Monday, November 18, 2024
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जिस सरकारी लॉ कॉलेज की लाइब्रेरी में थीं हिंदू विरोधी किताबें, उसके प्रिंसिपल इनामुर्रहमान पर दर्ज FIR सुप्रीम कोर्ट ने रद्द की: जानिए क्या-क्या थे आरोप

महाविद्यालय के ABVP अध्यक्ष दीपेंद्र सिंह ठाकुर ने 1 दिसंबर 2022 को महाविद्यालय के प्राचार्य इनामुर्रहमान को अमीक खोखर, मिर्जा मोजीज बेग, फिरोज अहमद मीर, सुहैल अहमद वानी, मिलिंद कुमार गौतम और पूर्णिमा बिसे के खिलाफ शिकायत सौंपी थी। इसमें प्रोफेसर्स पर मजहबी कट्टरता फैलाने, लव जिहाद को बढ़ावा देने और देश एवं सेना विरोधी दुष्प्रचार को बढ़ावा के आरोप लगाए गए थे।

सु्प्रीम कोर्ट ने मंगलवार (14 मई 2024) को इंदौर के न्यू गवर्नमेंट लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल प्रोफेसर इनामुर्रहमान के खिलाफ दर्ज FIR को रद्द कर दिया। यह FIR कॉलेज की लाइब्रेरी में मिलीं कथित हिंदूफोबिक, भारत विरोधी और लव जिहाद को बढ़ावा देने वाली किताबों से संबंधित था। बता दें कि इनामुर्रहमान इस महीने के आखिर में रिटायर होने वाले हैं।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि FIR में लगाए गए आरोप बेतुके हैं, क्योंकि जिन किताबों की बात हो रही है वे सुप्रीम कोर्ट की लाइब्रेरी में भी मिल सकती हैं। अदालत ने इस बात पर अफसोस जताया कि सरकार आरोपित प्रोफेसर इनामुर्रहमान को प्रताड़ित करने के लिए इतना उत्सुक क्यों है।

सुनवाई के दौरान अपीलकर्ता के वकील ने बताया कि प्रोफेसर जल्द ही सेवानिवृत्त होने वाले थे। वहीं, मध्य प्रदेश सरकार के वकील ने अंतरिम राहत का विरोध किया और कहा कि उच्च न्यायालय के समक्ष सीआरपीसी की धारा 482 की कार्यवाई में तेजी लाई जा सकती है, क्योंकि आरोप गंभीर हैं।

हालाँकि, शीर्ष न्यायालय ने आदेश में कहा, “एकल न्यायाधीश (हाई कोर्ट के) 482 के तहत अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने में विफल रहे हैं। छुट्टी दे दी गई है। एफआईआर एक बेतुकेपन के अलावा और कुछ नहीं है। इसलिए हम अपील की अनुमति देते हैं और एफआईआर को रद्द कर देते हैं।” बता दें कि दिसंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रोफेसर की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी।

दरअसल, शीर्ष अदालत मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाली इनामुर्रहमान की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसने एफआईआर पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया था। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने मामले को रद्द करने के लिए प्रोफेसर द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई दस सप्ताह के लिए स्थगित कर दी थी।

दरअसल, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़े कॉलेज के छात्रों की शिकायत पर रहमान के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और अन्य अपराधों के लिए FIR दर्ज की गई थी। आरोपों के कारण फैकल्टी का निलंबन, प्रोफेसर इनामुर्रहमान का इस्तीफा और पुलिस केस दर्ज किया गया।

क्या है मामला?

महाविद्यालय के ABVP अध्यक्ष दीपेंद्र सिंह ठाकुर ने 1 दिसंबर 2022 को महाविद्यालय के प्राचार्य इनामुर्रहमान को अमीक खोखर, मिर्जा मोजीज बेग, फिरोज अहमद मीर, सुहैल अहमद वानी, मिलिंद कुमार गौतम और पूर्णिमा बिसे के खिलाफ शिकायत सौंपी थी। इसमें प्रोफेसर्स पर मजहबी कट्टरता फैलाने, लव जिहाद को बढ़ावा देने और देश एवं सेना विरोधी दुष्प्रचार को बढ़ावा के आरोप लगाए गए थे।

एबीवीपी का आरोप था कि छात्रों के अलग-अलग मैसेजिंग ग्रुप बनाए गए हैं, जिनका इस्तेमाल नफरत फैलाने वाले संदेशों को आगे बढ़ाने के लिए किया जाता है। उनका यह भी आरोप था कि शिक्षक कॉलेज के नए छात्र-छात्राओं के बीच मजहबी कट्टरता को बढ़ावा देते हैं। उनके मन में भारत की सरकार तथा सेना को लेकर नकारात्मक विचार डालते हैं।

शिकायत में यह आरोप भी लगाया गया था कि हर शुक्रवार को कॉलेज के प्राचार्य, मुस्लिम शिक्षक और मुस्लिम छात्र-छात्राएँ मस्जिद में नमाज पढ़ने जाते हैं। इस वक्त कक्षाएँ नहीं लगती हैं। परिसर में मांस खाने का आरोप भी लगाया गया था। शिकायत के अनुसार, कुछ शिक्षक इंटरनल मार्क्स का हवाला देकर छात्राओं को बाहर चलने और अकेले में कैफे में मिलने के लिए दबाव डालते थे। 

प्रोफेसर ने हिंदू लड़कियों पर रखते हैं गंदी नजर

कॉलेज की एक छात्रा ने बताया था, “हमारे एक प्रोफेसर हैं अमीक सर, वो लड़कियों को अपने साथ मूवीज, पब, डिस्को और कैफे ले जाते हैं। सर उन्हें लेट नाइट मैसेज करते हैं, लव ईमोजी भेजते हैं। उनका बिहेवियर लड़कियों को आकर्षित करने वाला रहता है। यहाँ पर सबसे ज्यादा लव जिहाद को बढ़ावा मिल रहा है। हमारी क्लास में भी ऐसे बच्चे हैं जो इसे बढ़ावा दे रहे हैं।”

छात्रा ने बताया था कि कॉलेज के ही एक मिर्जा सर हैं, जो सरकार की नई शिक्षा नीति का विरोध कर रहे हैं। छात्रा का कहना है कि वे छात्रों को इसके विरोध के लिए उकसाते हैं और उनसे कागज पर इसके विरोध में हस्ताक्षर ले रहे हैं।

एक अन्य छात्रा ने कहा था, “कॉलेज की कई स्टूडेंट ऐसी हैं, जो सर के साथ कैफे, पब और मूवी देखने बाहर जाती हैं। सोशल मीडिया पर स्टोरी भी अपलोड की गई हैं। टीचर पढ़ाने की जगह लड़कियों को क्लब और पब लेकर जाते हैं। इंटरनल मार्क्स का हवाला देकर छात्राओं पर दबाव डाला जाता है।”

हिंदू लड़कियों को किया जाता है टारगेट

दैनिक भास्कर को नाम नहीं छापने की शर्त पर कॉलेज की छात्राओं से बातचीत की थी। छात्राओं ने बताया कि क्लास में मुस्लिम लड़के हिंदू लड़कियों को टारगेट करते हैं। फर्स्ट और सेकंड सेमेस्टर में हिंदू लड़कियों को लव जिहाद में फँसाने का काम होता है और इसमें मुस्लिम लड़कियाँ मददगार बनती हैं।

लड़कियों ने बताया था कि मुस्लिम लड़कियाँ नई आईं इन हिंदू लड़कियों को मुस्लिम लड़कों से परिचय करवाती हैं। बाद में दोनों के बीच फोन नंबर आदान-प्रदान होता है और बातचीत होने लगती है। बाहर से पढ़ने के लिए इंदौर आई हिंदू लड़कियाँ इनका सॉफ्ट टारगेट होती हैं।

हॉस्टल में रहने वाली एक लड़की ने बताया था कि उसे एक लड़के ने परेशान करके रखा है। लड़के का कहना था कि उससे या सर से कमिटेड होना पड़ेगा। अपना धर्म बदल लो और निकाह कर लो। कॉलेज की छात्राओं ने बताया कि जिन लड़कियों से मुस्लिम लड़कों की दोस्ती हो जाती है, वे उन्हें बाहर घुमाने ले जाते हैं।

लड़कियों का कहना था कि अगर कोई छात्रा इसकी शिकायत कॉलेज प्रशासन से करती है तो उसे परेशान किया जाता है। यहाँ तक कि कॉलेज के इंटरनल परीक्षा में कम नंबर दिए जाते हैं। इससे डर कर लड़कियाँ चुप रहती हैं। वहीं, हिंदू टीचर भी नौकरी के चक्कर में आवाज नहीं उठाते हैं।

कॉलेज छात्र संघ के अध्यक्ष अभाविप के दीपेन्द्र सिंह ठाकुर ने कहा था कि इतिहास में जब मुगलों के बारे में पढ़ाने की बात आती है तो वे उनका महिमामंडन करते हैं। बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते हैं। वहीं, हिन्दू राजाओं के बारे में बात करते समय उनकी उपलब्धियों की चर्चा भी नहीं करते हैं।

वहीं, ABVP के प्रांत मंत्री घनश्याम सिंह चौहान का कहना था कि परिसर में धार्मिक कट्टरता फैलाने को लेकर प्राचार्य को पहले मौखिक शिकायत दी गई थी, लेकिन उन्होंने कोई एक्शन नहीं लिया। छात्राओं पर पब और कैफे जाने के लिए शिक्षकों द्वारा दबाव बनाया जाता है। खुद छात्राओं ने प्राचार्य को इसकी जानकारी दी थी।

लाइब्रेरी में हिंदू विरोधी किताबें

कॉलेज के छात्रों का यह भी आरोप था कि लाइब्रेरी में ऐसी किताबें रखी गई हैं, जिनमें हिंदुओं के खिलाफ आपत्तिजनक बातें लिखी हुई हैं। किताब में लिखा है- हिंदू मुख्य आतंकवादी हैं। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर में धारा-370 को सही बताते हुए विश्व हिंदू परिषद और RSS को लेकर विवादास्पद बातें लिखी गई हैं।

छात्रों का कहना था कि डॉक्टर फरहत खान के नाम से लिखी गई इन किताबों को लाइब्रेरी में किसके कहने पर रखा गया, इसकी जाँच होनी चाहिए। इसके साथ ही छात्रों ने लेखिका, प्राचार्य, प्रोफेसर डॉ. मिर्जा मोईज, प्रो. सुहैल अहमद वानी और प्रो. अमीक खोखर के खिलाफ भँवरकुआ थाने में शिकायत दी थी और सबूत के तौर पर किताबों को भी पेश किया था।

इतना ही नहीं, इस लॉ कॉलेज में हिंदू लड़कियों को भी टारगेट कर लव जिहाद में फँसाने की बात कही गई थी। छात्रों ने कॉलेज परिसर में अनुशासनहीनता और धार्मिक कट्टरता फैलाने को लेकर प्रिंसिपल डॉ. इनामुर्रहमान से शिकायत की थी। मामला बढ़ने के बाद कॉलेज के 6 प्रोफेसरों को 5 दिन के लिए छुट्टी पर भेज दिया गया था और मामले की जाँच के लिए एक समिति गठित की गई थी।

क्या लिखा है किताब में

फरहत खान द्वारा लिखित ‘सामूहिक हिंसा एवं दाण्डिक न्याय पद्धति’ में कई सारी कट्टरता वाली बातें लिखी गई हैं। उसमें लिखा गया है, “पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, बर्मा में सांप्रदायिकता का संघर्ष नहीं है। शासन तो वहाँ भी सैकड़ों वर्ष अंग्रेजों का रहा था और अमेरिका का हस्तक्षेप आज भी इनकी सत्ता पर रहता है। आज सारे हिंदू संगठन एक स्वर से मुसलमानों के कश्मीर में धारा 370 लगाकर विशेष सुविधाएँ देने का विरोध यह कहकर करते हैं कि कश्मीर में उग्रवाद धारा 370 के कारण ही पनप रहा है।”

किताब में आगे लिखा है, “यदि इनसे पूछा जाए कि पंजाब में उग्रवाद क्यों है, बिहार, उत्तर प्रदेश, असम में जहाँ हिंदू उग्रवाद है, वहाँ भी धारा 370 नहीं लगी है। हिंदू कहते हैं कि समान नागरिक संहिता की बात कहकर हम मुसलमानों के कानून में सुधार करना चाहते हैं, जो नारी के विरुद्ध है। यदि उनसे पूछा जाए कि आप अपने व्यक्तिगत कानून को और भी शास्त्रों के कानून को क्यों लागू करना चाहते हैं, जो शूद्र स्त्री और गैर हिंदुओं के विरुद्ध है। पहले हिंदुओं को अपने सिविल कोड में सुधार की बात करनी चाहिए।”

किताब में और आगे लिखा है, “उपरोक्त संक्षिप्त विवरण में हमने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसकी परिवार की संस्थाओं के क्रियाकलाप पर प्रकाश डाला। हिंदुओं के जितने भी सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक संगठन बने हैं। उनका एक मात्र उद्देश्य देश के मुसलमानों का विनाश करना है और शूद्रों को दास बनाना है। हिंदू पद पादशाही कायम करना है और हिंदू राजतंत्र का शासन वापस लाकर ब्राह्मण को पृथ्वी का देवता बनाकर पूज्य बनाना है।”

फरहत ने अपनी किताब में विश्व हिंदू परिषद को टारगेट करते हुए लिखा है, “विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठन हिंदू बहुमत का राज्य स्थापित करना चाहते हैं। दूसरे समुदायों को शक्तिहीन बनाकर गुलाम बनाना चाहते हैं। पंजाब में सिखों के खिलाफ शिवसेना जैसे त्रिशूलधारी नए संगठनों ने मोर्चा बना लिया है। अपनी सांप्रदायिक गतिविधियों को मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों से संचालित करने लगे हैं। शिवसेना हिंदू राष्ट्र का नारा दे रही है, जो पूरे सिख समाज के विरुद्ध हैं।”

झूठे प्रोपेगेेंडा को बढ़ाते हुए इसमें आगे कहा गया है, “अब शिवसेना के नौजवान सिखों के घरों में डकैती और अनजानी घटनाएँ कर रहे हैं। यहाँ तक कि निर्दोष सिखों की हत्याएँ भी कर रहे हैं। हिंदू शिव सेना के लोगों ने बैंक में डकैतियाँ भी डाली हैं। पंजाब में जो कुछ हो रहा है, पंजाबी और उर्दू अखबार ही सही लिखते हैं और हिंदी अखबार झूठ। पंजाब का सच आज यह है कि मुख्य आंतकवादी हिंदू हैं और सिख प्रतिक्रिया में आतंकवादी बन रहा है।”

छात्रों का कहना है कि इन किताबों को पढ़ने के लिए उन पर दबाव बनाया जाता है। अगर परीक्षा में उन किताबों का रेफरेंस देकर उत्तर नहीं लिखा जाता है तो नंबर काट लिए जाते हैं और उन्हें पास नहीं होने दिया जाता है। छात्रों का आरोप है कि कॉलेज के तार कई राष्ट्र विरोधी संगठनों से जोड़कर षड्यंत्रकारी छात्रों का ब्रेनवॉश किया जा रहा है। संगठनों में आगे की ट्रेनिंग लेने के लिए भी यहाँ के छात्रों को उकसाया जा रहा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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