सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध को बरकरार रखा है। अदालत ने कहा कि पटाखों पर बैन दिल्ली शहर में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक उचित उपाय है। इस बैन को भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने चुनौती दी थी। उन्होंने तर्क दिया था कि यह भेदभावपूर्ण है और धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करता है। अदालत ने कहा कि बैन भेदभावपूर्ण नहीं है क्योंकि यह सभी लोगों पर लागू होता है, उनके धर्म की परवाह किए बिना।
‘त्योहार मनाने से नहीं रोकता पटाखों पर बैन’
मनोज तिवारी की याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रतिबंध धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन नहीं करता है, क्योंकि यह लोगों को अपने त्योहारों को मनाने से नहीं रोकता है। अदालत का फैसला पटाखों के उद्योग के लिए एक झटका है, लेकिन यह उन लोगों । ये प्रतिबंध 1 अक्टूबर, 2023 से प्रभावी हो जाएगा।
केजरीवाल सरकार ने लगाया था बैन
बता दें कि अरविंद केजरीवाल सरकार ने दो दिन पहले दिल्ली में इस दीपावली पर भी पटाखों पर बैन लगाने की घोषणा की थी। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने इसका ऐलान करते हुए कहा था, “मुख्यमंत्री ने निर्णय लिया है कि सर्दियों में सभी पटाखों की बिक्री, और जलाने पर प्रतिबंध रहेगा।” उन्होंने बताया कि दिल्ली पुलिस को पटाखों से सम्बंधित लाइसेंस नहीं देने के निर्देश जारी किए गए।
मनोज तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में किया था चैलेंज
दिल्ली सरकार के इस फैसले के खिलाफ भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। उन्होंने इसे धार्मिक स्वतंत्रता का मुद्दा बताते हुए सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की अपील की थी। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने मनोज तिवारी की याचिका को खारिज करते हुए पटाखों पर बैन को बरकरार रखा।