डीएम कृष्णैया की हत्या मामले में पटना की निचली अदालत ने आनंद मोहन को 2007 में फाँसी की सजा सुनाई थी। आनंद मोहन के साथ पूर्व मंत्री अखलाक अहमद और अरुण कमार को भी मौत की सजा सुनाई गई थी। एक साल बाद 2008 में पटना हाईकोर्ट ने आनंद मोहन की फाँसी की सजा को उम्र कैद में बदल दिया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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