अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने लॉ के एक छात्र को कॉमिक आर्टिस्ट रचिता तनेजा के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए सहमति दे दी है। बता दें कि रचिता तनेजा पर अवमानना की कार्यवाही की सहमति उन ट्वीट्स के लिए दी है जो ‘दुस्साहसिक हमला और संस्था का अपमान’ था।
BREAKING: AG KK Venugopal grants consent to a law student to initiate contempt proceedings against comic artist Rachita Taneja for tweets which were an “audacious assault and insult to the institution.”@sanitarypanels #SupremeCourt #contemptofcourt @republic #ArnabGoswami pic.twitter.com/crsFTyleKG
— Bar & Bench (@barandbench) December 1, 2020
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि sanitarypanels नामक सोशल मीडिया यूजर द्वारा किए ट्वीट का स्पष्ट अर्थ है कि सुप्रीम कोर्ट सत्तारूढ़ राजनीतिक दल भाजपा की तरफ पक्षपाती है।
Attorney General KK Venugopal states that the tweet by @sanitarypanels has a clear implication that #SupremeCourt is based towards the ruling political party BJP.@BJP4India
— Bar & Bench (@barandbench) December 1, 2020
दरअसल, पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी को जमानत दे दिया था। इसी को लेकर sanitarypanels ने एक कार्टून बनाया। जिसमें लिखा था, “तू जानता नहीं मेरा बाप कौन है।” इसमें बीच में अर्णब गोस्वामी को, एक तरफ सुप्रीम कोर्ट और दूसरी तरफ बीजेपी को दिखाया गया है। इसमें अर्णब गोस्वामी का हैशटैग लगाया हुआ है।
#ArnabGowswami pic.twitter.com/cuyj8AweNG
— Sanitary Panels (@sanitarypanels) November 12, 2020
इसमें साफ तौर से दर्शाया गया कि बीजेपी और सुप्रीम कोर्ट अर्णब गोस्वामी को बचाना चाहता है। इस तरह से ये भी दिखाने का प्रयास किया गया कि सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया सत्तारुढ़ पार्टी भारतीय जनता पार्टी की तरफ पक्षपाती है और उसी के पक्ष में फैसला सुनाता है।
Arnab gets bail, real journalists get jail, independent judiciary is fail. pic.twitter.com/GQbzyeHYGk
— Sanitary Panels (@sanitarypanels) November 11, 2020
इसी तरह का दूसरा ट्वीट सुप्रीम कोर्ट को लेकर किया गया है। जिसमें सुप्रीम कोर्ट को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जोड़ते हुए ‘संघी कोर्ट ऑफ इंडिया’ के रूप में उल्लेखित किया गया है। इसमें कैप्शन दिया गया, “अर्णब को जमानत मिलती है, असली पत्रकारों को जेल मिलती है, स्वतंत्र न्यायपालिका विफल होती है।” यह ट्वीट साफ तौर पर सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया का अपमान करती है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर को रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्णब गोस्वामी को 2018 के आत्महत्या मामले में जमानत दे दी। जमानत आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने इसे मानने के लिए मुंबई पुलिस को निर्देशित किया था। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था – “हम मानते हैं कि जमानत नहीं देने में हाईकोर्ट गलत था।” इसके साथ ही अर्नब गोस्वामी और दो अन्य आरोपितों को 50,000 रुपए के बांड पर अंतरिम जमानत पर रिहा किया गया। अदालत ने पुलिस आयुक्त को यह निर्देश भी दिए कि उनके आदेश का तुरंत पालन किया जाना चाहिए।
इससे पहले गालीबाज ‘कॉमेडियन’ कुणाल कामरा द्वारा किए गए विवादित ट्वीट को लेकर अटॉर्नी जनरल ने अवमानना का मुकदमा चलाने की अनुमति दी थी। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने यह अनमुति इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील अनुज सिंह की शिकायत के आधार पर दी थी।
अनुमति देते हुए एजी वेणुगोपाल ने कहा कि कुणाल कामरा के ट्वीट में जान-बूझकर मुख्य न्यायाधीश (CJI) के अपमान का प्रयास किया गया। यह उस न्यायपालिका के अपमान के समान है, जिसका सीजेआई नेतृत्व करते हैं। कामरा के ट्वीट को अश्लील और बेहूदा बताते हुए अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट की अवमानना कानून 1975, की धारा 15 के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति दी।