दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को फिलहाल जेल में ही रहना होगा। शराब नीति घोटाले से जुड़े सीबीआई के केस में केजरीवाल की जमानत याचिका पर आज (14 अगस्त 2024) सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने सीबीआई को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। अब इस मामले में मामले की अगली सुनवाई 23 अगस्त को होगी। यानी तब तक के लिए केजरीवाल को जेल में ही रहना होगा।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, अरविंद केजरीवाल के मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुयांन की बेंच कर रही है, जहाँ अरविंद केजरीवाल की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी पेश हुए। उन्होंने अरविंद केजरीवाल को जमानत न मिलता देख अंतरिम जमानत की माँग कर डाली, लेकिन तुरंत ही सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। अभिषेक मनु सिंघवी ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अंतरिम जमानत का अनुरोध किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने साफ शब्दों में कह दिया, “हम कोई अंतरिम जमानत नहीं देने जा रहे।”
जानकारी के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के सामने अरविंद केजरीवाल के पक्ष में सिसोदिया वाली दलील भी दी गई थी, जो नहीं चल पाई। दरअसल, सिसोदिया अपनी याचिका में कहा था कि 2023 अक्टूबर से उनके खिलाफ मुकदमे में कोई प्रोग्रेस नहीं हुई है। ऐसे में उन्हें जमानत मिल गई थी। सिंघवी ने वही पैंतरा अरविंद केजरीवाल के मामले में चलने की कोशिश की और फिर स्वास्थ्य का भी हवाला दिया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कोई भी राहत देने से इनकार कर दिया।
केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट से कहा कि उनके पक्ष में 3 बार जमानत के आदेश दिए जा चुके हैं। इसमें सेक्शन 45 का मामला भी शामिल है। पीएमएलए कोर्ट ने मई में अंतरिम आदेश जारी कर दिया था। इसके बाद पीएमएलए में जून में नियमित जमानत दी गई थी, लेकिन हाई कोर्ट ने उस पर रोक लगा दी। ऐसे में उन्हें अब जमानत दी जा सकती है। जब PMLA जैसे आत्यधिक कठोर मामले में जमानत मिल चुकी है, तो सीबीआई केस भी जमानत मिलनी चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से जवाब तलब करते हुए 23 अगस्त को अगली सुनवाई की तारीख तय कर दी है।
गौरतलब है कि दिल्ली शराब घोटाला मामले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च, 2024 को गिरफ्तार किया था। एजेंसी ने आरोप लगाया था कि केजरीवाल ही इस पूरे मामले के सरगना हैं। एजेंसी का आरोप है कि दिल्ली में शराब नीति बदल कर निजी विक्रेताओं को फायदा पहुँचाया और उनसे बदले में लाभ प्राप्त किए। इस मामले में ईडी की जमानत मिलने से पहले ही उन्हें सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया था। बीच में उन्हें लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार का समय मिला था और कुछ दिनों के लिए चुनाव प्रचार करने वो जेल से भी बाहर आए थे।